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अरीनल उसूद संगठन का इस्राईल से भयानक इंतेक़ाम शुरू हो हो चुका है, हम हरगिज़ झुकने वाले नहीं हैं, जीतेंगे या मौत को गले लगाएंगे!

हम बात बरेंगे अरीनल उसूद संगठन, उसके जांबाज़ों, शहीदों और क़रीब आ पहुंचे इंतेक़ाम की

सैकड़ों की संख्या में इस्राईली सैनिक और सुरक्षाकर्मी मंगलवार की सुबह वेस्ट बैंक के नाबलुस शहर पर टूट पड़े जहां उनकी भीषण झड़पें अरीनल उसूद संगठन के जांबाज़ों से हुई। झड़प में 33 लोग घायल हुए जो आम नागरिक थे।

इस्राईली सैनिकों के हाथों अब तक शहीद होने वाले अरीनल उसूद संगठन के पांच लड़ाकों के अंतिम संस्कार में हज़ारों की संख्या में भाग लिया। इस बीच संघर्ष जारी रखने और इस्राईल को उखाड़ फेंकने की प्रतिज्ञा पर आधारित नारे गूंजते रहे।

पांचों शहीदों की माओं ने इस मौक़े पर जिस साहस का परिचय दिय वह बेमिसाल है। अरीनल उसूद संगठन के एक शहीद जांबाज़ वदीअ अलहूह थे जिनकी हत्या करके इस्राईली प्रधानमंत्री याईर लपीद ने अपनी पीठ थपथपाई उसने अपनी शहादत से एक सप्ताह पहले अपने फ़ेसबुक पेज पर लिखा था हम हरगिज़ झुकने वाले नहीं हैं, जीतेंगे या मौत को गले लगाएंगे।

अरीनल उसूद संगठन का इस्राईल से भयानक इंतेक़ाम शुरू हो हो चुका है। इस संगठन का जज़्बा आज फ़िलिस्तीन के हर कोने में फैल चुका है। संगठन ने कहा है कि अपने शहीदों का बदला इस्राईल से ज़रूर लेगा। सन 2000 में उठने वाले इंतेफ़ाज़ा आंदोलन के जांबाज़ों और शहीदों की कहानियां जिन लोगों को याद हैं उन्हें अच्छी तरह पता है कि अरीनल उसूद संगठन अपना इंतेक़ाम ज़रूर लेगा। उस इंतेफ़ाज़ा में भी नाबलुस शहर की केन्द्रीय भूमिका थी।

समझौता तो यह हुआ था कि नाबलुस शहर की सुरक्षा फ़िलिस्तीनी प्रशासन के हाथ में होगी और इस शहर में इस्राईली सैनिक नहीं घुसेंगे तो क्या वजह है कि फ़िलिस्तीनी प्रशासन नाबलुस पर इस्राईली सेना के हमले पर ख़ामोश है।

इस्राईल जो कुछ कर रहा है वह किसी युद्ध अपराध से कम नहीं है मगर विश्व संस्थाएं ख़ामोशी से तमाशा देख रही हैं। हमें विश्व समुदाय से भी सवाल करना है कि वह यूक्रेन पर रूस के हमलों में होने वाले नुक़सान, इस युद्ध पर ख़र्च होने वाले अरबों डालर और युद्ध में इस्तेमाल होने वाले मिसाइलों और ड्रोन विमानों पर तो बड़ा शोर मचा रहा है मगर इस्राईली ज़ुल्म पर उसकी आवाज़ नहीं निकलती।

हम यहां अरब लीग और अरब सरकारों की तो ख़ैर बात ही नहीं करेंगे और न उनको उनका कर्तव्य याद दिलाएंगे। हम उनसे यह भी नहीं कहेंगे कि आलोचना के दो शब्द ही बोल दें। वजह साफ़ है। वजह यह है कि जब हम अरीनल उसूद के बारे में बात कर रहे हैं तो उनके साथ इन सरकारों का नाम लेना इस महान संगठन का अपमान है।

फ़िलिस्तीनी शेर ज़रूर अपना इंतेक़ाम लेंगे और जब उनके हमले बड़े पैमाने पर शुरू होंगो तब यही पाखंडी विश्व समुदाय फ़ौरन इस्राईल के लिए आंसू बहाना और छाती पीटना शुरू कर देगा। इससे पहले इंतेफ़ाज़ा आंदोलन के समय भी यही हुआ था। उस आंदोलन की आग बुझाने के लिए चार पक्षीय कमेटी और न जाने क्या क्या अरब सरकारों की मदद से बना दिया गया मगर अरीनल उसूद संगठन संगठन इस तरह के किसी भी झांसे में आने वाला नहीं है। यह तय है कि वेस्ट बैंक के इलाक़े में इन जांबाज़ों की नस्ल बढ़ेगी, पनपेगी और फैलेगी यही नहीं फ़िलिस्तीन के हर शहर में उभरेगी और एक दिन इस्राईली समुद्र की ओर भागते दिखाई देंगे जहां अपने छिपने के लिए कोई आइलैंड वग़ैरा तलाश करें और फिर वहां से उन देशों में लौटें जहां से पलायन करके फ़िलिस्तीन पर क़ब्ज़ा करने पहुंचे थे।

अब्दुल बारी अतवान

अरब दुनिया के जाने माने लेखक व टीकाकार जो फ़िलिस्तीनी मूल के हैं।