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अमेरिका के दरवाज़े पर पहुंची जंग की लपटें : रिपोर्ट

कहते हैं न दोस्त का दोस्त, दोस्त और दुश्मन का दुश्मन, दुश्मन होता है। यही हाल इस समय पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। आज के दौर में विश्व के ज़्यादातर देश दो हिस्सों में बंटे हुए नज़र आ रहे हैं। इसका मुख्य कारण अमेरिका की दादागीरी और युद्ध-उन्मादी नीतियां हैं। इस धरती पर जहां-जहां अशांति और जंग है वहां-वहां अमेरिका की उपस्थिति ज़रूर देखने को मिलेगी। बल्कि यह कहना ग़लत नहीं है कि अमेरिका का अस्तित्व ही युद्ध पर टिका हुआ है।

वैसे तो यूक्रेन युद्ध से पहले ही रूस और चीन के बीच संबंध मज़बूत हो चुके थे। लेकिन यूक्रेन जंग ने इन दोनों देशों के रिश्तों को और मज़बूत बना दिया है। हाल ही में दोनों देशों की नौसेनाओं ने प्रशांत महासागर में अमेरिकी राज्‍य अलास्‍का के पास संयुक्‍त अभ्‍यास किया है। चीन और रूस के महाविनाशक युद्धपोतों को देखकर अमेरिका की बेचैनी बढ़ गई है और उसने भी अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया है। अमेरिका ने अपने किलर मिसाइलों से लैस‍ डेस्‍ट्रायर को भी अलास्‍का के पास भेजा है। अमेरिका ने सबमरीन का शिकार करने वाले अपने पी-8 विमान भी रवाना किए। अमेरिका यूक्रेन युद्ध के बीच इसे उकसाने वाली कार्यवाही मान रहा है। लेकिन वह हमेशा यह बात भूल जाता है कि उकसावे की कार्यवाही की शुरुआत हमेशा वही करता है। आज यूक्रेन युद्ध की आग उसी की लगाई हुई है और जो अब शांत नहीं हो पा रही है उसमें भी अमेरिका का ही हाथ है। इस बीच बताया जा रहा है कि अलास्‍का के तट के पास अलेउटिआन द्वीप समूह के क़रीब रूस और चीन के युद्धपोतों ने नौसैनिक अभ्‍यास किया। यह अभ्‍यास ठीक उसी जगह पर किया गया जहां रूस और अमेरिका की समुद्री सीमा मिलती है।

वॉल स्‍ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक़, रूस और चीन के युद्धपोतों ने अमेरिकी जल सीमा में प्रवेश नहीं किया। अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि रूस और चीन के युद्धपोत चले गए हैं लेकिन अमेरिका के 4 डेस्‍ट्रायर और पी-8 विमानों ने उनका पीछा किया। हेरिटेज फाउंडेशन में एक वरिष्‍ठ शोधकर्ता ब्रेंट सैडलर ने कहा, ‘ऐतिहासिक रूप से यह पहली बार हुआ है।’ उन्‍होंने कहा, ‘यूक्रेन युद्ध और ताइवान को लेकर चल रहे तनाव के बीच यह क़दम बहुत ही ज़्यादा गंभीर है। सैडलर ने कहा कि व्हाइट हाउस में बैठे अधिकारियों को इसपर गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ख़तरा अब अमेरिका तक पहुंच गया है। वहीं अमेरिका के उत्‍तरी कमान ने इस बात की पुष्टि की है कि रूस और चीन ने अलास्‍का के पास संयुक्‍त रूप से नौसैनिक गश्‍त लगाया है। उसने कहा कि हमने अमेरिका और कनाडा की सुरक्षा के लिए अपना अभियान चलाया। चीन और रूस के जहाज़ अंतर्राष्‍ट्रीय सीमा में बने रहे। वहीं अमेरिका ने यह नहीं बताया कि चीन और रूस के जंगी जहाज़ कब अलास्‍का के पास पहुंचे थे। पूरे मामले को गोपनीय रखा गया है।

अलास्‍का के रिपब्लिकन सांसद डान सुल्लिवान ने इस बात की पुष्टि की है कि यह घुसपैठ पिछले कुछ दिनों में हुई है। उन्‍होंने कहा कि अमेरिका की सेना इसका करारा जवाब दिया लेकिन इस तरह की घटना अप्रत्‍याशित है। सुल्लिवान ने कहा कि यह अलास्‍का ही नहीं अमेरिका के लिए भी अप्रत्‍याशित है, जब रूस और चीन के 11 युद्धपोत संयुक्‍त रूप से पहुंचे हैं। रिपब्लिकन सीनेटर ने बाइडन प्रशासन से मांग की कि अलास्‍का की रक्षा के लिए हथियारों की तैनाती को बढ़ाया जाए और नौसैनिक बेस को मज़बूत किया जाए। इस बीच वॉशिंगटन में चीनी दूतावास के प्रवक्‍ता ने दावा किया कि यह अभ्‍यास अमेरिका को ध्‍यान में रखकर नहीं किया गया था। रूस ने अभी तक इस पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है। यूक्रेन पर हमले के बाद रूस और चीन के बीच दोस्‍ती एक नए मुक़ाम पर पहुंच गई है। वहीं अमेरिका के लिए लगातार ख़तरे की घंटी बजती जा रही है। अगर अमेरिका ने अपनी युद्ध-उनमादी नीतियों को यूंही जारी रखा तो वह दिन दूर नहीं है कि जब अमेरिका ख़ुद अपनी भड़काई हुई इस आग में स्वंय जल रहा होगा।