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अफ़ग़ानिस्तान : काबुल में पाकिस्तान के दूतावास पर फ़ायरिंग, अफ़ग़ानिस्तान में बढ़ते आतंकी हमले का ज़िम्मेदार कौन है?

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल स्थित पाकिस्तान के दूतावास पर फ़ायरिंग में एक पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारी घायल हो गया है।

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी में कल, पाकिस्तान के प्रभारी राजदूत पर हमला किया गया। काबुल में पाकिस्तान के दूतावास के निकट किये गए इस हमले में उबैदुर्रहमान बच गए किंतु उनका अंगरक्षक घायल हो गया। हमले की ज़िम्मेदारी किसी व्यक्ति या गुट ने नहीं स्वीकार की। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने दूतावास पर हमले की निंदा करते हुए कहा है कि इस हमले में काबुल में हमारे मिशन के प्रमुख को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी। उन्होंने तालेबान अधिकारियों से इस मामले की पारदर्शी जांच की मांग की है।

एसा लगता है कि पाकिस्तान के दूतावास के पास हमला करने का उद्देश्य, ताेलबान के साथ पाकिस्तान के संबन्धों को प्रभावित करना है। कल काबुल में किये जाने वाले इस हमले से पहले अफ़ग़ानिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में मदरसे और मस्जिद पर हमले हुए जिनमें बड़ी संख्या में लोग हताहत और घायल हुए। एसा लगता है कि दाइश सहित तालेबान के प्रतिद्धवी आतंकी गुट इस समय तालेबान की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देने पर उतर आए हैं। जानकार इस प्रक्रिया को एक ख़तरनाक सिलसिला बता रहे हैं।

इस बारे में अफ़ग़ानिस्तान मामलों के एक जानकार अब्दुल्ललतीफ़ नज़री कहते हैं कि तालेबान, अफ़ग़ानिस्तान की जनता की सुरक्षा के लिए स्वयं को वचनबद्ध बताते हैं किंतु व्यवहारिक रूप में एसा कुछ भी नहीं दिखाई देता। वहां पर सक्रिय कुछ गुट इस्लामाबाद के साथ तालेबान के संबन्धों को प्रभावित करने के प्रयास कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि तालेबान के सबसे महत्वपूर्ण समर्थक पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना है। पाकिस्तान के कार्यकारी राजदूत पर हमला, इस देश की विदेश उपमंत्री हेना रब्बानी की अफ़ग़ानिस्तान यात्रा के बाद हुआ है।

शायद इससे यह संदेश देने की कोशि की गई है कि अफ़ग़ानिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से पाकिस्तान को बचना चाहिए। इस हमले से आक्रमणकारी ने यह दर्शाने का भी प्रयास किया है कि वे अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान के हितों को नुक़सान पहुंचाने की पूरी क्षमता रखते हैं। बहरहाल इस बात को अनेदखा करते हुए कि इस हमले के पीछे किसका हाथ था, यह बात तो स्पष्ट है कि अफ़ग़ानिस्तान में कूटनयिकों के सुरक्षित स्थल भी अब वहां सुरक्षित दिखाई नहीं दे रहे हैं।

इस बात को अफ़ग़ानिस्तान को सुरक्षित रखने में तालेबान की अक्षमता के रूप में भी देखा जा रहा है। वहां पर हालिया दिनों में आरंभ होने वाली आतंकी हमलों की ताज़ा लहर हो सकता है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान की सत्ता के लिए एक गंभीर चुनौती सिद्ध हो। एक वर्ष से अधिक समय से अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता तालेबान के हाथों में है। इस एक वर्ष के दौरान उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के लिए कोई एसा काम नहीं किया जिससे जनता को लाभ पहुंचता हो। संभावना इस बात की भी पाई जाती है कि तालेबान के क्रियाकलापों से असंतुष्ट कुछ गुट या स्वयं तालेबान के ही सदस्य, तालेबान के लिए अफ़ग़ानिस्तान में संकट पैदा न कर दें।