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अमेरिका और यूरोप के क़िले को ध्वस्त करने का ब्लू प्रिंट तैयार : नाटो के जवाब में एक नए सैन्य गठबंधन की तैयारी : रिपोर्ट

यूक्रेन में 10 महीने से जारी युद्ध के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने द्विपक्षीय सहयोग को और प्रगाढ़ करने का शुक्रवार को संकल्प लिया। इस बीच, रूस की ओर से यूक्रेन पर बृहस्पतिवार रात और शुक्रवार तड़के ड्रोन और राकेट से हमले किए गए।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए द्विपक्षीय वार्ता के दौरान यूक्रेन का सीधे तौर पर कोई उल्लेख नहीं किया लेकिन उन्होंने ‘भू-राजनीतिक तनाव’ और ‘मुश्किल अंतर्राष्ट्रीय स्थिति’ के बीच मास्को और बीजिंग के बीच मज़बूत होते संबंधों की सराहना की। पुतीन ने कहा कि, ‘बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के मद्देनज़र, रूसी-चीनी रणनीतिक साझेदारी बढ़ रही है।’रूसी राष्ट्रपति ने चीनी राष्ट्रपति को वसंत के मौसम में मास्को आने का न्यौता दिया। इसके साथ उन्होंने कहा कि दुनिया चीन और रूस की क़रीबी देखेगी। लगभग आठ मिनट के अपने संबोधन में पुतीन ने कहा कि रूस-चीन संबंध की प्रगाढ़ता दुनिया देखेगी। रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि उनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को गहरा करना है। जवाब में जिनपिंग ने कहा कि रूस के साथ चीन ‘कठिन समय’ में रणनीतिक सहयोग बढ़ाने को तैयार है।

पुतीन और जिनपिंग ने सैन्य गठजोड़ बढ़ाने की बात ऐसे समय में की है जब कुछ दिनों पहले ही दोनों देशों की नौसेना ने मिलिट्री एक्सरसाइज़ की है। वहीं पुतीन और शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत और सूत्रों से मिलते संकेत इस बात की ओर इशारा कर रहें हि कि रूस और चीन बहुत जल्द नाटो के मुक़ाबले में एक नया सैन्य गठबंधन बनाने का एलान करने वाले हैं। पुतीन ने शी जिनपिंग के साथ वार्ता के दौरान कहा कि उनके देशों के बीच संबंधों में सैन्य सहयोग का ‘‘विशेष स्थान’’ है। पुतिन ने कहा कि रूस का उद्देश्य ‘‘दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच सहयोग को मज़बूत करना है।’’ शी ने कहा कि चीन, ‘‘रूस के साथ रणनीतिक सहयोग बढ़ाने, एक दूसरे को विकास के अवसर प्रदान करने, दोनों देशों के लोगों के लाभ के लिए और दुनिया भर में स्थिरता के हित में वैश्विक भागीदार बनने के लिए तैयार है।’’ जानकारों के अनुसार, अगर रूस और चीन ने नए सैन्य गठबंधन का एलान कर दिया तो इस बात की काफ़ी संभावना है कि यह सैन्य गठबंधन नाटो देशों से बड़ा और शक्तिशाली होगा।