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अल-शिफ़ा अस्पताल में इसराइली सैनिकों को नहीं मिली सुरंगें, हमास के ठिकाने : अब क्या आरोप लगायेगा आतंकी इस्राईल : रिपोर्ट

ग़ज़ा सिटी के सबसे बड़े अल-शिफ़ा अस्पताल में इसराइली सैनिकों को घुसे कई दिन हो गये हैं और ऐसा लग रहा है कि वे हमास के कमांड सेंटर की खोज में तलाश कर रहे हैं.

हमें ये याद रखना होगा कि अस्पताल के अंदर स्वतंत्र पड़ताल की कोई व्यवस्था नहीं है. ग़ज़ा में पत्रकार स्वतंत्र रूप से नहीं जा सकते और जो लोग वहां से रिपोर्टिंग कर रहे हैं वे इसराइली सेना के संरक्षण में काम कर रहे हैं.

अभी तक इसराइल ने जो सबूत पेश किए हैं, और अस्पताल में हमास के गुप्त ठिकाने के बारे में इसराइलियों ने जो बढ़-चढ़कर बयानबाज़ी की है कि वहां हमास का कमांड और कंट्रोल सेंटर था, उस पर मुझे भरोसा नहीं है.

अगर वहां कमांड सेंटर था, और 2014 से ही इसके होने का अनुमान बना हुआ था, तो इसराइलियों ने अभी तक इसकी मौजूदगी के पक्के सबूत बाहरी दुनिया को नहीं बताए हैं.

इतनी तलाशी के बाद अभी तक जो कुछ बरामद हुआ है, वो हैं कुछ कलाश्निकोव राइफ़लें, जो कि पश्चिम एशिया में आम है, एक सुरंग का प्रवेश द्वार, जो कि ग़ज़ा में कई हैं, कुछ सैन्य वर्दियां और बूबी ट्रैप्ड गाड़ियां.

हालांकि अस्पताल के नीचे हमास का बड़ा हेडक्वार्टर होने के सबूत मिलने की अभी भी संभावना बनी हुई है.

आख़िरकार, इस अस्पताल को इसराइलियों ने ही 1970 के दशक में ग़ज़ा पर अपने पूर्ण नियंत्रण के दौरान बनवाया था, और यह बहुत बड़ी जगह है जहां चप्पे चप्पे की तलाशी में काफ़ी समय लगेगा.

ये जगज़ाहिर है कि जिन इसराइली आर्किटेक्टों ने अल-शिफ़ा को डिज़ाइन किया था, उन्होंने इसमें काफ़ी बेसमेंट शामिल किए थे.

अल-शिफ़ा पर बहुत कुछ निर्भर

ये भी संभव है कि इसराइलियों को कुछ मिला है और किसी कारणवश, शायद सैन्य या सुरक्षा के लिहाज़ से- उन्होंने इसका खुलासा करने से परहेज़ किया हो.

ऐसा क्यों होगा, ये साफ़ नहीं है- इसराइल का अल-शिफ़ा पर बहुत अधिक दांव है.

सात अक्टूबर की शुरुआत से ही, जब हमास ने औचक हमला कर 1,200 लोगों को मार डाला, जिनमें अधिकांश इसराइली नागरिक थे, ये कहा गया कि इस अस्पताल तक पहुंचना इसके मुख्य टार्गेट में से एक है.

हमास अपनी कार्रवाईयों के लिए ग़ज़ा के अस्पतालों को इस्तेमाल कर रहा है, इसे साबित करना इसराइल का मुख्य उद्देश्य है और इन आरोपों का हमास लगातार खंडन करता रहा है.

ग़ज़ा में इतने बड़े पैमाने पर लोगों को मारने को सही ठहराने के पीछे इसराइल का मुख्य तर्क रहा है कि हमास उन्हें मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे. ग़ज़ा में करीब एक महीने में 11,500 से अधिक लोगों की मौत हुई है.

इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने बीते गुरुवार को एक इंटरव्यू में दावा किया था कि हमास ने अस्पताल में अपना एक मिलिटरी कमांड सेंटर बना रखा था.

