

Related News
ये जंगल है, लोकतंत्र नही…जो नाम बदलकर बेवकूफ़ बना देगा…यहाँ मैं ही राजा हूँ…
नितिन सिंह =========== मैं जंगल हूँ एक बिरजू नामक बहुत ही बिगड़ैल भेड़िया था सभी जानवरो को परेशान करना.. उनका खाना चुरा लेना.. आपस मे लड़वाना उसकी आदत थी.. जंगल के सभी आम जानवर परेशान हो गए तो वो राजा शेर के पास गए…महाराज हम बहुत परेशान हैं…और पूरी बात विस्तार से बताई…राजा शेर ने […]
देख के हम उन्हें बेजुवां हो गए, बिन कहे दर्द मेरे बयां हो गए….झरना माथुर की एक ग़ज़ल और सावन गीत!
Jharna Mathur Blogger Lives in Dehra Dun, India From Bareilly =============== ग़ज़ल देख के हम उन्हें बेजुवां हो गए बिन कहे दर्द मेरे बयां हो गए फासले दरमियां इस तरह से बढ़े इश्क़ में उसके फिर इम्तिहाँ हो गए साथ हैं वो मिरे ये यकीं था मुझे क्यों वफ़ा के अजब से गुमां हो गए […]
हम चाहते कुछ और हैं, होना कुछ और चाहिये, होता कुछ और है। जैसे सब गड्डमगड्ड है….By-सर्वेश तिवारी श्रीमुख
Sarvesh Kumar Tiwari ============ और अंततः एक बरस और बीत गया। बीतता साल यदि राम के बनवास की तरह बीत जाय तो क्या बात हो, पर जीवन बीतता दशरथ की आयु की तरह ही है। यूँ ही चलते चलते पता चलता है कि हाथ से कुछ पल और सरक गए… ‘बिहारी’ मेरे प्रिय कवि हों, […]