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अरबपति उद्योगपति गौतम अडानी का अर्श से फ़र्श पर आना…#हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने लगा दी अडानी की लंका : रिपोर्ट एंड वीडियो

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में हुए खुलासे के बाद एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति में शुमार गौतम अदाणी को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। तीन दिन में उनके समूह की कंपनियों को 34 अरब डॉलर का घाटा हुआ है। इतना ही नहीं ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स में भी गौतम अदाणी शीर्ष दस अमीरों की सूची से बाहर हो गए हैं।
बिलियनेयर्स इंडेक्स में अदाणी चौथे स्थान से गिरकर 11वें स्थान पर पहुंच गए हैं और उनके समूह की कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट जारी है। अनुमान है कि जल्द ही गौतम अदाणी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति का खिताब भी खो सकते हैं।

गौतम अदाणी की नेटवर्थ घटकर 84.4 अरब डॉलर पहुंच चुकी है। वह अब रिलायंस के मालिक मुकेश अंबानी से सिर्फ एक पायदान ऊपर हैं। अंबानी की कुल संपत्ति 82.2 बिलियन डॉलर है।

अडानी का अर्श से फ़र्श पर आना

फर्श से अर्श और फिर अर्श से फर्श पर आना…अरबपति उद्योगपति गौतम अडानी के बीते कुछ साल के वक्त को देखें, तो ये लाइन सही साबित होती दिखती है. स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर पिता के साथ कारोबार शुरू करने वाले गौतम अडानी ने हाल के वक्त में दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति बनने का रास्ता तय किया, और अब जब अमेरिका की एक रिसर्च कंपनी हिंडेनबर्ग रिसर्च ने उनके समूह पर शेयर का भाव बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने और अकाउंटिंग में फ्रॉड करने का आरोप लगाया है, तो एक झटके में वह दुनिया के तीसरे अमीर व्यक्ति के पायदान से खिसक कर 11 वें स्थान पर आ गए हैं.

अडानी की संपत्ति में आई भारी गिरावट
दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति के तौर पर उनकी संपत्ति 125 अरब डॉलर से पार जा चुकी थी. हिंडेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने इसमें ऐसा डेंट मारा है कि 24 घंटे के भीतर उनकी संपत्ति में करीब 21 अरब डॉलर की गिरावट देखी गई.

ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक मौजूदा वक्त में उनकी संपत्ति 92.7 अरब डॉलर पर आ गई है. जनवरी के 29 दिन में उनकी संपत्ति में सीधे 27.9 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है. अब वह दुनिया के सातवें सबसे अमीर व्यक्ति रह गए हैं. इस रिपोर्ट ने एक झटके में उन्हें जेफ बेजोस, बिल गेट्स, वारेन बफेट और लैरी एलिसन से पीछे कर दिया है.

तीन साल में 1500% तक का रिटर्न
अडानी समूह की शेयर बाजार में 7 कंपनियां लिस्ट हैं. ईटी की खबर के मुताबिक इस संकट से पहले के तीन साल को देखें तो उनकी कुछ कंपनियों के शेयर का रिटर्न 1500 प्रतिशत तक रहा है. इसकी वजह उन्होंने अपने कारोबार को बहुत तेजी से आगे बढ़ाया है, साथ ही इसे अलग-अलग सेक्टर तक फैलाया है.

हालांकि इसके पीछे उनके विरोधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी दोस्ती को एक वजह मानते हैं, लेकिन गौतम अडानी कई मौकों पर ऐसा कुछ होने से इनकार कर चुके हैं. हालांकि गौतम अडानी और नरेंद्र मोदी दोनों ही गुजरात राज्य से आते हैं.

 

 

 

धरती, अग्नि, जल, आकाश…सब कुछ अडानी के पास
अडानी ग्रुप के कारोबार को देखें तो ये धरती, अग्नि, जल और आकाश यानी लगभग हर सेक्टर में मौजूद है. अडानी ग्रुप जहां माइनिंग सेक्टर (धरती) में काम करता है. वहीं सोलर एनर्जी (अग्नि) में उसका व्यापक कारोबार है. इसके अलावा अडानी समूह एयरपोर्ट ऑपरेशन (आकाश) संभालने वाली अब देश की सबसे बड़ी कंपनी है. वहीं हाल में कंपनी ने वाटर प्यूरिफिकेशन से लेकर डिस्ट्रिब्यूशन (जल) के बिजनेस में उतरने की बात कही है. जबकि समूह की अडानी पोर्ट्स देश की सबसे बड़ी बंदरगाह ऑपरेटर कंपनी है.

