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”अदालत में मौजूद हर शख़्स…मुझ सहित सभी अपराधी हैं”

Newcastle United’s supporters celebrate at the end of the English Premier League football match between Chelsea and Newcastle United at Stamford Bridge in London on May 28, 2023. Chelsea equalised 1 – 1 against Newcastle United. (Photo by JUSTIN TALLIS / AFP) / RESTRICTED TO EDITORIAL USE. No use with unauthorized audio, video, data, fixture lists, club/league logos or ‘live’ services. Online in-match use limited to 120 images. An additional 40 images may be used in extra time. No video emulation. Social me

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कई साल पहले चार घनिष्ठ दोस्तों ने एक ही स्कूल में एक साथ बोर्ड तक पढ़ाई की .।
जहाँ वे रहते थे, उस शहर में सिर्फ़ एक ही अच्छा होटल था..।
बोर्ड परीक्षा ख़त्म होने के बाद उन चारों दोस्तों ने तय किया कि हमें उस होटल मे एक साथ चाय-नाश्ता कर कुछ पलों को साथ बिताते हुए उसे यादगार बनाना चाहिए..
उन चारों ने मिलकर मुश्किल से चालीस रुपये जमा किए, रविवार का दिन था, साढ़े दस बजे वे चारों साइकिल से उस होटल में जा पहुंचे।..
दिनेश, संतोष, मनीष और प्रवीण चाय-नाश्ता करते हुए एक दूसरे से बातें करने लगे..
कुछ देर बाद उन चारों ने सर्वसम्मति से ये फैसला किया कि आज से ठीक पचास साल बाद हम 01 अप्रैल को इस होटल में फिर मिलेंगे..तब तक हम सब को बहुत मेहनत करनी चाहिए औऱ यह देखना दिलचस्प होगा कि जीवन में किसकी कितनी प्रगति हुई …..जो दोस्त उस दिन सबसे बाद में होटल आएगा , उसे ही होटल का बिल चुकाना होगा..
उनको चाय नाश्ता परोसने वाला वेटर कालू यह सब सुन रहा था, उसने कहा कि अगर मैं यहां रहा तो मैं भी इस होटल में आप सब का इंतजार करूंगा..
आगे की शिक्षा के लिए चारों अलग अलग हो गए..
दिनेश के पिता के ट्रांसफर होने पर वह शहर छोड़ चुका था, संतोष आगे की पढ़ाई के लिए अपने चाचा के पास चला गया, मनीष और प्रवीण को शहर के अलग-अलग कॉलेजों में दाखिला मिला..
कुछ वर्षों बाद मनीष भी शहर छोड़कर चला गया..
दिन, महीने, साल बीत गए..
पचास वर्षों में उस शहर में आमूल-चूल परिवर्तन आया, शहर की आबादी बढ़ी, सड़कों, फ्लाईओवर, गगनचुंबी इमारतों ने बदल दी शहर की सूरत..
अब वह होटल फाइव स्टार होटल बन गया था, वेटर कालू अब कालू सेठ बन गया और साथ ही होटल का मालिक भी…
पचास साल बाद, निर्धारित तिथि, 01 अप्रैल को दोपहर में, एक लग्जरी कार होटल के गेट पर आई..
दिनेश कार से उतरा और लॉबी की ओर चलने लगा, दिनेश के पास अब तीन ज्वैलरी शो रूम थे..
दिनेश होटल के मालिक कालू सेठ के पास पहुंचा, दोनों एक दूसरे को देखते रहे..
कालू सेठ ने कहा कि प्रवीण सर ने आपके लिए एक महीने पहले ही एक टेबल बुक किया है..
दिनेश मन ही मन सोच रहा था कि वह चारों में से पहला था, इसलिए उसे आज का बिल नहीं देना पड़ेगा ।
एक घंटे में संतोष आ गया, संतोष शहर का बड़ा बिल्डर बन गया था.
अब दोनों बातें करते हुए दूसरे मित्रों का इंतजार कर रहे थे, तीसरा मित्र मनीष आधे घंटे में आ गया..
उससे बात करने पर दोनों को पता चला कि मनीष बड़ा बिजनेसमैन बन गया है..
तीनों मित्रों की आंखें बार बार दरवाजे पर जा रही थीं, प्रवीण कब आएगा..??
इतनी देर में कालू सेठ ने कहा कि प्रवीण सर की ओर से एक संदेश आया है, तुम सब चाय का नाश्ता शुरू करो, मैं आ रहा हूं..
तीनों पचास साल बाद एक-दूसरे से मिलकर खुश थे..
घंटों तक हंसी मजाक चलता रहा, लेकिन प्रवीण नहीं आया..
कालू सेठ ने कहा कि फिर से प्रवीण सर का मैसेज आया है, आप तीनों अपना मनपसंद मेन्यू देखकर खाना शुरू करें..
तीनों ने खाना खा लिया तो भी प्रवीण नहीं दिखा, बिल मांगते ही तीनों को जवाब मिला कि ऑनलाइन बिल का भुगतान हो चुका है..
शाम के आठ बजे एक युवक कार से उतरा और भारी मन से निकलने की तैयारी कर रहे तीनों मित्रों के पास पहुंचा, तीनों उस आदमी को देखने लगे..
युवक कहने लगा, मैं आपके दोस्त प्रवीण का पुत्र रवि हूं ।
पिताजी ने मुझे आप सब के आने के बारे में विस्तार से बताया था, उन्हें इस दिन का बहुत बेसब्री से इंतजार था, लेकिन पिछले महीने एक गंभीर बीमारी के कारण उनका निधन हो गया..
उन्होंने मुझे आपलोगों से आज के दिन कुछ देर से मिलने के लिए कहा था ताकि आपलोगों को ये तुरंत मालूम न पड़ जाए कि उनका निधन हो चुका है । उनका मानना था कि ये जानकर आपसबों को बहुत दुख होगा औऱ तब उनके दोस्त नहीं हंसेंगे और वे इतने अरसे के बाद एक-दूसरे से मिलने की खुशी खो देंगे..
इसलिए उन्होंने मुझे देर से आने की सख़्त हिदायद दी थी ..
उन्होंने मुझे उनकी ओर से आप सबों के पैर छूकर गले लगाने के लिए भी कहा था ,ये कहते हुए रवि ने अपने दोनों हाथ फैला दिए..
आसपास के लोग उत्सुकता से इस दृश्य को देख रहे थे, उन्हें लगा कि उन्होंने इस युवक को कहीं देखा है..
रवि ने फ़िर कहा कि मेरे पिता एक आदर्श शिक्षक बने और मुझे पढ़ाकर कलेक्टर बनाया, आज मैं इस शहर का कलेक्टर हूं..
सब चकित थे, कालू सेठ ने कहा कि अब पचास साल बाद नहीं, बल्कि हर पचास दिन में हम अपने होटल में बार-बार मिलेंगे, और हर बार मेरी तरफ से एक भव्य पार्टी होगी..
सभी ने एक दूसरे को गले से लगा लिया ।
………….
अपने सगे-सम्बन्धियों औऱ दोस्तों से मिलते रहे , उनसे मिलने के लिए बरसों का इंतजार मत करें , जाने किसकी बिछड़ने की बारी कब आ जाए और पता भी नही चले…..अपनों के हमेशा क़रीब रहें औऱ उन्हें अपने साथ होने का भावनात्मक एहसास दें…………… ।
क्या भरोसा है ज़िंदगानी का…
आदमी बुलबुला है पानी का…!!

  • Pradesh Janaawaz Khabar
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    #न्यायधीश_का_अनोखा_दंड – अमेरिका में एक पंद्रह साल का लड़का था, स्टोर से चोरी करता हुआ पकड़ा गया। पकड़े जाने पर गार्ड की गिरफ्त से भागने की कोशिश में स्टोर का एक शेल्फ भी टूट गया।
    जज ने जुर्म सुना और लड़के से पूछा, “क्या तुमने सचमुच चुराया था ब्रैड और पनीर का पैकेट”?
    लड़के ने नीचे नज़रें कर के जवाब दिया- जी हाँ।
    जज :- क्यों ?
    लड़का :- मुझे ज़रूरत थी।
    जज :- खरीद लेते।
    लड़का :- पैसे नहीं थे।
    जज:- घर वालों से ले लेते।
    लड़का:- घर में सिर्फ मां है। बीमार और बेरोज़गार है, ब्रैड और पनीर भी उसी के लिए चुराई थी।
    जज:- तुम कुछ काम नहीं करते ?
    लड़का:- करता था एक कार वाश में। मां की देखभाल के लिए एक दिन की छुट्टी की थी, तो मुझे निकाल दिया गया।
    जज:- तुम किसी से मदद मांग लेते?
    लड़का:- सुबह से घर से निकला था, लगभग पचास लोगों के पास गया, बिल्कुल आख़िर में ये क़दम उठाया।
    जिरह ख़त्म हुई, जज ने फैसला सुनाना शुरू किया, चोरी और विशेषतौर से ब्रैड की चोरी बहुत ही शर्मनाक अपराध है और इस अपराध के हम सब ज़िम्मेदार हैं।
    “अदालत में मौजूद हर शख़्स.. मुझ सहित सभी अपराधी हैं, इसलिए यहाँ मौजूद प्रत्येक व्यक्ति पर दस-दस डालर का जुर्माना लगाया जाता है। दस डालर दिए बग़ैर कोई भी यहां से बाहर नहीं जा सकेगा।”
    ये कह कर जज ने दस डालर अपनी जेब से बाहर निकाल कर रख दिए और फिर पेन उठाया लिखना शुरू किया:- इसके अलावा मैं स्टोर पर एक हज़ार डालर का जुर्माना करता हूं कि उसने एक भूखे बच्चे से इंसानियत न रख कर उसे पुलिस के हवाले किया।
    अगर चौबीस घंटे में जुर्माना जमा नहीं किया तो कोर्ट स्टोर सील करने का हुक्म देगी।
    जुर्माने की पूर्ण राशि इस लड़के को देकर कोर्ट उस लड़के से माफी चाहती है।
    फैसला सुनने के बाद कोर्ट में मौजूद लोगों के आंखों से आंसू तो बरस ही रहे थे, उस लड़के की भी हिचकियां बंध गईं। वह लड़का बार बार जज को देख रहा था जो अपने आंसू छिपाते हुए बाहर निकल गये।
    क्या हमारा समाज, सिस्टम और अदालत इस तरह के निर्णय के लिए तैयार हैं?
    चाणक्य ने कहा था कि “यदि कोई भूखा व्यक्ति रोटी चोरी करता पकड़ा जाए तो उस देश के लोगों को शर्म आनी चाहिए।”
    साभार।।