सेहत

आंकडों के अनुसार 45 करोड़ से भी अधिक लोग मानसिक विकारों से ग्रस्त हैं, मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने का एक अच्छा तरीक़ा हंसना है!

विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा के अनुसार रोग का उपचार, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक शैलियों से अच्छी तरह से किया जा रहा है।

मानसिक स्वास्थ्य की परिभाषा के अनुसार इससे, एक व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता चलता है और उसमें यह विश्वास पैदा होता है कि वह जीवन के तनाव का सामना कर सकता है । आंकडों के अनुसार 45 करोड़ से भी अधिक लोग मानसिक विकारों से ग्रस्त हैं। । इसका कारण यह है कि लोग अपने मानसिक स्वास्थय पर दयान नहीं देते जिस तरह से लोग अपने शारीरिक स्वास्थ पर ध्यान देते हैं उसी तरह से लोगों को मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए।

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने का एक अच्छा तरीक़ा हंसना है क्योंकि हसंने से अवसाद दूर होता है। अध्ययनों से पता चलता है कि एम्मोनोग्लोबोलिन नामक हार्मोन्ज़ की शरीर में मात्रा का हसंने से सीधा संबंध होता है । इसके अलावा हंसने से मनुष्य में रोग-प्रतिरोधी क्षमता मज़बूत होती है जिसकी वजह से वह कम बीमार पड़ता है। अध्ययनों से पता चलता है कि हंसने के दौरान मनुष्य के शरीर में एंटी वायरल कोशिकाएं तेजी से बनती है और उसकी रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है। इसके साथ ही अध्ययनों से पता चलता है कि हंसने से शरीर में एंडोरफिंस नामक हार्मोन का स्राव होता है जो मोर्फीन की तरह दर्द को कम करता है।

बेहतर स्वास्थ्य में हंसने की भूमिका की खोज नई नहीं है बल्कि सन 1979 में एनाटोमी अॅाफ एन इलनेस के लेखक नॅार्मन कज़िन्स ने विश्व समुदाय का ध्यान इस तथ्य की ओर आकृष्ट किया था। उन्होंने अपनी किताब में अपने जीवन के बारे में लिखा है कि जब उनका जीवन नाड़ियों की एक बीमारी के कारण खतरे में पड़ गया था तो किस तरह वह इस खतरे से बचने में सफल हुए। उन्होंने अपने विटामिन सी की ही मात्रा में हंसने का कार्यक्रम रखा और तब उन्हें पता चलता कि दस मिनट हंसने के परिणाम में वह दो घंटे तक चैन की नींद सो सकते हैं और इसी प्रकार हंस हंस कर अन्ततः वह अपने रोग को हराने में सफल हुए और अप्रत्याशित रूप से उनकी बीमारी दूर हो गयी और वह स्वस्थ्य हो गये।

हंसना शरीर के लिए एक बहुत अच्छा व्यायाम है। एक मिनट हंसना, चालीस बार गहरी सांस लेने के बराबर है। हंसने से जिस तरह से मांसपेशियों में हलचल होती है दूसरे किसी व्यायाम से एेसा कम ही होता है। इसी प्रकार प्रतिदिन 15 मिनट हंसने से , सुबह सुबह पैदल चलने से होने वाले लाभ का बड़ा हिस्सा प्राप्त हो जाता है। इस लिए यह शैली विशेषकर उन लोगों के लिए जो शारीरिक रूप से व्यायाम करने में अक्षम है, काफी प्रभावशाली हो सकती है। मैरीलैंड यूनिवर्सिटी में किये गये एक अध्ययन के अनुसार हंसना, मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी है। इसी यूनिवर्सिटी में कार्डियोलॅाजी सेन्टर के प्रमुख माइकल मिलर, इस बारे में अध्ययन के बाद कहते हैंः एक कॅामेडी फिल्म देखते हुए दो घंटों तक ठहाके लगा कर हसंने का प्रभाव, आधे घंटे तक जिमनास्टिक करने जितना होता है।