इसके अलावा अडानी ग्रुप फॉर्च्यून ब्रांड के साथ एफएमसीजी, बिजली वितरण, गैस वितरण, मीडिया, सीमेंट और रीयल्टी एवं इंफ्रास्ट्रक्चर सेगमेंट में भी काम करता है.

अडानी का पहले भी रहा है विवादों से नाता

हाल में गौतम अडानी ने अपनी पब्लिक इमेज को बिल्ड करने के लिए कई घरेलू और विदेशी मीडिया हाउस को बड़े-बड़े इंटरव्यू दिए. इतना ही नहीं मीडिया में दखल बढ़ाने के लिए NDTV जैसी बड़ी डील की है. हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पैदा हुआ संकट गौतम अडानी के लिए अग्निपरीक्षा इसलिए भी है क्योंकि इसने ना सिर्फ उनकी कंपनियों के शेयर्स का कुल एमकैप 4.8 अरब डॉलर तक कम किया है, बल्कि ये उनकी निजी छवि को भी नुकसान पहुंचाने वाला है.

हालांकि ये पहली बार नहीं है जब गौतम अडानी का नाम विवाद में पड़ा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने रिश्तों को लेकर तो वह हमेशा ही विपक्ष के निशाने पर रहे हैं.
इससे पहले केरल में 90 करोड़ डॉलर के निवेश वाली एक बंदरगाह परियोजना के निर्माण को लेकर मछुआरों के साथ उनके समूह का विवाद हुआ ही था, जिसमें उन्होंने मछुआरों के लीडर्स और राज्य सरकार पर केस कर दिया था.
इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया में कार्माइकल कोयला खान प्रोजेक्ट के लिए उनके समूह को कई साल तक पर्यावरण एक्टिविस्ट का विरोध झेलना पड़ा.
हाल में जब उन्होंने अंबुजा और एसीसी सीमेंट का अधिग्रहण किया. तो नई कंपनी अडानी सीमेंट को हिमाचल प्रदेश में ट्रांसपोर्टर्स के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते कंपनी को अपने प्लांट में उत्पादन बंद करना पड़ा है.
अब हिंडनबर्ग रिपोर्ट की वजह से शेयरों में आ रही भारी गिरावट अडानी समूह के लिए एक बड़ा संकट है.

कैसे पार लगेगा हिंडनबर्ग रिपोर्ट का संकट ?
इस संकट से पार पाने के लिए कंपनी ने सबसे पहले तो अपने समूह की अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ (Adani Enterprises FPO) में किसी भी तरह के बदलाव से इंकार कर दिया है. वहीं कंपनी ने बयान जारी कर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को आधारहीन और गलत इरादे से पेश की गई रिपोर्ट बताया है. साथ ही कानूनी कार्रवाई का विकल्प तलाशने की बात भी कही है. इतना ही नहीं कंपनी ने अखबारों में विज्ञापन देकर निवेशकों के सामने अपनी स्थिति भी साफ की है.

वहीं इमेज गुरु दिलीप चेरियन ने रॉयटर्स से एक बातचीत में कहा कि गौतम अडानी छवि के इस जोखिम को सीमित करने के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं. जैसे कि वह निवेशकों के साथ बैठक कर ग्रुप की फाइनेंशियल और संपत्ति की ताकत के बारे में उन्हें फिर से भरोसा दिला सकते हैं.

Naveen Mishra
@NaveenM96466923

“यह एक कंपनी नहीं बल्कि भारत, भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता और अखंडता पर हमला है”

अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को भारत पर हमला बताया

*”राष्ट्रीयता की आड़ में फर्जीवाड़ा और चार सौ बीसी नहीं छिपाई जा सकती।”*

#- हिंडनबर्ग रिसर्च….👍🏻

Wg Cdr Anuma Acharya (Retd)
@AnumaVidisha
अड़ानी ग्रुप का चीनी नागरिक ‘चैंग चुंग ली’ से क्या संबंध है? अड़ानी ग्रुप के विनोद अड़ानी का ख़ास तौर से क्या संबंध है? ‘चैंग चुंग ली’ के बेटे को अड़ानी ग्रुप में ठेका मिला हुआ है और ‘चैंग चुंग ली’ की एक शाखा अगस्ता वैस्टलैंड से जुड़ी है. ये चुग़ली भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने की है.

