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अमरीका के मुक़ाबले में खड़े होने के लिए यूरोप के निर्माण का कैंपेन चला रहे हैं फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां : रिपोर्ट

फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां अमरीका पर यूरोप की आर्थिक व सुरक्षा मामलों की निर्भरता कम किए जाने पर ज़ोर देते हुए कहा है कि ब्रसेल्ज़ को चाहिए कि जिस तरह अमरीकी सरकार अपनी कंपनियों को मज़बूत करने लिए नीतियां लागू कर रही है, यूरोप के निर्माण की स्ट्रैटेजी पर अमल शुरू कर दे।

मैक्रां ने कहा कि यूरोप में अब आर्थिक निर्माण की स्ट्रैटेजी पर अमल शुरू हो जाना चाहिए ताकि यूरोप के औद्योगिक नेटवर्क को मज़बूत बनाया जाए और उनमें नौकरियां पैदा करके और प्रतिस्पर्धा की पावर बढ़ाकर अमरीकी नीतियों के मुक़ाबले में खड़ा हुआ जाए। उन्होंने कहा कि हमें यूरोप के निर्माण की स्ट्रैटेजी की ज़रूरत है ताकि दुनिया में हो रहे परिवर्तनों से भी हमारा तालमेल रहे और अमरीका की नीतियों का हम जवाब भी दे सकें।

यूरोप के निर्माण की आर्थिक स्ट्रैटेजी जिसकी बात मैक्रां कर रहे हैं दरअस्ल अमरीका की आर्थिक नीतियों का मुक़ाबला करने की योजना है क्योंकि अमरीका ने अपने उत्पादों को बाज़ार में बनाए रखने और यूरोप के उत्पादों का मुक़ाबला करने के लिए सक्षम बनाने के उद्देश्य से सब्सिडी की पालीसी अपनाई।

स्थिति यह है कि अमरीका में मिलने वाली सब्सिडी और सस्ती एनर्जी का फ़ायदा उठाने के लिए यूरोपीय उद्योग अमरीका की ओर पलायन कर रहे हैं इससे घबराकर यूरोपीय नेताओं ने यूरोपीय उद्योगों और उद्योग नेटवर्क को बचाने के लिए बयान देना शुरू कर दिया है।

मैक्रां पहले व्यक्ति नहीं हैं जो यूरोप के निर्माण की बात कर रहे हैं बल्कि इससे पहले 2014 में उत्पादों पर मेड इन यूरोपियन यूनियन के टैग लगाने की बात चली थी लेकिन हालिया वर्षों में यूरोपीय उद्योगों के पलायन की रफ़तार तेज़ होने के बाद यह मसला फिर अधिक गंभीरता से उठा है।

यूरोप के अधिकारियों का मानना है कि इस समय जब ऊर्जा की क़ीमतें बहुत बढ़ गई हैं तो यूरोपीय उद्योगों और उनके उत्पादों की सुरक्षा बहुत अहम है ताकि यूरोप की बड़ी आर्थिक ताक़त वाली पोज़ीशन सुरक्षित रहे।

महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि यूरोप की इकानामी हालिया वर्षों में अनेक चुनौतियों से रूबरू हुई है। एक तरफ़ यूक्रेन युद्ध और रूस पर यूरोपीय संघ की पाबंदियों की वजह से यूरोप को रूस से मिलने वाली एनर्जी के रास्ते में रुकावट आ गई दूसरी तरफ़ चीन पर बढ़ती निर्भरता के चलते दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकानामी यानी चीन के साथ संबंधों का विषय भी एक तरह की चुनौती ही बन गया है।

इन समस्याओं के बीच अमरीका ने जो आर्थिक नीतियां अपनाईं उनसे यूरोप की इकानामी और उद्योगों के लिए समस्याएं खड़ी हो गईं। अमरीकी उद्योगों को बचाने और विदेशी उद्योगों के मुक़ाबले में उन्हें मज़बूत करने की पालीसी पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के काल में शुरू हुई और उसी समय से यूरोप को इसका नुक़सान पहुंचा। ट्रम्प ने यूरोप से व्यापारिक जंग छेड़ दी जो यूरोपीय नेताओं के अमरीका दौरों और बातचीत के कई दौर के बाद किसी हद तक धीमी पड़ी। इस समय बाइडन की सरकार के ज़माने में इंफ़्लेशन कम करने की नीतियां लागू होने के बाद यही जंग दोबारा तेज़ होती दिखाई दे रही है। इंफ़्लेशन कम करने का क़ानून दरअस्ल सामाजिक और पर्यावरणीय सुधार की एक योजना है जिसके लिए कई सौ अरब डालर का निवेश किया जा रहा है। अमरीकी कांग्रेस ने पिछली गर्मियों में यह क़ानून पास किया है। इसी क़ानून के तहत अमरीकी उद्योगों को टैक्स में काफ़ी छूट दी गई है और इसे यूरोप अपने लिए भारी नुक़सान के रूप में देखता है।

इस मसले को लेकर यूरोपीय नेताओं की कठोर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। मैक्रां का हालिया बयान यूरोपीय इकानामी को बचाने के लिए यूरोपीय संघ की ओर से उठाई जाने वाली आवाज़ों में एक नई आवाज़ है। मैक्रां ने पिछले महीने अपनी अमरीका यात्रा में जो बाइडन से मुलाक़ात में भी अमरीकी क़ानून के बारे में बात की और अमरीका ने इसका समाधान करने का इशारा दिया था।

मगर यूरोपीय नेता विशेष रूप से फ़्रांस और जर्मनी के राष्ट्राध्यक्ष इस चिंता में हैं कि अमरीका यूरोप के ख़िलाफ़ आर्थिक व व्यापारिक युद्ध तेज़ करने की दिशा में ही बढ़ रहा है।