शनिवार रात 15 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. दोनों की हत्या पुलिस की मौजूदगी में की गई थी. अब उनकी हत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ इसपर सुनवाई करेंगे. 24 अप्रैल को इस मामले पर सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी ने मामले अतीक और अशरफ की हत्या की जांच को लेकर याचिका दायर की है
अतीक़ अहमद के वकील का दावा- घर के बाहर फेंका गया बम
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के कटरा इलाके में बम फेंकने की ख़बर सामने आई है. अतीक़ अहमद के वकील दया शंकर मिश्रा का दावा है कि बम उनके घर के बाहर फेंका गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की ख़बर के अनुसार, इस हमले में कोई घायल नहीं है.
हालांकि, पुलिस कमिश्नरेट प्रयागराज की ओर से जारी एक ट्वीट में कहा गया है कि यह दो पक्षों के बीच आपसी विवाद का मामला है और इस दौरान बम फेंकने की घटना हुई. अतीक़ अहमद के वकील के घर पर हमले की ख़बर सही नहीं है.
पुलिस ने बताया कि आगे की कार्रवाई की जा रही है
वकील दया शंकर मिश्रा ने दावा किया, ”तीन बम फेंके गए. मुझे लगता है कि इसके पीछे बड़ी साज़िश है. यह सब मुझे डराने के लिए किया जा रहा है.”
पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गैंगस्टर से नेता बने अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ अहमद की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.
जिस वक्त अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ पर हमला हुआ, उस वक्त पुलिसकर्मी उन्हें मेडिकल चेक-अप के लिए प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल लेकर आए थे.
पत्रकार बनकर आए हमलावरों ने अस्पताल के ठीक पास, पुलिस के घेरे में चल रहे अतीक़ और अशरफ़ पर बेहद नज़दीक़ से गोलियां चलाईं और उनकी मौत के बाद धार्मिक नारेबाज़ी की.

अतीक़ अहमद और अशरफ़ की हत्या के बाद यूपी पुलिस पर उठ रहे हैं गंभीर सवाल
दिलनवाज़ पाशा, दिल्ली से और अनंत झणाणें, प्रयागराज से
बीबीसी संवाददाता
===============
“आज मुझे इलाहाबाद में धमकी दी गई है कि दो सप्ताह के भीतर आपको जेल से फिर किसी बहाने से बाहर निकाला जाएगा और आपको निपटा दिया जाएगा. ये जानकारी एक बड़े अधिकारी ने मुझे दी है.”
29 मार्च को पुलिस की क़ैदी गाड़ी के भीतर से झाँकते हुए पत्रकारों से बात कर रहे अतीक़ अहमद के साथ मारे गए उनके भाई अशरफ़ ने ये डर ज़ाहिर किया था.
इसके ठीक दो हफ़्ते बाद, 15 अप्रैल की रात पुलिस सुरक्षा में मेडिकल जाँच के लिए ले जाते समय अतीक़ और अशरफ़ की हत्या कर दी गई.
पत्रकार बनकर आए तीन हमलावरों ने लाइव कैमरों के सामने अतीक़ और अशरफ़ की हत्या की. इस घटना के वीडियो लगातार टीवी चैनलों पर प्रसारित किए जा रहे हैं और सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं.
इस हत्याकांड की जाँच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी घटना की तह तक पहुँचने के लिए विशेष जाँच दल गठित की है. ये दल तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की निगरानी में जाँच करेगा.
गुजरात की साबरमती जेल में बंद अतीक़ अहमद को जब प्रयागराज में जाँच में शामिल होने के लिए लाया गया था, तब मीडिया में उनकी ‘गाड़ी पलटने’ के कयास लगाए गए थे.
मीडिया की भाषा में ‘गाड़ी पलटने’ का मतलब है पुलिस एनकाउंटर में मौत.
जुलाई 2020 में कानपुर के बिकरू कांड के अभियुक्त विकास दुबे को मध्यप्रदेश से उत्तर प्रदेश लाते समय कथित एनकाउंटर में मार दिया गया था.
पुलिस ने अपने अधिकारिक बयान में कहा था कि गाड़ी पलट जाने के बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और फिर एनकाउंटर में वो मारा गया.
इस एनकाउंटर पर सवाल उठे. सुप्रीम कोर्ट के जज बीएस चौहान की निगरानी में जाँच हुई. जांच आयोग ने पाया कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने विकास दुबे और उसके पाँच साथियों के एनकाउंटर में कुछ ग़लत नहीं किया है.
पुलिस रिमांड
16 मार्च को अतीक़ अहमद को पहली बार साबरमती जेल से उमेश पाल हत्याकांड मामले में पूछताछ के लिए कड़ी सुरक्षा में प्रयागराज लाया गया था.
पत्रकारों को भी उनके क़रीब तक नहीं पहुँचने दिया गया था. इसके बाद 11 अप्रैल को अतीक़ अहमद को एक बार फिर साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया. इस बार पुलिस ने उनकी रिमांड मांगी थी.
15 अप्रैल को जब अतीक़ अहमद की हत्या हुई, तब उन्हें पुलिस रिमांड से फिर से न्यायायिक हिरासत में भेजा जाना था.
पुलिस हिरासत में अतीक़ अहमद और अशरफ़ की हत्या के बाद कई गंभीर सवाल खड़े हुए हैं.
बीबीसी ने इन सवालों को बेहतर तरीके से समझने के लिए अतीक़ अहमद के वकील विजय मिश्रा से और मौक़े पर मौजूद एक चश्मदीद से बात की.
इन दोनों ने इस घटना को बहुत क़रीब से देखा. और दोनों ने पुलिस की मौजूदगी और उनकी प्रतिक्रिया से जुड़ी कई बातें कही हैं.
क्या कहती है एफ़आईआर?
दोनों की हत्या की एफ़आईआर में लिखा है कि अतीक़ और अशरफ़ ने बताया कि दोनों को काफ़ी घबराहट हो रही थी. आपको बता दें कि एनकाउंटर में मारे जाने के बाद अतीक़ के बेटे असद को उसी दिन दोपहर में दफ़नाया गया था.
पुलिस के मुताबिक़, दोनों की बिगड़ती हालत को देखते हुए 10 बजकर 19 मिनट पर थाना धूमनगंज के एसएचओ राकेश कुमार मौर्य ने 18 पुलिसकर्मियों के साथ एक बोलेरो गाड़ी और एक जीप में अतीक़ और अशरफ़ को कॉल्विन अस्पताल पहुँचाया.
एफ़आईआर में लिखा है कि पुलिस रात 10 बजकर 35 मिनट पर दो गाड़ियों में अतीक़ और अशरफ़ को लेकर मेडिकल परीक्षण के लिए कॉल्विन अस्पताल पहुँची.
दोनों को एक ही हथकड़ी में बांधा गया था. गाड़ी से उतरने के बाद 10 से 15 क़दम चलने के बाद अतीक़ और अशरफ़ को मीडिया के हुजूम ने घेर लिया. वे बाइट लेने की कोशिश करने लगे.
पुलिस का कहना है कि अतीक़ और अशरफ़ बाइट देने के लिए रुकने लगे, तो पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए धक्का दिया. लेकिन उसके बाद तुरंत गोलियाँ चलने लगीं और अतीक़ और अशरफ़ ज़मीन पर गिर गए. उसके बाद तीनों हमलावर ने आत्मसमर्पण कर दिया.
अतीक़ अहमद के वकील विजय मिश्रा