विशेष

आँखें बन्द कर लें और ऐसे लेट जायें मानो हम अपने साथी के साथ लेटे हैं!

स्वामी देव कामुक
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उसने उसे देखा
धीरे धीरे रेंग रहा हूँ
बिना मेहनत के
ग्लाइडिंग
कमरे के पार

पीछे का तीर
एक पैर के बाद एक पैर
गांड हिल रहा है
एक कामुक द्वार में
वह उसकी ओर बढ़ गई



कोई शर्म की बात नहीं
उसके कामुक नृत्य में
विनम्रता का कोई प्रयास नहीं
केवल अनुसरण कर रहे हैं

फर्श पर
उनके चरणों में
वह बढ़ने लगी
उसकी तरफ तरसते हुए देख रहा हूँ
उसके घुटनों पर
उसके लिए पहुँच रहा हूँ

उसकी आँखें उससे मिल रही हैं
….. निवेदन करते हुए
गुलाबी नम जीभ
धीरे से चाटता है
टटोलते हुए होठों के पार
एक जंगली भावुक भेड़िया, फिर भी सुंदर
उसके घुटनों पर
फुसफुसाते हुए ….
… भूख लगी है ।।
आप का
Swami Dev

स्वामी देव कामुक
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तुम कलयुग की ‘राधा’ हो
तुम पूज्य न हो पाओगी…
कितना भी आलौकिक और नैतिक
प्रेम हो तुम्हारा
तुम दैहिक पैमाने पर नाप दी जाओगी…!
तुम मित्र ढूँढ़ोगी
वे प्रेमी बनना चाहेंगे
तुम आत्मा सौंप दोगी
वे देह पर घात लगायेंगे
पूर्ण समर्पित हो कर भी
तुम ‘राधा’ ही रहोगी
‘रुक्मिणी’ न बन पाओगी…!
पुरुष किसी भी युग के हो
वे पुरुष हैं…
अतः सम्माननीय हैं
तुम तो स्त्री हो
तुम ही चरित्रहीन कहलाओगी…!
वो युग और था
ये युग और है
तब ‘राधा’ होना
पूज्य था
अब ‘राधा’ होना हेय है
तुम विकल्प ही रहोगी
प्राथमिकता न हो पाओगी…!
एक पुरुष हो कर जो
स्त्री की ‘मित्रता’ की मर्यादा समझे
निस्वार्थ प्रेम से उसे पोषित करे
समाज की दूषित नजरों से बचा कर
अपने हृदय में अक्षुण्ण रखे
वो मित्र कहाँ से लाओगी ?
वो ‘कृष्ण’ कहाँ से लाओगी ?
तुम कलयुग की राधा हो
😓😓😓
तुम पूज्य न हो पाओगी…!!
तुम्हारा स्वामी देव

स्वामी देव कामुक
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आज तक जितनी शादियों मे मै गया हूँ, उनमे से करीब 80% में दुल्हा-दुल्हन की शक्ल तक नही देखी… उनका नाम तक नही जानता था… अक्सर तो विवाह समारोहों मे जाना और वापस आना भी हो गया पर ख्याल तक नही आया और ना ही कभी देखने की कोशिश भी की, कि स्टेज कहाँ सजा है, युगल कहाँ बैठा है…
बैठा भी है कि नहीं, या बरात आई या नहीं…
भारत में लगभग हर विवाह में हम 70% अनावश्यक लोगों को आमंत्रण देते हैं…
अनावश्यक लोग वो है जिन्हें आपके विवाह मे कोई रुचि नही..वे केवल दावत में आये होते हैं…
जो आपका केवल नाम जानते हैं…
जो केवल आपके घर की लोकेशन जानते हैं.. जो केवल आपकी पद-प्रतिष्ठा जानते हैं…
और जो केवल एक वक्त के स्वादिष्ट और विविधता पूर्ण व्यञ्जनों का स्वाद लेने आते हैं…
ये होते हैं अनावश्यक लोग….
विवाह कोई सत्यनारायण भगवान की कथा नही है कि हर आते जाते राह चलते को रोक रोक कर प्रसाद दिया जाए…
केवल आपके रिश्तेदारों, कुछ बहुत निकटस्थ मित्रों के अलावा आपके विवाह मे किसी को रुचि नही होती..
ये ताम झाम, पंडाल झालर, सैकड़ों पकवान, आर्केस्ट्रा DJ, दहेज का मंहगा सामान एक संक्रामक बीमारी का काम करता है.. कैसे..?
लोग आते हैं इसे देखते हैं और सोचते हैं..
“मै भी ऐसा ही इंतजाम करूँगा,
बल्कि इससे बेहतर करूंगा “..
और लोग करते हैं… चाहे उनकी चमड़ी बिक जाए..
लोग 70% अनावश्यक लोगों को अपने वैभव प्रदर्शन करने में अपने जीवन भर की कमाई लुटा देते हैं.. लोन तक ले लेते हैं..
और उधर विवाह मे आमंत्रित फालतू जनता , गेस्ट हाउस के गेट से अंदर सीधे भोजन तक पहुच कर, भोजन उदरस्थ करके, लिफाफा पकड़ा कर निकल लेती है..
आपके लाखों का ताम झाम उनकी आँखों में बस आधे घंटे के लिए पड़ता है,
पर आप उसकी किश्तें जीवन भर चुकाते हो…
क्या हमें इस अपव्यय और दिखावे को रोकना नहीं चाहिए..!
(विचारार्थ)
🙏
तुम्हारा स्वामी देव

