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इराक़ की धरती को पड़ोसियों के विरुद्ध प्रयोग नहीं होने देंगे : इराक़ पर हमला करके अमरीका ने ठीक नहीं किया!

इराक़ के प्रधानमंत्री ने कहा है कि वे इस देश की धरती को पड़ोसियों के लिए प्रयोग होने की अनुमति नहीं देंगे।

मुहम्मद अश्शिया अस्सूदानी ने रविवार की रात कहा कि पड़ोस के किसी भी देश के विरुद्ध इराक़ की धरती को प्रयोग नहीं होने देंगे।

इराक़ के प्रधानमंत्री ने अलजज़ीरा टीवी चैनेल को दिये साक्षात्कार में कहा कि ईरान के साथ हमने जो समझौता किया है वह संयुक्त सीमाओं की सुरक्षा करने और वांछित लोगों को वापस देने पर आधारित है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि रविवार को ईरान के साथ होने वाला समझौता, सीमाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा।

रविवार को बग़दाद में इराक़ के प्रधानमंत्री की मौजूदगी में इस देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार क़ासिम अलआरजी तथा ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा की उच्च परिषद के सचिव अली शमख़ानी ने संयुक्त सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। कई महीनों की तैयारी के बाद बनने वाला यह समझौता सुरक्षा चुनौतियों का मुक़ाबला करने में सहायक सिद्ध होगा।

इराक़ पर हमला करके अमरीका ने ठीक नहीं कियाः फारेन पालीसी

अमरीकी पत्रिका फारेन पालीसी ने स्वीकार किया है कि इराक़ पर हमला अमरीका की रणनीतिक ग़लती थीं।

पत्रिका फारेन पालीसी के अनुसार इराक़ पर अमरीकी हमले के दुष्परिणामों ने बहुत ही स्पष्ट ढंग से पश्चिमी एशिया में अमरीका की पोज़ीशन को कमज़ोर कर दिया।

इस पत्रिका के अनुसार इराक पर आक्रमण करके अमरीका ने जो सिरदर्द मोल लिया वह वाशिग्टन की सैन्य कमज़ोरी का परिचायक है। आज से बीस साल पहले 20 मार्च 2003 को अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज डब्लू बुश ने सारे ही अन्तर्राष्ट्रीय नियमों को अनदेखा करते हुए इराक़ पर हमला कर दिया था।

इस हमले के साथ ही अमरीका और ब्रिटेन की सेनाओं ने इराक़ के भीतर व्यापक युद्ध आरंभ किया। कहते हैं कि इसी युद्ध के परिणाम में इराक़ के तानाशाह सद्दाम की सत्ता चली गई। इराक पर अमरीका और उसके घटकों के हमले में कम से कम दो लाख दस हज़ार लोग मारे गए। पेंटागन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इराक़ मे मारे जाने वाले अमरीकी सैनिकों की संख्या लगभग 4487 है।

इस अमरीकी हमले का एक दुष्परिणाम यह निकला कि इराक़ में अशांति पैदा हो गई जो बाद में ख़ूंख़ार आतंकी गुट दाइश के अस्तित्व में आने का कारण बनी। सन 2011 में इराक़ से कुछ अमरीकी सैनिकों की वापसी के बाद से यह देश, दाइश के अड्डे में परिवर्तित हो गया। इराक़ की सरकार ने कई साल पहले इस देश से अमरीकी सैनिकों की पूरी तरह से वापसी पर आधारित एक प्रस्ताव पारित किया था। इराक़ की सरकार के इस प्रस्ताव के बावजूद अब भी इस देश में लगभग ढाई हज़ार अमरीकी सैनिक मौजूद हैं।