भारत ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की हालिया रिपोर्ट को ‘पक्षपातपूर्ण’ और ‘ग़लत’ बताया है.
भारत की ओर से कहा गया है कि धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की प्रतिक्रिया दिखाती है कि उनके विचारों में भारत और उसके संवैधानिक ढांचे को लेकर ‘समझ की व्यापक कमी है.’
भारत की ओर से ‘पक्षपातपूर्ण’ और ‘ग़लत’ टिप्पणियों के लिए शनिवार को अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ़) की आलोचना की है.
विदेश मंत्रालय ने यूएससीआईआरएफ़ की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी है.
Our response to media queries on comments on India by USCIRF:https://t.co/VAuSPs5QSQ pic.twitter.com/qXnwSOA49K
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) July 2, 2022
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “हमने यूएससीआईआरएफ़ की ओर से भारत को लेकर जारी की गई पक्षपातपूर्ण और ग़लत टिप्पणियों वाली रिपोर्ट पर अपना पक्ष रखा है.”
यूएससीआईआरएफ़ की रिपोर्ट
अरिंदम बागची ने कहा कि आयोग की टिप्पणियां भारत और इसके संवैधानिक ढांचे, इसकी विविधता और इसके लोकतांत्रिक लोकाचार के प्रति ‘आयोग की गंभीर कमी’ को दिखाते हैं.
अरिंदम बागची ने कहा, “अफ़सोस की बात है कि यूएससीआईआरएफ़ अपनी रिपोर्टों में बार-बार तथ्यों को गलत तरीक़े से पेश करना जारी रखे हुए है.”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “हमने यूएससीआईआरएफ़ की रिपोर्ट देखी. इसे देखकर पता चला कि रिपोर्ट को तैयार करने वाले लोगों में भारत को लेकर काफी ‘कम समझ’ है.”
उन्होंने कहा, “प्रेरित एजेंडे के तहत यूएससीआईआऱएफ़ अपनी रिपोर्ट में बार-बार भारत को ग़लत तरीक़े से पेश करने में लगा हुआ है.”
उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई संगठन की विश्वसनीयता और निष्पक्षता के संबंध में चिंताओं को बढ़ाना का ही काम करते हैं.
जून की रिपोर्ट में क्या कहा गया था
जून के पहले सप्ताह में भी एक ऐसी ही रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें भारत पर धार्मिक आज़ादी को लेकर कई तरह के आरोप लगाए थे.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग की 2021 की रिपोर्ट पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. भारत ने कहा था कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वोट बैंक की राजनीति की जा रही है.
दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की 2021 की ये रिपोर्ट अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने जारी की थी.
एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि हाल के दिनों में भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थल को लेकर लोगों पर हुए हमले बढ़े हैं.
उन्होंने कहा था, “भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं. वहां हाल के दिनों में लोगों पर और उपासना स्थलों पर हमले के मामले बढ़े हैं.”
भारत का जवाब
भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी विदेश विभाग की इस रिपोर्ट पर अपना आधिकारिक बयान जारी किया था.
बयान में कहा गया था, “इस रिपोर्ट और वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों की बेबुनियाद जानकारी पर आधारित टिप्पणियों पर हमारा ध्यान गया है.”
भारत ने कहा, “हम अपील करेंगे कि पहले से बनाई गई जानकारियों और पक्षपातपूर्ण नज़रिये के आधार पर किए जाने वाले मूल्याकंन से बचा जाना चाहिए.”
भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान में अमेरिकी में होने वाली नस्ली हिंसा और गन वॉयलेंस के मामलों का भी जिक्र किया गया था.
भारत ने कहा था, “एक विविधतापूर्ण समाज के तौर पर भारत धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का सम्मान करता है. अमेरिका के साथ बातचीत में हम ने वहां की चिंताओं के मुद्दों पर ध्यान दिलाया है.”
ये आकड़े अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ़) की जारी रिपोर्ट से अलग थे.
अप्रैल महीने में, आयोग ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय से सिफ़ारिश की थी वह भारत को ‘विशेष चिंता वाले’ देशों की सूची में डाल दे. आयोग की ओर से बीते तीन सालों से यह सिफ़ारिश की जा रही है लेकिन भारत को अभी तक इस सूची में नहीं डाला गया है.
लिंचिंग की घटनाओं का ज़िक्र
धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध वाले देशों का उल्लेख करते हुए ब्लिंकन ने सऊदी अरब के साथ-साथ चीन, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान का नाम लिया था.
उन्होंने कहा था, “चीन में मुस्लिम वीगर समुदाय और दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों का दमन जारी है.”
वहीं पाकिस्तान का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि साल 2021 में कम से कम 16 लोगों पर ईशनिंदा का मामला दर्ज हुआ और कोर्ट ने मौत की सज़ा सुनायी.
भारत का ज़िक्र करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने ऐसे ग़ैर-हिंदुओं को गिरफ़्तार किया जिन्होंने मीडिया या फिर सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा लिखा जिसे हिंदुओं और हिंदुत्व के लिए ‘अपमानजनक’ बताया गया.