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अब आरएसएस को भी भारत में ग़रीबी और बेरोज़गारी नज़र आने लगी है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारत में बढ़ती बेरोज़गारी और मंहगाई पर चिंता व्यक्त की है।

आरएसएस के सर-कार्यवाह, दत्तात्रेय होसबाले ने एक कार्यक्रम में भारत में बढ़ती बेरोज़गारी, ग़रीबी और आय में बढ़ती असमानता पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बेरोज़गारी खत्म करने के लिए सरकार को जल्द से जल्द प्रयास करने चाहिए।

भारतीय संचार माध्यमों के अनुसार होसबाले ने संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच द्वारा आयोजित एक वेबिनार में कहा कि हमें इस बात का दुख होना चाहिए कि देश के 20 करोड़ लोग ग़रीबी रेखा से नीचे हैं जबकि 23 करोड़ लोग प्रतिदिन 375 रुपए से भी कम कमा रहे हैं। ग़रीबी हमारे सामने राक्षस जैसी चुनौती है। यह महत्वपूर्ण है कि इस दानव को खत्म किया जाए।

होसबाले ने कहा कि भारत की शीर्ष एक प्रतिशत आबादी के पास देश की आय का पांचवां (20%) हिस्सा है। साथ ही देश की 50% आबादी के पास देश की आय का केवल 13 प्रतिशत हिस्सा है। वहीं, बाकी 50% लोगों के पास 87% इनकम है, जो सही नहीं है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर-कार्यवाह ने कहा कि ग़रीबी के अलावा असमानता और बेरोज़गारी, दो चुनौतियां हैं जिनसे निपटने की आवश्यकता है। देश में 4 करोड़ बेरोज़गार हैं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 2.2 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में 1.8 करोड़ बेरोज़गार हैं। श्रमबल सर्वेक्षण में बेरोज़गारी की दर 7.6 प्रतिशत बताई गई है।

उन्होंने कहा कि हमें रोज़गार पैदा करने के लिए न केवल सेंट्रल लेवल पर बल्कि लोकल लेवल पर भी स्कीमें बनाने की आवश्यकता है। हालांकि होसबाले ने यह भी कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई कदम उठाए गए हैं।