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आपने अपना भविष्य खो दिया है…..और धीरे-धीरे लोग इस भ्रम जाल मे फंसकर लोकायत को भूल ही गयें!

Shiva Nand Yadav
@shivanandyadaw
‘याव जिवेत, सुखम् जिवेत’ नास्तिक भारतीय दार्शनिक चार्वाक ने कहा था. लेकिन उसके पाखंडी आलोचकों ने अफवाह फैलाने के लिए एक कड़ी ‘ऋणम् कृत्वा घृतम् पिवेत’ जोड़ दिया. और धीरे-धीरे लोग इस भ्रम जाल मे फंसकर चार्वाक(लोकायत) को भूल ही गयें.

यूरोप में जैसे-जैसे नास्तिकवाद और तर्कवाद बढ़ा उसने प्रगति की. ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में क्रांतियाँ हुईं. वह बाकी दुनिया से आगे निकल गया. अगर भारत ने भी बुध्द और चार्वाक की परंपरा को न छोड़ा होता वो फलीफूली होती तो आज भारत जो विश्वगुरू बनने की चाहत रखता है और दावे करता है शायद वह उस परंपरा से बन गया होता.

अगर हम भारतीय संस्कृति और भारतीय दर्शन की बात करतें हैं तो उनमें से बौध्द, जैन और चार्वाक के दर्शन को उपेक्षित नहीं करना चाहिए. क्योंकि ब्राह्मणवादी या वैदिक दर्शन असमानतावादी है. यह मानवता के लिए खतरा है. जो एक वर्ग को महत्वपूर्ण और दूसरे वर्ग को महत्वहीन मानता है. बाद मे जब इसके(वैदिक/आर्य दर्शन) प्रति लोगों का मोहभंग होने लगा और बौध्द, जैन, लोकायत दर्शन प्रसिद्धि पाने लगे तो पुरोहित पाखंडी इनके विचारों को चुराकर अपना उदारीकरण करने लगे. और इनके खिलाफ अफवाहें फैलाकर तथा राजा और सामंतों को सहारा लेकर धार्मिक युध्द छेड़ दिये. जिसका परिणाम यह हुआ कि भारत से शुरू हुआ बौध्द, जैन और चार्वाक/लोकायत दर्शन हारकर गायब हो गया और पाखंडी आर्य/वैदिक दर्शन की विजयी होकर विस्तार ले लिया.

चार्वाक का महत्व हमें समझना चाहिए. पूरे भारतीय इतिहास में, भारतीय दर्शन मे, भारतीय परंपराओं में चार्वाक को नेस्तनाबूत करके, चार्वाक के दर्शन को खत्म करके, चार्वाक परंपरा को खत्म करके आपने(भारत) क्या खोया है? आपने अपना भविष्य खो दिया है. आप चार्वाक मिटाने वाले अतीत से बंधे हुये हैं. जो वैज्ञानिक विकास में बड़ी बाधा उत्पन्न करता है.

Shiva Nand Yadav
(शोधछात्र, गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर)