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अपनी नानी साहिबा के ददिहाल के परिवार व दादी साहिबा की बहन के शौहर के परिवार की 1857 के ग़दर में जानों को कुरबानियां देने की दास्तान!

Ayaz Sherwani

M.A ( Hist ) , M.B.A – A M U

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अपनी नानी साहिबा के ददिहाल के परिवार व दादी साहिबा की बहन के शौहर के परिवार की 1857 के गदर में जानों को कुरबानियां देने की दास्तान –
चौधरी मोहम्मद अली ख़ान – एटा ज़िले के बड़े जमींदार थे और सहावर ( मौजूदा कासगंज ज़िला ) में रहते थे !

नवाब तफ़ज़्ज़ुल हुसैन ख़ान – नवाब फर्रुखाबाद की अगुआई में 1857 में, आपने बग़ावत की कमान सम्हाली, जिसमें आपके पूरे परिवार और दोस्तों ने हिस्सा लिया, और एटा के सूरमाओं ने अंग्रेज़ों की नींद हराम कर दी !

फ़तेहगढ़ की 10 रेजिमेंट ने, 4 जून 185, बग़ावत की और ख़ज़ाने पर क़ब्ज़ा कर लिया !

नवाब तफ़ज़्ज़ुल हुसैन ख़ान – फ़र्रुख़ाबाद को 21तोपों की सलामी देकर , अपना कमांडर चुन लिया !

जुलाई 1857 से दिसंबर 1857 तक पटियाली, अलीगंज, कासगंज और सहावर, चौधरी मोहम्मद अली ख़ान और नवाब तफ़ज़्ज़ुल हुसैन ख़ान के नेतृत्व में , अंग्रेज़ों से, आज़ाद रहा !

14 दिसंबर – 1857 को नवाब इस्माइल ख़ान और अंग्रेज़ फ़ौज के बीच, बड़ी लड़ाई, गंगीरी के पास मलसई में हुई, जिसमें देश की फ़ौज की हार हुई !
इस फ़ौज ने, सहावर में, मौहम्मद अली ख़ान साहब के चौक के क़िले में पनाह ली !

दिसंबर 1857 में बड़ी जंग में नवाब तफ़ज़्ज़ुल हुसैन ख़ान की हार हुई और अंग्रेज़ों ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया, अब चौधरी मोहम्मद अली ख़ान अकेले अंग्रेजों की बग़ावत पर डटे रहे !

अंग्रेज फ़ौज ने, कर्नल सेटन – Col . Seaton, के नेतृत्व में सहावर पर हमला किया, और आख़िर में चौधरी साहब के किले के दरवाजे को हाथियों से तोड़कर अंदर घुस गया !

लड़ाई के बाद चौधरी मोहम्मद अली ख़ान साहब को हिरासत में ले लिया गया , इस बीच उनके एक बेटे चौधरी नूरुल्लाह ख़ान को लेकर एक सिपाही निकल गया ! क़िले से गिरफ़्तारी के बाद अंग्रेज़, आस पास के इलाके में चौधरी साहब के रिश्तेदारों के घर में तलाशी के लिए घुसे !
अंग्रेज सिपाहियो ने चौधरी साहब के रिश्तेदार क़मर अली ख़ान को बोरों में आग लगा कर मार दिया गया !


उनके भाई नासिर अली खान सहावर से बाहर थे और उसी दिन वापसी पर रास्ते में अंग्रेज फौज ने गोलियां मारकर ज़ख्मी कर दिया, ख़ून के निशानों से उनके घर तक फ़ौज पोंहची और मुक़ाबले पर आए, उनके बेटे मज़हर अली ख़ान को गोली मार कर ख़त्म किया, जब उन्हें गिरफ़्तार करके घर से बाहर लाया गया , तो चंद क़दम चल कर गोलियों के ज़ख्मों से वो भी शहीद हुए !

तलाशी के दौरान मुक़ाबले को आये, सैय्यद परिवार के, लड़ाकों को भी शहीद कर, वहीं दफ़ना दिया, आज भी उनकी एक बड़ी क़ब्र वहां मौजूद है !
इसके बाद मुक़ाबले में, सहावर के ही, मिर्ज़ा जीवन बेग भी अंग्रेजों की गोलियों का शिकार हुए !

इस ग़दर की जंग चौधरी क़मर अली ख़ां के दो भतीजे हिमायत अली ख़ान और विलायत अली ख़ान को भी गिरफ्तार कर बरेली जेल भेज दिया गया ! उन पर मुक़दमा चला और मौत की सज़ा हुई और बरेली जेल में फांसी दे दी गई !

चौधरी मोहम्मद अली ख़ान पर अंग्रेज स्पेशल कमिश्नर क्लोसेट वारेन की अदालत में बग़ावत का मुक़द्दमा चला और 10 मई 1857 को बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र को दिल्ली जा कर, आज़ाद देश का बादशाह मान लेने के दास्तवेज़ भी पेश हुए, उनकी पूरी रियासत को ज़ब्त कर, फांसी की सजा दी गई !
20 मई , 1858 को अलीगढ़ के कलेक्टर ब्रामले ( Bramly ) ने तार से, कमिश्नर आगरा ई ए रीड E A Reade और सीनियर मेंबर ऑफ़ बोर्ड रेवेन्यू इंचार्ज ऑफ़ नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंस , को बताया कि –

Mohammed Ali Khan of Sahawar has been shot by Court Martial .

चौधरी मोहम्मद अली ख़ान को कोर्ट मार्शल करके गोली मार दी गई ! !

आपके जिस्म को भी जेल में ही दफ़न कर दिया गया, जिस तरह हिमायत अली ख़ान साहब और किफ़ायत अली खान साहब को जेल में ही दफन किया गया था !

इस तरह सहावर, कासगंज का चौधरी पठान परिवार और सय्यद, देश की आन बान शान मौत की ख़ातिर, 1857 के गदर में, अंग्रेज़ों के हाथों शहीद हुआ और आगे का वंश सिर्फ दो बच्चों से चला अज़ीम सपूत मोहम्मद अली ख़ान साहब के बेटे नुरुल्लाह खान और के बेटे किफायत ख़ान !

एशियाटिक लाइब्रेरी – कोलकाता, में चौधरी मोहम्मद अली ख़ान साहब के ख़त आज भी मोजूद हैं !
इस परिवार के बचे हुए वारिस चौधरी नूरुल्लाह ख़ान की परवरिश की एक बेमिसाल दास्तान अगली पोस्ट में आपकी नज़र करूंगा !

Ayaz Sherwani
Freedom Struggle of Uttar Pradesh Vol 6 ,7 और 8
में शहीद चौधरी मोहम्मद अली ख़ान साहब और चौधरी क़मर अली ख़ान साहब की अज़ीम क़ुर्बानी दर्ज है !
समय समय पर आए अखबारों में भी आता रहा है !
उर्दू की किताब – जंग ए आज़ादी के सरख़ेल – में पूरा एक चैप्टर भी है !
रॉयल एशियाटिक सोसाइटी – कोलकाता , में आपके ख़तों का हवाला दे दिया है !