साहित्य

आपके पापा इज़्ज़त से रोटी तो कमाते हैं न! चोरी तो नहीं करते कहीं!

Poonam Jarka ·

===============
#पहचान_TrueFriend
आज नवीं कक्षा में पढ़ने वाला अमन, पापा की मदद करने सलून पर आया था। एक लड़का छुट्टी पर था, और रविवार के कारण भीड़ रहती थी। वह याद करने का काम साथ ही ले आया था। अमन पढ़ने-लिखने में होशियार था, जिससे महेश के मन को बहुत संतोष रहता था।
सलून पर आज बहुत भीड़ थी। महेश एक नौकर के साथ खुद भी काम में लगा था। अमन को जरा भी पढ़ने का मौका न मिला था, भीड़ कम हुई तो उसने किताब में नज़रें गड़ा दीं।

“यार! बाल कटवाने आया है क्या?” उसका क्लासमेट राहुल उसके सामने खड़ा हो कर पूछ रहा था। बाहर उसका ड्राइवर कार लिए खड़ा था।
अमन को काटो तो खून नहीं, वह बुरी तरह से सकपका गया था। उसके मुँह से आवाज ही नहीं निकली।
“अरे क्या हुआ तुम्हें? मैं तो हमेशा यहीं आता हूँ,” राहुल उसे वहाँ देख कर हैरान था।

“आप इधर आ जाइये, मैं आपके बाल काट देता हूँ,” महेश बोला।

“पता नहीं इसे क्या हुआ अंकल। ये तो मेरा अच्छा दोस्त है, ऐसे तो कभी नहीं बिहेव किया इसने मेरे साथ,” राहुल सलून-चेयर पर बैठा।

“आप चिंता न करें, वह ठीक है,” महेश ने अमन की तरफ देखा जो किताब में नज़रें गड़ाये बैठा था।

राहुल ने बाल कटवा कर जाते हुए उसे ‘बाय’ भी किया, लेकिन अमन ने किताब से नज़रें नहीं उठाईं।

“तुम्हें क्या हुआ मेरे बेटे?” महेश ने कुछ समझने की कोशिश की।

“पापा, राहुल मेरा बहुत अच्छा दोस्त है। आज उसे पता चल गया कि मेरे पापा…”

“…नाई का काम करते हैं… तो क्या बेटा? आपके पापा इज्जत से रोटी तो कमाते हैं न! चोरी तो नहीं करते कहीं! आपको अच्छे स्कूल में पढ़ाने के लिए मेहनत करते हैं, किसी को धोखा तो नहीं देते न…”

“लेकिन पापा, अब राहुल मेरा दोस्त नहीं रहेगा,” अमन रूआंसा था।

“ऐसा नहीं है बेटा, अगर वह सच में आपका अच्छा दोस्त है, तो आपकी दोस्ती में कोई अंतर नहीं आयेगा। दोस्ती अमीरी-गरीबी नहीं देखती। अगर वह दोस्त नहीं रहा, तो भी आपका ही फायदा है”।

“वह कैसे पापा?” अमन की आँखों में ग़म भरा था।

“आपको पता चल जायेगा न कि वह आपका अच्छा दोस्त नहीं है। आप अच्छे दोस्तों की तलाश जारी रखना; बड़ी मुश्किल से मिलते हैं”।