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अतीक़ अहमद और अशरफ़ की हत्या में शामिल कई सफ़ेदपोश नेताओं व् अधिकारियों का बचना नामुमक़िन है : रिपोर्ट

Manoj Kumar 🕉️🇮🇳
@manoj_begu
दुश्मन बहुत चतुर है
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जिस तरह योगी बाब ने तुरंत सभी पार्टियों के ऑफिस की सुरक्षा बढ़ाई, हर उस नेता की सुरक्षा बढ़ाई जिसने असद के एनकाउंटर पर प्रश्नचिन्ह लगाया था… फिर अचानक से पूरे यूपी में धारा 144 का लगना और यूपी सीएम आवास की सुरक्षा बढ़ना, नेट बंद करने के आदेश इत्यादि क्रिया कलापों से लग गया था कि जो कुछ दिख रहा है वो असल में है ही नही क्योंकि –

अतीक ने अपने #ISI , #Taliwan और #कश्मीर से संबंध के विषय में कई राज खोले और सूत्रों कि मानें तो अतीक सपरिवार सरकारी गवाह बनने को तैयार हो गया था जिसके बाद अतीक ने अपनी हत्या से पूर्व अपने भाई अशरफ के साथ कसारी मसारी के जंगल जाकर पुलिस को विदेशी अत्याधुनिक हथियार भी उपलब्ध करवाए और साथ ही बहुत से गहरे राज भी पुलिस के साथ साझा किए जिससे संभावना जताई जा रही है कि कई सफेदपोश नेताओं का बचना नामुमकिन था…

तीनों हत्यारों ने जय श्री राम के नारे लगाए जो कि हिंदू आतंकवाद की थ्योरी पर फिट बैठाकर 2024 के चुनाव से पूर्व शायद बहुत बड़ा फसाद करवाया जा सके , तीनों हत्यारोपी अलग अलग जाति ब्राह्मण, क्षत्रिय और शुद्र से चुने गए जिन्हें ऐसे विदेशी अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध करवाए गए जो कि उनके आर्थिक स्थिति के हिसाब से आसान नहीं थे..

आखिर अतीक ऐसा कौन सा राज खोलने वाला था, अपने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को स्वीकार करके कुछ तो ऐसा अप्रत्याशित होने वाला था जिससे किसी को बहुत भारी नुकसान होना तय था…

सोचने की बात है कि कोई भी मुख्यमंत्री इस तरह की घटना को अंजाम नही दे सकता जिससे उसकी और सरकार की ही छवि विश्व पटल पर धूमिल हो , वो भी लाइव कैमरे और मीडिया के सामने ?? जय श्री राम के नारे लगवाकर ??? कदापि नही…

क्योंकि पुलिस प्रशासन में से ही किसी ने यह जानकारी लीक की होगी कि अब तेरी गर्दन फंसने वाली है , और यह जानकारी भी दी होगी कि कितने बजे अतीक को अस्पताल मेडिकल हेतु लाया जाएगा इसलिए बाबा ने तुरंत सुरक्षा में तैनात उन 17 पुलिसकर्मियों को अपने रडार पर खीच लिया है…

बाबा को यदि अतीक को निबटाना ही होता तो कभी का निबटा सकते थे , आज कसारी मसारी के जंगल में भी यह घटना घट सकती थी मगर जो भी हो , योगी बाबा के विरुद्ध खेल बहुत शातिराना तरीके से खेला गया हैं , इसे समझना बहुत जरूरी है… वैसे भी बाबा से कुछ छिपा नही है और बाबा अपने खिलाफ हो रही साजिशों कि इस चक्रव्यूह को तोड़ कर सारी सच्चाई दुनियां के सामने बहुत जल्दी लाएंगे, हमें पूर्ण विश्वास है

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं

अतीक के वकील के घर के पास बम से हमला

अतीक अहमद और अशरफ के हत्याकांड के बाद प्रयागराज से एक और सनसनीखेज खबर सामने आ रही है। अतीक अहमद के वकीलों में से एक के घर के पास मंगलवार को एक गली में देसी बम फेंका गया। इस घटना से लोगों में दहशत का माहौल है। बताया जा रहा है कि दहशत फैलाने के उद्देश्य से बम फेंका गया है, जिसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। कर्नलगंज पुलिस मामले की जांच में जुटी है।