GoldenSunrise
@Divinelove11550

हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर अडानी समूह की 413 पेज की प्रतिक्रिया को दो वाक्यों में संक्षेपित किया जा सकता है।
1. गौतम अडानी विनोद अडानी के भाई हैं, लेकिन उनका उनसे कोई संबंध नहीं है।
2. अडानी इज इंडिया और इंडिया इज अडानी।

Vijay Shanker Singh IPS Rtd
@vssnathupur
जो हिंडनबर्ग रिपोर्ट को साजिश मानते है, उनसे सवाल,
० क्या Tax haven कहे जाने वाले देशो से विनोद अडानी ने अडानी समूह में फंड नहीं भेजे?
० क्या SBI LIC ने अडानी को मुंहमांगा लोन नहीं दिया और NPA नहीं किया?
० फ्रॉड और काले धन से पलते पूंजीपतियों को क्या भारत का पर्याय कहा जायेगा?

Swati Mishra
@swati_mishr
·
21h
अडानी ग्रुप के CFO ने हिंडनबर्ग पर सफाई देते हुए जलियांवाला बाग नरसंहार से तुलना की. अब बस ये बचा है कि ये खुद को 1857 के क्रांतिकारियों जैसा बता दें.

गौतम अदानी को ‘जीवन दान’ देने वाली अबुधाबी की कंपनी की कहानी

अबुधाबी के शाही परिवार से जुड़ी इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी ने बीते सोमवार अदानी समूह में 3260 करोड़ रुपये का निवेश करने का एलान किया है.

ये कंपनी अदानी समूह की ओर से लाए गए बीस हज़ार करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफ़र में निवेश करने जा रही है.

सोमवार को बाज़ार बंद होने तक इस एफ़पीओ के सिर्फ़ तीन फ़ीसद हिस्से को ख़रीदा गया था.

लेकिन इसके बाद अबुधाबी के शाही परिवार से जुड़ी इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी ने अदानी समूह में निवेश करने की घोषणा कर दी है.

इस कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सयैद बसर शुएब ने कहा है, ‘अदानी समूह में हमारी रुचि की वजह अदानी एंटरप्राइज़ेज की आर्थिक सेहत को लेकर हमारा विश्वास है. हम मानते हैं कि इस कंपनी में लंबे समय तक निवेश करने पर बढ़त होने की अच्छी संभावनाएं हैं.’

इस कंपनी ने अदानी समूह में एक ऐसे समय में निवेश करने का फ़ैसला किया है जब वह चारों ओर से आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने किया नुकसान?
अमेरिकी फ़ॉरेंसिक फ़ाइनेंशियल कंपनी हिंडनबर्ग ने पिछले हफ़्ते अदानी समूह पर आर्थिक अनियमितताओं से जुड़े गंभीर आरोप लगाए थे.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, पिछले तीन बिज़नेस डेज़ यानी 25, 27 और 30 जनवरी को हुई ट्रेडिंग में अदानी समूह की बाज़ार पूंजी में 29 फ़ीसद की गिरावट दर्ज की गयी है.

इसकी क़ीमत भारतीय मुद्रा में लगभग 5.6 लाख करोड़ रुपये बताई जा रही है. कंपनी की ओर से लगातार इस मामले में निवेशकों का भरोसा बनाए रखने की कोशिशें की जा रही हैं.

अदानी समूह ने इसी दिशा में रविवार की शाम 413 पन्नों का जवाब दिया था जिसमें उसने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को भारत के ख़िलाफ़ हमला करार दिया था.

हालांकि, इसके बाद भी सोमवार को अदानी समूहों के शेयर में गिरावट दर्ज की गयी और उसकी बाज़ार पूंजी में 1.4 लाख करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया गया.

लेकिन अबुधाबी की आईएचसी कंपनी की ओर से निवेश के एलान के बाद कुछ अन्य फ़ैमिली हाउसेज़ की ओर से भी अदानी समूह में निवेश करने की घोषणा की गयी है.

हिंदू बिज़नेस लाइन ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में बताया है कि मंगलवार को अदानी समूह के एफ़पीओ में दुबई और भारत स्थित कुछ फ़ैमिली ऑफ़िसों से 9000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा सकता है.

