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अफ़ग़ानिस्तान की मुद्रा ग्लोबल रैंकिंग में अव्वल रही, अफ़ग़ानी भारतीय रुपया पर भारी, एक अफ़ग़ानी की क़ीमत 3.72 पाकिस्तानी रुपए है : रिपोर्ट

एशियाई पड़ोसियों के साथ बढ़ते व्यापार और अरबों डॉलर की अंतरराष्ट्रीय सहायता की बदौलत बीती तिमाही में अफ़ग़ानिस्तान की मुद्रा अफ़ग़ानी ब्लूमबर्ग की ग्लोबल रैंकिंग में अव्वल रही है.

ग़रीबी और भुखमरी से जूझते एक मुल्क में ऐसा होना किसी अचंभे से कम नहीं है.

15 अगस्त 2021 को तालिबान के लड़ाके लगभग बिना किसी विरोध के काबुल में दाख़िल हुए और पश्चिम देशों के समर्थन वाली अशरफ़ ग़नी की सरकार को सत्ता से हटा दिया था. तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी को देश छोड़कर भागना पड़ा था.

अमेरिका और पश्चिमी देश अफ़ग़ानिस्तान ने निकलने की जल्दी में थे. काबुल एयरपोर्ट पर मेला लगा हुआ था. हज़ारों अफ़ग़ान देश छोड़ कर जाने के फ़िराक़ में एयरपोर्ट पर थे.

सारे देश में अफ़रातफ़री का माहौल था लेकिन काबुल एयरपोर्ट पर तो बिल्कुल अराजकता थी.

बहरहाल तमाम नाटकीय घटनाक्रम के बाद, धीरे-धीरे तालिबान ने देश में अपनी दूसरी पारी शुरू की लेकिन अंतरराष्ट्रीय मान्यता के बिना देश चलाना आसान नहीं है.

तालिबान के सहयोगी कहे जाने वाले पड़ोसियों ने भी अब तक अफ़ग़ानिस्तान की नई सरकार को मान्यता नहीं दी है. इस अंतरराष्ट्रीय मान्यता के बिना अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था सबसे अधिक प्रभावित हुई है क्योंकि निर्बाध आयात-निर्यात के बग़ैर सरकार कमाई कैसे करेगी?

ग़रीबी के बीच मज़बूती

इस वक्त अफ़ग़ानिस्तान दुनिया के सबसे ग़रीब मुल्कों में से एक है. वर्ल्ड बैंक के अनुसार, अफ़गानिस्तान अशिक्षा, नौकरी की कमी और जीवनयापन की मूलभूत सेवाएं की कमी से जूझ रहा है.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 3.4 करोड़ अफ़ग़ान ग़रीबी में जी रहे हैं. वर्ष 2020 में ये आंकड़ा महज़ 1.5 करोड़ था. क़रीब चार करोड़ की आबादी वाले मुल्क में ये बहुत बड़ी संख्या है.

इन सब निराशाओं के बीच अफ़ग़ानिस्तान की मुद्रा अफ़ग़ानी की मज़बूती एक हैरान कर देने वाली ख़बर लगती है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार इस तिमाही में अफ़ग़ानी दुनिया की मज़बूत मुद्रा साबित हुई है.

आज के भाव के मुताबिक एक अफ़ग़ानी की क़ीमत 3.72 पाकिस्तानी रुपए है. बीते तीन महीनों में ये मुद्रा 9% मज़बूत हुई है. वहीं एक डॉलर के लिए क़रीब 79 अफ़ग़ानी देने पड़ रहे हैं जबकि एक डॉलर की भारत में क़ीमत 80 रुपए से ज़्यादा हैं.

कारण क्या है?

दो साल पहले सत्ता पर काबिज़ होने के बाद तालिबान ने अफ़ग़ानी को मज़बूत करने के लिए कई क़दम उठाए हैं. इनमें डॉलर और पाकिस्तानी रुपए का इस्तेमाल देश के भीतर भुगतान के लिए पूरी तरह से बंद करना शामिल है.

तालिबान ने ऑनलाइन ट्रेडिंग को अवैध घोषित कर दिया है और इसका उल्लंघन करने वालों को जेल में भी डाला है.

ब्लूमबर्ग के डेटा के मुताबिक़ इस तहर मुद्रा पर मज़बूत कंट्रोल, अंतरराष्ट्रीय सहायता राशि और बाक़ी भुगतानों की वजह से इस तिमाही अफ़ग़ानी 9 प्रतिशत मज़बूत हुई है.

वॉशिंगटन में दक्षिण एशियाई मामलों के जानकार कामरान बुख़ारी ने ब्लूमबर्ग को बताया, “तालिबान का मुद्रा पर पूरा कंट्रोल अपना काम कर रहा है लेकिन आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता मुद्रा की इस मज़बूती महज़ एक शॉर्ट-टर्म फ़ायदा बना देगी.”

अफ़गानिस्तान की दौलत का अधिकतर हिस्सा अंतरराष्ट्रीय सहायता राशि से आता है. इनमें से सर्वाधिक मदद संयुक्त राष्ट्र के ज़रिए पहुँचती है.

संयुक्त राष्ट्र की फंडिंग

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ अफ़ग़ानिस्तान को इस साल करीब 3.2 अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता राशि चाहिए. इसमें से 1.1 अरब डॉलर अफ़ग़ानिस्तान को दे दिए गए हैं.

पिछले साल यूएन ने चार बिलियन डॉलर की मदद की थी.

2021 में अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद से संयुक्त राष्ट्र 5.8 अरब डॉलर की मदद कर चुका है. वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि इस वर्ष से देश की अर्थव्यवस्था सिकुड़ना बंद कर देगी और 2025 तक इसकी ग्रोथ दो से तीन प्रतिशत तक पहुँच सकती है.

