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अरब संसद ने किया सीरिया का अरब लीग में वापसी का स्वागत : अमरीकी सैनिकों ने एक सीरियाई नागरिक की गोली मारकर हत्या कर दी!

अरब संसद ने सीरिया की सुरक्षा, स्थिरता, एकता और संप्रभुता का समर्थन करते हुए सीरिया की अरब लीग और अरब संसद में वापसी का स्वागत किया।

मई के महीने में होने वाली अरब लीग के विदेश मंत्रियों की बैठक में पूर्ण सहमति के बाद सीरिया की अरब लीग में सदस्यता वापस हो गयी थी।

इर्ना के अनुसार, अरब संसद ने इस संसद में अपनी सीटों पर सीरियाई सांसदों की वापसी का स्वागत किया और उन्हें सौंपे गए कार्यों में सफलता की कामना की।

अरब संसद ने आशा व्यक्त की कि ज़्यादातर अरब देश बिना किसी विदेशी हस्तक्षेप के सीरियाई संकट के समाधान के लिए पूरी तरह से सीरिया-अरब समाधान के प्रयासों में शामिल होंगे।

अरब संसद ने अरब देशों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सीरिया के विकास, आर्थिक और सामाजिक स्थितियों में सुधार करने और पुनर्निर्माण और स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद करने वाली पहल करने, परियोजनाओं और निवेश को आगे बढ़ाने के लिए समर्थन करने की भी अपील की है।

अरब संसद ने एक बार फिर से अरब देशों के केंद्रीय मुद्दे के रूप में फ़िलिस्तीनी मुद्दे के समर्थन के बारे में अपनी निर्णायक स्थिति पर जोर दिया और फिलिस्तीन को आज़ाद कराने और फ़िलिस्तीनी जनता के छीने गये अधिकारों को उन्हें दिलाने के प्रयास पर बल दिया।

अमरीकी सैनिकों ने एक सीरियाई नागरिक की गोली मारकर हत्या कर दी

सीरिया में अमरीकी सैनिकों ने एक नागरिक की गोली मारकर हत्या कर दी और कई अन्य को घायल कर दिया।

सीरिया की सरकारी न्यूज़ एजेंसी साना की रिपोर्ट के मुताबिक़, रविवार की सुबह अमरीकी सैनिकों और कुर्द चरमपंथियों ने अल-हसका प्रांत में आम नागरिकों पर अंधाधुंध फ़ायरिंग कर दी।

फ़ायरिंग में एक नागरिक की गोली लगने से मौत हो गई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

अमरीका ने पिछले एक दशक के दौरान, सीरिया में विभिन्न तरीक़ों से ख़ून की होली खेली है, कभी उसने दाइश जैसे ख़ूंख़ार आतंकवादी गुटों का समर्थन किया तो कभी सीरिया के एक भाग पर क़ब्ज़ा करके वहां के ऊर्जा स्रोतों और नागरिकों को निशाना बनाया।

पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा था कि सीरिया में अमरीकी सैनिक, वहां तेल के कुओं की वजह से हैं। हालांकि ट्रम्प ने अमरीकी सैनिकों को वहां से निकालने का आदेश जारी कर दिया था, लेकिन वर्तमान राष्ट्रपति बाइडन ने उनके इस आदेश को व्यवहारिक नहीं बनाया।

दमिश्क़ ने कई बार देश में अमरीकी सैनिकों की उपस्थिति पर आपत्ति जताई है और इसे पूर्ण रूप से ग़ैर-क़ानूनी क़रार दिया है