वो ये भी इशारा कर रहे हैं कि यहां बंधकों को भी रखा गया था. इसराइली डिफ़ेंस फ़ोर्सेज़ ने कहा है कि अल शिफ़ा के क़रीब एक घर से 65 साल की बंधक येहुदित वीस का शव बरामद हुआ है.

ग़ज़ा में हमास जिन 200 से अधिक बंधकों को अगवा कर ले गया है, उन्हें छुड़ाने के लिए क़तर की मध्यस्थता में बातचीत चल रही है.

लेकिन अगर अल शिफ़ा या अन्य कहीं हमास के हेड क्वार्टर के पक्के सबूत नहीं मिल सके, तो इसराइल पर अंतरराष्ट्रीय जगत का युद्ध विराम को लेकर दबाव बढ़ने जा रहा है.

पिछले 42 दिनों में ग़ज़ा में इसराइल द्वारा इतने अधिक नागरिक मारे गए. इसराइल के इस तरीक़े को लेकर अमेरिका में चिंताएं बढ़ रही हैं और अमेरिका इकलौता अंतरराष्ट्रीय ताक़त है जिसकी इसराइली परवाह करते हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कहा है कि इसराइली को अपनी रक्षा करने का अधिकार है लेकिन उसे इसे सही तरीक़े से करना होगा, यानी युद्ध के नियम मानने होंगे.

बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पास किया जिसमें युद्ध में मानवीय आधार पर रुकावट को और बढ़ाने की मांग की गई थी और इसको अमेरिका ने वीटो नहीं किया.

यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम है क्योंकि यह पहला प्रस्ताव है जो बिना हमास की आलोचना के पास हुआ और इसे अमेरिका या ब्रिटेन ने वीटो भी नहीं किया.

‘ये कार्रवाईयां और आतंकवाद पैदा करेंगी’

एक और दिलचस्प घटनाक्रम, ‘एल्डर्स’ की अपील का प्रकाशन है. ये दुनिया भर के पूर्व प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपतियों और वयोवृद्ध शख़्सियतों का एक ग्रुप है जिसने अपने बयान में हमास की आलोचना की है लेकिन साथ ही साथ इसराइल को चेतावनी भी दी है.

बयान में कहा गया है, “ग़ज़ा को तबाह करना और नागरिकों को मारना, इसराइल को सुरक्षित नहीं बनाएगा. ये कार्रवाईयां इस क्षेत्र और इससे बाहर भी और आतंकवाद को जन्म देंगी. इस संघर्ष का सैन्य हल नहीं है.”

तो, इसराइली इस बात को जानते हैं कि उन पर युद्ध विराम का दबाव बढ़ रहा है और इसराइली रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं जो और तेज़ होंगे.

इसका बहुत आसानी से अंत नहीं होने जा रहा है. मैं नहीं समझता कि ऐसा कोई वक़्त आएगा जब इसराइल कह सके कि उनका काम ख़त्म हुआ, अब वे ग़ज़ा छोड़ सकते हैं.

ऐसा लगता है कि सरकार के पास भी इसके बाद का प्लान नहीं है. नेतन्याहू ने केवल इतना कहा है कि ‘आतंक को फिर से पनपने’ से रोकने के लिए ग़ज़ा की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी इसराइल लेगा.

एक ऐसी जगह जिसने बड़े पैमाने पर हत्याएं और तबाही देखी है, वहां इसराइल जो कुछ करता है, उसके बदले उसे उन 20 लाख से अधिक लोगों से निपटना पड़ेगा जो उनसे नफ़रत करेंगे. उनका सामना बग़ावत से हो सकता है, हालांकि ये इस बात निर्भर करता है कि वे कितना रुकते हैं.

इसलिए इसराइल के लिए यह साबित करना बहुत अहम है कि उसके पास ऐसे तरीके इस्तेमाल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, जिसमें हज़ारों नागरिक मारे गए, ताकि उसके सहयोगी देश युद्ध विराम के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव के सामने उसकी ढाल बने रहना जारी रखें.

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जेरेमी बोवेन
पदनाम,बीबीसी इंटरनेशनल एडिटर