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“बाढ़, सूखा और टेन परसेंट”
सुनो रे किस्सा, Suno Re Kissa =============== · “बाढ़, सूखा और टेन परसेंट” जोर लगा बे ” शैतान जने”, तखत पर अधनंगे, औंधे मुँह पड़े, “विधायक डब्बू भइया” ,और उनकी तेल मालिश करता “सज्जन” बदमाश, समझता है न “सज्जन”, “भगीरथी” कल्क्टर साहब का करैक्टर, हमसे पूछते हैं बाढ़ पीड़ित फंड के बारे में, अरे बाढ़ […]
तीन क़िस्से भूतों के….खाना, कपड़ा, घर की भूतों को ज़रूरत होती नहीं थी, इसलिए उन्हें…!
Kavita Krishnapallavi ============== तीन किस्से भूतों के…. (किस्से तो मेरे पास भूतों के भी बहुत हैं ! अब इस भुतहे माहौल में भूतों से कोई क्या डरेगा भला ! बल्कि भूत आजकल ज्यादा डरे-डरे रहते हैं उनसे जिन्होंने देश को इस क़दर श्मशान बना डाला है कि श्मशान ज्यादा सुकूनतलब जगह लगने लगा है ! […]
तो मैंने धीरे से पूछ लिया कौन सी क़िताब लिखी है आपने ? वो धीरे से बोले – इरफ़ान
Sanjay Pandey ============== कल एक नाटक देखने पृथ्वी थिएटर (जुहू, मुंबई ) गया था नाटक शुरू होने में थोड़ा वक्त था तो तब तक वहाँ की लायब्रेरी में कुछ किताबें ख़रीदने चला गया ,जब किताबों का बिल दे रहा था तो वहाँ काउंटर पे एक सज्जन उस बंदे से बात कर रहे थे जो काउंटर […]