मज़बूत मुद्रा से अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलती है क्योंकि इसकी वजह से मुद्रास्फीती भी नियंत्रण में रहती है.

लेकिन वर्ल्ड बैंक ने चेतावनी दी है कि महिलाओं के दमन की ख़बरों के बाद अफ़ग़ानिस्तान को मिलने वाली मदद में कमी आ सकती है.

मुद्रा बाज़ार और हवाला ट्रेडिंग

अफ़गानिस्तान में फॉरेन एक्सचेंज का धंधा मनी चेंजर्स के ज़रिए चलता है. इन लोगों को वहां सर्राफ़ बुलाया जाता है. सर्राफ़ बाज़ारों में करेंसी के ढेर लगे रहते हैं. ये बाज़ार देश के गांव से लेकर शहरों तक पाए जाते हैं.

काबुल का सराय शहज़ादा बाज़ार इन दिनों अफ़गानिस्तान की अर्थव्यवस्था का केंद्र सा है. इस बाज़ार में हर दिन करोड़ों के वारे-न्यारे होते हैं और देश के सेंट्रल बैंक ने करेंसी एक्सचेंज की कोई सीमा भी निर्धारित नहीं की है.

वर्ल्ड बैंक के अनुसार, अफ़गानिस्तान की वित्तीय सेवाओं में नियमन न के बराबर है.

वर्ल्ड बैंक के एक ब्लॉग में नामूस ज़हीर लिखती हैं, “रेगुलेशन की कमी की वजह से मनी एक्सचेंज का अधिकतर काम हवाला के ज़रिए होता है. तालिबान की वापसी के बाद देश में अधिकतर पढ़े-लिखे लोग चले गए हैं. देश के सेंट्रल बैंक (दा अफ़ग़ानिस्तान बैंक) के पास एक्सपर्ट्स की कमी है. इस वजह से देश में टेरर फ़डिंग और मनी-लॉन्ड्रींग का ख़तरा बरक़रार है.”

पाकिस्तान से अफ़गानिस्तान तस्करी के ज़रिए पहुँचने वाले डॉलर तालिबान शासन के लाइफ़लाइन की तरह हैं.

अफ़ग़ानिस्तान के खनिज संसाधन

संयुक्त राष्ट्र से मिलने वाली मदद के अलावा अफ़ग़ानिस्तान में लिथियम जैसे बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन हैं. एक अनुमान के मुताबिक़ देश में तीन ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के लिथियम भंडार हैं.

ब्रूकिंग इंस्टीट्यूट के मुताबिक़ चीन की इस विशाल भंडार पर नज़र है.

इस महीने चीन, ब्रिटेन और तुर्की की कंपनियों को अफ़गानिस्तान में लोह अयस्क और सोने की खदानों के खनन के लिए 6.5 अरब डॉलर के ठेके दिए गए हैं.

जनवरी में तालिबान ने तेल की खुदाई के लिए भी चीन के साथ एक डील की थी.

इसके अलावा चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशियेटिव के अफ़गानिस्तन में विस्तार से भी वहां के बुनियादी ढांचे में काफ़ी निवेश होने की संभावना है.

बुधवार (27 सितंबर) दोपहर एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 83.21 भारतीय रुपए थी. इसकी तुलना में एक अमेरिकी डॉलर के बदले आप 78.39 अफ़ग़ानी ख़रीद सकते हैं.

यानी आज की तारीख़ में अफ़ग़ानी भारतीय रुपया पर भारी पड़ रही है. लेकिन जैसा कि हमने ऊपर पढ़ा, इसकी वजह मज़बूत अर्थव्यवस्था नहीं बल्कि दूसरे कारण हैं.


Bhavika Kapoor ✋
@BhavikaKapoor5
According to Nirmala Sitharaman, the Indian Rupee is not falling, but the Dollar is getting stronger. 🚩😌🛕🐄

However, the question is, why isn’t the Dollar getting stronger compared to the Afghan currency? 🤔

In Afghanistan, people don’t have enough to eat, they are suffering from hunger, and the country is struggling due to a lack of basic amenities, yet the Afghan currency is consistently getting stronger. 😒 Why?

Madam Finance Minister, please help explaining this strange scenario, since Talibani are your brothers connected by ideology.

 


جبرائیل عمر
@AfghanistanSola

Afghanistan is one of the world’s rare pristine beauties. Products are organic, rives are crystal clear and the skies are azure as the lapis. In addition is it one of the safest and cheapest countries in the world. Come see the ancient history and vibrant culture!
@UNWTO

Tamim Afghan
@TamimAfghan010

Afghanistan 🏳☝️❤
Worlds best performing currency Afghani

NDTV
@ndtv

Afghanistan Currency Is World’s Best-Performing Currency This Quarter:

Stephan Jensen
@StephanAJensen

🇦🇫 THREAD:
Afghanistan was not destroyed by post-9/11 war, or even (first and foremost) by civil war in the 1990s.

Afghanistan was destroyed by the Soviet intervention of the 1980s.

More Afghans died *every year* from 1979-89 than in all the 20 years after 2001 *combined.*

Kabul Frontline
@KabulFrontline
#Afghanistan’s currency is at the top of global rankings this quarter — an unusual spot for a poverty-stricken country with one of the world’s worst human rights records
@bloomberg
report

RASALA.PK
@rasalapk
Afghanistan’s currency has shown remarkable strength, emerging as the top-performing currency globally in the third quarter of the year. It has surged by 9% over the past three months and an impressive 14% year-to-date, largely attributed to foreign aid influx and the release of funds by the US to support the war-torn nation.