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मूँगफली के छिलके : मुकेश कुमार की रचना
Kumar Mukesh · ============= · मूँगफली के छिलके : ————— संतोष रोज़ शाम की तरह आज भी टहल कर वापस आया और टीवी वाले रुम में रखे टेबल पर बैठ गया. छोटा भाई और संतोष की बेटी टीवी देख रहे हैं. दोनों टीवी देखने में इतने मशगूल हैं की ध्यान ही नहीं दिया. संतोष की […]
मधु मालती जी और ‘भूल-ग़लती’ का क़िस्सा…बेहद अँधेरे दिनों में भी हँसना ज़रूरी होता है!!
Kavita Krishnapallavi =============== · ( बेहद अँधेरे दिनों में भी हँसना ज़रूरी होता है I जीवन की विडम्बनाओं पर, त्रासदियों पर, अपने दुश्मनों पर, फ़ासिस्टों पर, नकली वामपंथियों पर, लिबलिब लिबरलों पर, कूपमंडूक “सद्गृहस्थों” पर दिल खोलकर हँसना चाहिए I हँसना ऊर्जस्वी और ताज़ादम बनाता है I इसलिए एकदम उन्मुक्तता और निर्मलचित्तता के साथ हँसना […]
कर्तव्यहीन जीवन व्यर्थ है : लक्मी सिन्हा का लेख पढ़िये!
Laxmi Sinha ============== कर्तव्यहीन जीवन व्यर्थ है। कर्तव्य से अभिप्राय क्रिया, धर्म-कर्म तथा भिन्न प्रकार के कर्मों से है। कर्तव्य यदि कर्म बीज है तो अधिकार कर्मों के फल का परिणाम है। पहले कर्तव्यों का जन्म होता है और फिर अधिकारों की बात आती है। कर्तव्य की भावना जीवन का यज्ञ है। माता-पिता, परिवार, समाज […]