जानकारी के मुताबिक, प्रयागराज के कटरा गोबर गली में देसी बम फेंका गया है। इलाके में छोटू यादव नाम का शख्स रहता है उसी से हर्षित सोनकर नाम के लड़के का विवाद हुआ था। आरोप है कि हर्षित ने ही छोटू को निशाना बनाकर बम चलाया, विजय मिश्रा का इस विवाद से कोई लेना-देना नहीं है। पुलिस इलाके के चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए है। साथ ही वहां की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है।

कर्नलगंज पुलिस स्टेशन के एसएचओ राम मोहन राय का कहना है कि अतीक के वकील दयाशंकर मिश्रा निशाने पर नहीं थे और यह घटना दो युवकों के बीच दुश्मनी का नतीजा थी। हालांकि, वकील ने दावा किया कि यह भय और आतंक पैदा करने की कोशिश थी।

गुड्डू मुस्लिम ने दिया अतीक को धोखा

अतीक और अशरफ के मारे जाने के बाद सबसे ज्यादा चर्चा गुड्डू मुस्लिम की है। दरअसल अशरफ के जो आखिरी शब्द ‘गुड्डू मुस्लिम’ था। वह गुड्डू मुस्लिम के बारे में क्या बताना चाहता था, यह राज अब हमेशा हमेशा के लिए दफ्न हो गया, लेकिन चर्चा है कि गुड्डू ने अतीक को अंतिम समय में धोखा दिया।

चर्चा है कि अशरफ यही बात कहना चाहता था, उससे ठीक पहले उसे गोली मार दी गई। गुड्डू की सूचना पर एसटीएफ ने असद और गुलाम को मार गिराया था? जिस दिन असद और गुलाम का एनकाउंटर हुआ, उसी दिन से अफवाह उड़ रही है कि पुलिस ने गुड्डू मुस्लिम को पकड़ लिया।

उसके कभी झांसी, कभी अजमेर और कभी नासिक में होने की बात कही गई। गुड्डू मुस्लिम के डबल क्रास करने की अफवाह उस दिन से उड़ी जिस दिन अतीक और अशरफ की हत्या हुई थी। काल्विन अस्पताल में 15 अप्रैल की रात मीडियाकर्मियों ने अतीक और अशरफ से पूछा था कि वे असद के जनाजे में क्यों नहीं गए।

अतीक ने उत्तर दिया कि ‘नहीं जाने दिया गया नहीं गए’। इसके ठीक बाद अशरफ बोला कि ‘बात यह है कि गुड्डू मुस्लिम’। इस शब्द के बाद ही पहले अतीक के सिर में गोली मारी गई फिर अशरफ के सिर में गोली मार दी गई।

उसका वाक्य पूरा नहीं हो पाया। इस आखिरी शब्द की पूरे प्रदेश में चर्चा है। मीडियाकर्मी जब असद के जनाजे में जाने की बात कर रहे थे तो अशरफ ने गुड्डू मुस्लिम का नाम क्यों लिया।

वह जो भी बताना चाहता था, वह राज अब हमेशा के लिए राज ही रहेगा लेकिन गुड्डू के बारे में तरह तरह की अफवाहें तैर रही हैं। सूत्र बताते हैं कि अशरफ ने एसटीएफ से कहा था कि असद और गुलाम के अलावा गुड्डू मुस्लिम, अरमान और साबिर को सौंप देगा।

इस बात की खबर लगते ही गुड्डू मुस्लिम ने एसटीएफ से संपर्क किया। बताया जाता है कि गुड्डू उस वक्त झांसी एक ठेकेदार के घर ठहरा हुआ था। उसी की सूचना पर एसटीएफ वहां पहुंची और असद व गुलाम का एनकाउंटर कर दिया गया।

इसी दिन अफवाह फैली कि एसटीएफ ने गुड्डू को अजमेर में घेर लिया है। इसके बाद उसके महाराष्ट्र में होने की बात कही गई। यह बताया गया कि नासिक में गुड्डू को पकड़ लिया गया है।

तमाम चैनलों पर यह खबर चलने लगी लेकिन यह बात भी अफवाह ही साबित हुई। गुड्डू मुस्लिम के डबल क्रास करने की बात की भी कहीं से पुष्टि नहीं है लेकिन जिले में इस बात की काफी चर्चा है।

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