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अपेक्षा से अधिक गति से इस्राईल अपने अंत की दिशा में अग्रसर है : रिपोर्ट

जायोनी शासन के एक अध्ययन केन्द्र ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इस्राईल के हालात इस तरह से परिवर्तित हो रहे हैं कि जो भी इस्राईल के बाहर से हमें देख रहा है वह हमें एक विघटित समाज के रूप में देख रहा है और धीरे- धीरे उसकी क्षमता खत्म होती जा रही है।

जिन देशों ने इस्राईल के साथ संबंधों को सामान्य बनाये जाने के समझौते पर हस्ताक्षर कर रखा है वे भी इस्राईल के अस्तित्व को बाकी रहने को संदेह की नज़र से देख रहे हैं और इस्राईल के अंदर होने वाली लड़ाइयों व विवादों को आश्चर्य की दृष्टि से देख रहे हैं।

रोचक बात यह है कि कुछ विश्लेषक इस्राईल के अंदर होने वाली लड़ाइयों व विवादों को इस्राईल की सैनिक शक्ति के विघटित व कमज़ोर होने के रूप में देख रहे हैं और उनका मानना है कि अपेक्षा से अधिक गति से इस्राईल अपने अंत की दिशा में अग्रसर है।

एक अमेरिकी अध्ययन केन्द्र नेश्नल इंटरसेट ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस्राईल के गठन के करीब 75 साल हो रहे हैं और उसे जिन बुनियादी चुनौतियों का सामना था वे परिवर्तित नहीं हुई और आज भी बाकी हैं।

अवैध अधिकृत फिलिस्तीन में जो यहूदी व जायोनी हैं उनके अंदर भी आपस में एक दूसरे पर श्रेष्ठता की भावना पाई जाती है। मिसाल के तौर पर जो यहूदी गोरे हैं और वे अमेरिका और यूरोप से आकर अवैध अधिकृत फिलिस्तीन में बसे हैं वे स्वयं को अफ्रीका और निर्धन क्षेत्रों व देशों से आने वाले यहूदियों से अफज़ल व श्रेष्ठ समझते हैं। यह उन चीज़ों में से एक है जो जायोनी समाज में वर्गभेद का कारण है और जायोनी व इस्राईली अधिकारी इस चीज़ को छिपाने और उस पर पर्दा डालने की भरपूर कोशिश में हैं।

इसी प्रकार जो यहूदी व जायोनी अवैध अधिकृत फिलिस्तीन के मूल निवासी हैं वे स्वयं को उन यहूदियों व जायोनियों से बेहतर व श्रेष्ठ समझते हैं जिन्हें दूसरे क्षेत्रों से लाकर अवैध अधिकृत फिलिस्तीन में बसाया गया है। इस्राईल में इस समय पहले की अपेक्षा अधिक लड़ाइयों व विवाद हो रहे हैं तो उसकी एक वजह यह है कि जायोनी शासन के अंदर हर पार्टी स्वयं को मज़बूत करने में लग गयी है और चाहती है कि उसकी भूमिका उल्लेखनीय हो जाये।

प्रतीत यह हो रहा है कि नेतनयाहू की अध्यक्षता में अतिवादी जायोनियों की सत्ता में पकड़ जहां मज़बूत हो गयी है वहीं इस्राईल अधिक तेज़ गति से अपने अंत की ओर बढ़ रहा है। जानकार हल्कों का मानना है कि जहां अवैध जायोनी शासन को गठित हुए लगभगब 75 वर्षों का समय हो रहा है वहीं यह शासन अपने से काफी निकट हो गया है।

उसकी एक महत्वपूर्ण वजह फिलिस्तीनियों के खिलाफ जायोनी शासन का अनवरत अत्याचार हैं। जायोनी शासन फिलिस्तीनियों के खिलाफ अत्याचार में किसी प्रकार के संकोच से काम नहीं लेता है और उसका यही अत्याचार उसके अंत की भूमिका बन रहा है।

सारांश यह कि इस्राईल अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा से पहले ही से फिलिस्तीनियों के खिलाफ अत्याचार कर रहा है और इस्राईल के अत्याचारों व पापों का घड़ा भर गया है और यह घड़ा आज नहीं तो कल फूटने ही वाला है। पिछले कुछ दिनों के दौरान अवैध जायोनी शासन के अंदर होने वाली घटनाओं को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।