हंसना, सामाजिक संपर्क का भी एक अत्यन्त शक्तिशाली साधन है और मनुष्य से प्रकट होने वाली पहली सकारात्मक भावना है। आक्रोश और घृणा के विपरीत हंसी, अन्य लोगों को आप से निकट करती है। वैसे आप ने अवश्य यह अनुभव किया होगा कुछ लोगों को हंसते देख कर आप को भी हंसी आ जाए यह वास्तव में यह मिरर न्यूरोन सिस्टम की वजह से होता है जब कुछ लोग हंस रहे होते हैं तो वास्तव में आप के मस्तिष्क को यह संदेश मिलता है कि आप दोस्तों में हैं। कहते हैं कि अगर व्यक्ति प्रतिदिन एक मिनट हंस ले तो शरीर में इतने न्यूरो केमिकल बनते हैं जिन्हें अगर आप किसी लेबोरेट्री से खरीदने जाए तो आपको 6 लाख रुपए तक की कीमत चुकानी पड़ सकती है। एक को देख दूसरा भी हंसने लगता है विशेषज्ञों का कहना है कि हंसी व्यापक असर डालती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति पर अपना प्रभाव डालती है। एक हंसता है तो उसे देखकर दूसरा भी हंसने लगता है। हंसने में शरीर की 12 मांसपेशियां कार्य करती है। हंसने से शरीर के सभी शांति दायक बिन्दु सक्रिय होते हैं, साथ ही हृदय और मस्तिष्क बेहतर कार्य करता है। हंसने से फेफड़े के हरेक भाग में प्राणवायु अच्छे से पहुंचती है और इसके साथ ही फेफड़ों का व्यायाम भी हो जाता है।

हंसने हसांने वाले व्यक्ति के चेहरे पर यदि आप गौर करें तो आप को हमेशा तनाव में रहने वालों की तुलना में काफी अंतर नज़र आएगा हंसने हंसाने वाले व्यक्ति का पता उसके चेहरे से चल जाता है। उसका चेहरा चमकता है। लगातार हंसने से शरीर में अधिक मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचता है जिससे दिल से धमिनयों में खून पंप करने की क्रिया तेज़ होती है और रक्त प्रवाह अच्छी तरह होता है। क्रोध , घबराहट और तनाव दूर होता है। चिड़ेचिड़े पन या क्रोध,घबराहट और तनाव में रहने वालों को सब भुलाकर अधिक से अधिक हंसना चाहिए। अध्ययननों में पाया गया है कि तनाव के कारण शरीर में रक्त संचरण 35 प्रतिशत धीमा हो जाता है जबकि हंसी के चलते 20 प्रतिशत बढ़ जाता है।

हंसना अगर बनावटी हो तो भी उस से शांतिदायक हार्मोंज़ पैदा होते हैं ‍और इससे शरीर व मन में प्रफुल्लता होती है वैसे एक बात यह भी है कि बनावटी हंसी कभी कभी असली हंसी में भी बदल जाती है और चूंकि हंसी दूसरों को भी हंसाती है इस लिए बड़ी जल्दी दूसरे लोग भी हंसने लगते हैं यही वजह है कि भारत के कई क्षेत्रों में विभिन्न पार्कों में लोगों को गुटों में हंसते हुए देखा जा सकता है। सन 1998 में डॉ. मदन कटारिया ने हास्य योग की शुरूआत मुंबई से की थी। उस समय उनके कार्यक्रम में 12 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था। फिर उन्होंने लाफ्टर क्लब की स्थापना की । आज यह क्लब विभिन्न देशों में चल रहा है। इस क्लब में हंसाने के लिए स्वभाविक शैलियों के बजाए कुछ विशेष प्रकार के व्यायाम कराए जाते हैं । इस क्लब के सदस्यों का उद्देश्य, लोगों को जीवन के तनाव से मुक्त करना है।