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अमेरिका ने एक बार फ़िर ईरान के ख़िलाफ़ उगला ज़हर, कहा-हम इस बात के प्रति कटिबद्ध हैं कि ईरान परमाणु हथियारों को प्राप्त न करने पाये!

अमेरिका ने एक बार फिर कहा है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के मुकाबले में कूटनीति बेहतरीन रास्ता है।

अमेरिकी विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता वेदांत पैटेल ने वाशिंग्टन के दोहरे मापदंड को जारी रखते हुए एलान किया है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के मुकाबले में कूटनीति बेहतरीन रास्ता है। उन्होंने गुरूवार को वाशिंग्टन में पत्रकारों से वार्ता में कहा कि हम इस बात के प्रति कटिबद्ध हैं कि ईरान परमाणु हथियारों को प्राप्त न करने पाये और हमारा मानना है कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने का बेहतरीन मार्ग डिप्लोमेसी है।

उन्होंने अमेरिका द्वारा परमाणु समझौते के उल्लंघन की ओर संकेत किये बिना कहा कि हम अपने घटकों व भागीदारों के साथ उन समस्त संभावनाओं व विकल्पों के बारे में सहयोग कर रहे हैं जिनका सामना करना पड़ सकता है।

रोचक बात यह है कि पश्चिमी देश विशेषकर अमेरिका बहुत से मामलों के संबंध में दोहरा मापदंड रखते हैं। जैसे आतंकवाद से मुकाबला, मानवाधिकार, आज़ादी और ईरान का परमाणु कार्यक्रम। अमेरिका एक ओर आतंकवाद से मुकाबले का दावा करता है और दूसरी ओर अमेरिकी अधिकारी स्वयं स्वीकार करते हैं कि दाइश को हमने बनाया है। इस संबंध में अमेरिका की पूर्व विदेशमंत्री हिलैरी क्लिंटन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बयानों को इसी दिशा में देखा जा सकता है।

अगर अमेरिका, पश्चिमी और कुछ दूसरे देशों का समर्थन न होता सीरिया में आतंकवादी इतना तांडव न मचाते। सीरिया में कितने हज़ार लोग इन्हीं देशों के समर्थन के कारण मारे गये हैं। मारे जाने वालों में सैकड़ों बच्चे और महिलायें भी शामिल हैं। मानवाधिकार की रक्षा का राग अलापने वाले इन देशों से पूछा जाना चाहिये कि सीरिया में उत्पात मचाने वाले आतंकवादियों का समर्थन कौन करता था, उन्हें हथियारों से कौन लैस करता था, उन्हें सैन्य प्रशिक्षण कौन देता था? आतंकवाद से मुकाबले के बहाने अमेरिका सीरिया के बुलाये बिना इस देश में मौजूद है और इस देश के तेल सहित विभिन्न स्रोतों को अमेरिकी सैनिक लूट रहे हैं। अमेरिका, पश्चिम और मानवाधिकार का राग अलापने वाले देशों से पूछा जाना चाहिये कि सीरिया में अमेरिकी सैनिकों के कृत्य मानवाधिकार की किस श्रेणी में आते हैं।

अमेरिकी अधिकारी बारमबार कहते हैं कि वे इस बात के प्रति कटिबद्ध हैं कि ईरान परमाणु हथियारों को प्राप्त न करने पाये जबकि ईरानी अधिकारियों ने बारमबार एलान किया है कि इस देश की प्रतिरक्षा नीति में सामूहिक विनाश और परमाणु हथियारों का कोई स्थान नहीं है और इन हथियारों के बनाने और रखने के हराम होने के संबंध में इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता का फत्वा भी मौजूद है।

कितनी विचित्र बात है कि अमेरिका स्वयं को ज़िम्मेदार देश कहता है और वह दावा करता है कि वह ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त नहीं करने देगा जबकि अमेरिका दुनिया का एकमात्र एसा देश है जिसने परमाणु हथियारों का प्रयोग किया और वर्ष 1945 में जापान के दो नगरों हीरोशीमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी करके दो लाख से अधिक जापानियों को सामूहिक रूप से मौत के घाट उतार दिया और इस महाअपराध के लिए आज तक उसने जापान से माफी तक नहीं मांगी है।

यहां एक अन्य ध्यान योग्य बिन्दु यह है कि परमाणु ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी IAEA ने अपनी बारमबार की रिपोर्टों में इस बात की पुष्टि की है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है। IAEA की रिपोर्ट को ईरानी अधिकारियों के उस दावे के परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है जिसमें उन्होंने बारमबार कहा है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।