फ़ैमिली ऑफ़िस से आशय उन फ़र्मों से है जो बेहद अमीर लोगों को उनकी संपत्ति को संभालने में मदद करती हैं.

पहले भी कर चुकी है निवेश
अबुधाबी के शाही परिवार से जुड़ी ये कंपनी अदानी समूह में पहली बार निवेश नहीं कर रही है.

इस समूह ने पिछले साल ही अदानी एंटरप्राइजेज़ समेत अदानी समूह की अन्य कंपनियों में दो अरब डॉलर का निवेश किया था.

इस कंपनी का नेतृत्व संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति के भाई शेख ताहनून बिन ज़ायेद अल नाहयान संभाल रहे हैं जो संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी हैं.

इस कंपनी ने पिछले कुछ सालों में अबुधाबी के स्टॉक मार्केट में तेजी से सफ़लता की सीढ़ियां चढ़ी हैं. और ये कंपनी अबुधाबी के शेयर बाज़ार को डोमिनेट करने की स्थिति में आ गयी है.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़, ये कंपनी इस साल विदेशों में अपना निवेश 70 फीसद तक बढ़ाने की कोशिश कर रही है.

विदेशी निवेश करते हुए ये कंपनी क्लीन एनर्जी और फ़ूड प्रोसेसिंग सेक्टर पर विशेष ध्यान देना चाहती है.

लेकिन अदानी समूह में निवेश करने का एलान करने के बाद से इस कंपनी को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

40 कर्मचारियों वाली कंपनी

इस कंपनी से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, तीन साल पहले तक इस कंपनी में सिर्फ़ चालीस लोग काम कर रहे थे.

फ़ाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक़, तीन साल पहले तक इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी का नाम ज़्यादा लोगों ने नहीं सुना था. ये कंपनी मछलियां पालने से लेकर खाद्य और रियल इस्टेट बिज़नेस में काम कर रही थी.

लेकिन अब अबु धाबी में लिस्टेड इस समूह की बाज़ार पूंजी 240 अरब डॉलर से भी ज़्यादा है.

बाज़ार पूंजी के मामले में ये कंपनी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों सीमंस और जनरल इलेक्ट्रिक से ज़्यादा हो गया है.

इस कंपनी के शेयर मूल्यों में साल 2019 से अब तक 42000 फीसद की वृद्धि दर्ज की गयी है.

मध्य पूर्व में ये कंपनी अब सिर्फ़ सऊदी अरब की शाही तेल कंपनी अरामको से पीछे है.

आसमान छूती सफ़लता का राज़?
इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी की अपार सफ़लता की वजह एक अबूझ पहेली सी है. दुनिया के दूसरे देशों में जहां इस कंपनी की आर्थिक सफ़लता को लेकर कम जानकारियां उपलब्ध हैं.

वहीं, अबुधाबी के आर्थिक जगत से जुड़े लोगों के पास भी इस कंपनी की प्रगति को लेकर ज़्यादा जानकारी नहीं है.

फ़ाइनेंशियल टाइम्स के साथ बातचीत में खाड़ी देशों में काम करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय बैंकर ने कहा है कि किसी को नहीं पता है कि ये कंपनी इतनी तेज़ी से कैसे बढ़ी.

साल 2019 में इस कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सयैद बसर शुएब भी इस कंपनी की प्रगति को शानदार बताते हैं.

वे कहते हैं, “हम किसी तरह का लाभांश नहीं देते. साल 2020 और 2021 में जो लाभ अर्जित किया गया है, उसे वापस निवेशित कर दिया है. हम यहां एक विशाल कंपनी बनाने की कोशिश कर रहे हैं…एक वैश्विक विशालकाय कंपनी.”

हालांकि, कुछ लोग इस कंपनी को संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबुधाबी में व्यापार और सत्ता के बीच धुंधली होती रेखा के रूप में देखते हैं.

कुछ जानकारों का मानना है कि कंपनी की बाज़ार पूंजी में ताबड़तोड़ बढ़त से जुड़ी चिंताओं का आलम ये है कि दुबई के अधिकारियों ने एडीएक्स के साथ अपने स्टॉक मार्केट को जोड़ने की संभावनाओं से किनारा करना शुरू कर दिया है.

(स्टोरी- अनंत प्रकाश)