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अमरीका अब खुलकर दाइश और अल-कायदा का समर्थन कर रहा है, अमरीका का लक्ष्य अफ़गानिस्तान को अशांत रखना है : रूस

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सोमवार को ताजिकिस्तान में स्थित रूसी सैन्य अड्डे 201 का दौरा करते कहा कि अमरीका सक्रिय रूप से दाइश और अल-कायदा का समर्थन करता है और अफ़गानिस्तान में अस्थिर करने वाली गतिविधियां करता है।

लावरोव ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अफ़गानिस्तान में वार्ता के लिए वाशिंगटन के समर्थन और हिंसा से बचने के बारे में ताजिकिस्तान में अमरीकी राजदूत का बयान एक कूटनीतिक झूठ हैं। लावरोव ने कहा: यह निश्चित रूप से स्पष्ट है कि अमरीका, दाइश की समर्थक ताक़तों में से एक है। अल-क़ायदा और अन्य आतंकवादी समूहों से संबद्धित गुटों का वे समर्थन करते हैं।

रूस ने बार-बार अफ़गानिस्तान में सैन्य उपस्थिति के दौरान और उसके बाद दाइश को वाशिंगटन के सीधे समर्थन पर बल दिया है, और इस क़दम की कड़ी आलोचना की है। मास्को के दृष्टिकोण से, अमरीका का लक्ष्य अफ़गानिस्तान में अस्थिरता जारी रखना और इस देश में दाइश और अल-क़ायदा सहित आतंकवादी समूहों को मज़बूत करना है। इस संबंध में, लावरोव ने पिछले दशक के अंत में दक्षिण काकेशस में अमरीका की इसी तरह की कार्रवाई की ओर इशारा किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि लक्ष्य अफ़गानिस्तान को अशांत रखना है। उनका मानना ​​है कि यह अमरीका के हित में है कि इस देश में अस्थिर करने वाली प्रक्रियाएं लगातार जारी रहें।

निश्चित प्रमाणों से पता चलता है कि अमरीका ने प्रतिरोधी मोर्चे का सामना करने के लिए तकफ़ीरी आतंकवादी गुट दाइश के गठन और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इराक़ और सीरिया और फिर अफ़ग़ानिस्तान में दाइश की गतिविधियों के विस्तार के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। यह वाशिंगटन की सुनियोजित कार्रवाइयों का संकेत है। अमरीका दाइश के निर्माण में अपनी भूमिका पर पर्दा नहीं डाल सकता, क्योंकि इसके स्पष्ट साक्ष्य मौजूद हैं। अमरीका, पश्चिम के ठेकेदार के रूप में, अपने पश्चिमी और अरब सहयोगियों के साथ दाइश सहित तकफ़ीरी आतंकवादियों को व्यापक समर्थन प्रदान करता रहा है, और इन आतंकवादी समूहों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के साधन के रूप में इस्तेमाल करता रहा है।

सीरिया और इराक़ में दाइश की बार-बार हार के बाद, अफ़गानिस्तान के पड़ोसी देशों में असुरक्षा पैदा करने के लिए वाशिंगटन ने अफ़गानिस्तान में इस आतंकवादी समूह को मज़बूत करना शुरू कर दिया है। अफ़गानिस्तान के संबंध में, वाशिंगटन ने अपने विरोधी और प्रतिद्वंद्वी देशों पर हमला करने और दाइश आतंकवादियों का समर्थन करने के लिए इस देश से अपनी सेना को बाहर निकाल लिया। अफ़ग़ानिस्तान मामलों में रूसी राष्ट्रपति के विशेष प्रतिनिधि ज़मीर क़बूलोफ़ ने कहा थाः अमरीकी सेना और अफ़गानिस्तान में इस देश के सहयोगी दाइश आतंकवादी सरग़नाओं के संपर्क में थे और उनसे सहयोग कर रहे थे। यह अब दाइश और अल-क़ायदा का समर्थन करके अफ़गानिस्तान में अस्थिरता और असुरक्षा को बढ़ाकर रूस, मध्य एशियाई देशों और ईरान को निशाना बनाना चाहते हैं।