दुनिया

अफ़्ग़ानिस्तान : पुराना गेम ताज़ा दावा, ग़ैर धार्मिक विषयों को लड़कियों को न पढ़ाया जाये और लड़कों को पढ़ाया जाये?

तालेबान गुट के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि 6 क्लास से आगे की पढ़ाई के लिए लड़कियों को जो मना किया गया है उसकी वजह यह है कि पढ़ाने का कार्यक्रम पश्चिम से आया है और पश्चिम की ओर से उसे थोपा गया है।

यद्यपि कहा यह जा रहा है कि 6 से आगे की क्लास की लड़कियों की पढ़ाई को जिस वजह से रोका गया है वह तालेबान की ओर से लड़कियों की पढ़ाई रोकने का मात्र औनपचारिक बहाना है और प्रतीत नहीं हो रहा है कि अफगान समाज और अंतरराष्ट्रीय हल्के तालेबान के इस औचित्य को स्वीकार करेंगे।

क्योंकि पढ़ाई जाने वाली किताबें इससे पहले वाली सरकारों के ज़माने में भी पढ़ाई जाती थीं और प्रतीत नहीं हो रहा है कि इन किताबों में ग़ैर धार्मिक विषयों को पढ़ाया जाता है जैसाकि तालेबान दावा करता है। अगर ग़ैर धार्मिक विषयों को पढ़ाया जाता तो अफगानिस्तान के धर्मगुरू, विद्वान और धर्माचार्य इसका विरोध करते मगर हम देखते हैं कि किसी भी धर्माचार्य ने इनका विरोध नहीं किया।

दूसरी बात यह है कि अगर लड़कियों को ग़ैर धार्मिक विषयों की शिक्षा दी जाती थी तो तालेबान को चाहिये कि उनमें सुधार करें। यही नहीं अगर लड़कियों को गैर धार्मिक विषयों को पढ़ाने की वजह से तालेबान ने 6 से बड़ी क्लास की लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करने से वंचित कर दिया है तो 6 क्लास से बड़े लड़कों को वही किताबें क्यों पढ़ाई जा रही हैं?

यह कैसी अतार्किक बात है कि गैर धार्मिक विषयों को लड़कियों को न पढ़ाया जाये और लड़कों को पढ़ाया जाये? राजनीतिक मामलों के टीकाकार मौलवी मुफलेह इस बारे में कहते हैं निश्चित रूप से लड़कियों की शिक्षा के संबंध में तालेबान का दृष्टिकोण इस बात का सूचक है कि वे लड़कियों की शिक्षा के प्रति गंभीर व संवेदनशील हैं परंतु सवाल यह है कि क्या तालेबान को दर्स की पुरानी किताबों में सुधार का समय नहीं मिला?

इसी प्रकार तालेबान गुट के प्रवक्ता के बयान में आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि मैंने यह नहीं कहा है कि लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करना मना है या हम उन्हें शिक्षा ग्रहण करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं बल्कि लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करने से रोका गया है यह उस वक्त तक है जबतक उन्हें पढ़ाई जाने वाली किताबों में सुधार नहीं हो जाता है।

प्रतीत यह हो रहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबावों को कम करने के लक्ष्य से तालेबान की ओर से इस प्रकार के औचित्य पेश किये जा रहे हैं। विशेषकर अभी हाल ही में सुरक्षा परिषद की एक बैठक हुई थी जिसमें इस बात पर बल दिया गया था कि तालेबान जब तक महिलाओं के अधिकारों पर ध्यान नहीं देता तब तक उसकी सरकार को मान्यता नहीं दी जायेगी।

प्रतीत यह हो रहा है कि सुरक्षा परिषद की बैठक में इस विषय का पेश किया जाना तालेबान के लिए एक चेतावनी बेल है कि जब तब वह महिलाओं के अधिकारों पर ध्यान नहीं देगा तब तक उसकी सरकार को आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी जायेगी।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी तालेबान ने लड़कियों को शिक्षा ग्रहण से रोक दिया था। रोचक बात यह है कि इस्लाम धर्म न केवल लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करने से नहीं रोकता बल्कि विभिन्न विषयों के बारे में उनके शिक्षा ग्रहण करने पर बल देता है और इसी वजह से किसी भी धार्मिक नेता व धर्माचार्य ने तालेबान के फैसले का समर्थन नहीं किया है