स्वामी देव कामुक
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कस्तूरी_चाहत…!
प्रेम
पंथ में जीत
हार की,
रीत पुरानी
देखी हमने.. !
आँचल में
रखे सौ-सौ
दुखड़े,
दर्द बयानी
देखी हमने…!
मनवा
मिटता रहा
हमेशा,
फिर भी
कस्तूरी चाहत में,
ढाई
आखर इस
दुनियां की,
यह अजब कहानी
देखी हमने…!
तुम्हारा स्वामी देव

स्वामी देव कामुक
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🌹दो अनजाने मिलते है मिलकर संग संग चलते है🌹
🌹 सुख दुख के साथी है दोनो गिरते और संभलते है🌹
🌹 पति का नाम भरोसा और पत्नी का नाम समर्पण🌹
🌹 पति पत्नी इक दूजे पे कर देते सब अर्पण🌹
🌹 पति के उदास होते ही पत्नी के निकलते आंसू🌹
🌹 सुख दुख के साथी दोनो गिरते और संभलते है🌹
🌹 नोक झोंक इक इस रिश्ते की निशानी होती🌹
🌹 रूठने और मानने में मशहूर कहानी होती🌹
🌹 जीवन रूपी गाड़ी में कभी न बदलने वाले पहिए होते🌹
🌹 सुख दुख के दोनो साथी गिरते और संभलते है🌹
🌹 हम दो हमारे दो की घड़ी सुहानी आती🌹
🌹 पुत्र पिता का पुत्री मां का बचपन फिर से लाती है🌹
🌹 सोलह संस्कारों में विवाह को सब शास्त्र सबसे उत्तम मानते है🌹
🌹 शादी का लड्डू वास्तव में अपना असर दिखाता है🌹
🌹 खाने वाला पछताता है न खाने वाला ललचाता है🌹
🌹 खाकर ही पछताने में फायदा यही बड़े बुजुर्ग कहते है🌹
🌹 सुख दुख के साथी दोनो गिरते और संभलते है🌹
🌹 विवाह किया तो विश्वास रखना अपने जीवन साथी पे🌹
🌹 कान देखना कोवा नही बात बात पे मत जाना लड़🌹
🌹 महल हो या जंगल सिया राम जी की तरह मिलकर रहना🌹
🌹 सुख दुख के साथी दोनो गिरते और संभलते है🌹
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तुम्हारा स्वामी देव

स्वामी देव कामुक
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काम-आलिँगन के बिना
ऐसे मिलन का स्मरण कर के भी रूपान्तरण होगा]”
एक बार हम इसे जान गये तो
प्रेम-पात्र की, साथी की जरुरत भी नहीं है !
तब हम कृत्य का स्मरण कर उस में प्रवेश कर सकते हैं !
लेकिन पहले भाव का होना जरूरी है !
अगर भाव से परिचित हों तो साथी के बिना भी
हम कृत्य में प्रवेश कर सकते हैं !
इस विधि का प्रयोग करते समय
आँखें बन्द रखना अच्छा है
तो ही वर्तुल का आन्तरिक भाव,
एकता का आन्तरिक भाव निर्मित हो सकता है !
और फिर उसका स्मरण करें !
आँखें बन्द कर लें और
ऐसे लेट जायें मानो हम अपने साथी के साथ लेटे हैं !
स्मरण करें और भाव करें !
हमारा शरीर काँपने लगेगा,
तरङ्गायित होने लगेगा !
उसे होने दें !
यह बिलकुल भूल जायें कि दूसरा नहीं है !
ऐसे गति करें जैसे कि दूसरा उपस्थित है !
शुरू में कल्पना से ही काम लेना होगा !
एक बार जान गये कि यह कल्पना नहीं, यथार्थ है ;
तब दूसरा मौजूद है !
ऐसे गति करें जैसे कि
हम म वस्तुतः सम्भोग में उतर रहे हैं,
वह सब कुछ करें
जो हम अपने प्रेम-पात्र के साथ करते ;
चीखें, डोलें, काँपें !
शीघ्र वर्तुल निर्मित हो जायेगा !
और यह वर्तुल अद्भुत है !
शीघ्र ही हमें अनुभव होगा कि वर्तुल बन गया,
लेकिन अब यह वर्तुल स्त्री-पुरुष से नहीं बना है !
अगर हम पुरुष हैं तो सारा ब्रह्माण्ड स्त्री बन गया है
और अगर हम स्त्री हैं तो सारा ब्रह्माण्ड पुरुष बन गया है ! अब हम खुद अस्तित्व के साथ प्रगाढ़ मिलन में हैं
और उसके लिए दूसरा द्वार की तरह अब नहीं है !!
(साभार ओशो)
तुम्हारा स्वामी देव

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है