इराक़ युद्ध के 20 साल पूरे होने पर ब्राजील के पूर्व राजनयिक जोस मौरिसियो बुस्तानी को अब तक शांति नहीं मिली. 77 साल के इस पूर्व राजनयिक का मानना है कि वो अब तक अपनी उस भूमिका से परेशान हैं जो युद्ध रोकने में कारगर हो सकती थी.
बीबीसी से बात करते हुए बुस्तानी कहते हैं, “मेरी भावनाएं 20 साल बाद भी नहीं बदली.”
वो कहते हैं, “एक बेकार युद्ध हुआ, जिसकी वजह से दोनों पक्षों में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई. इस लड़ाई ने केवल एक चीज़ साबित की कि आप केवल ताकत की मदद से अंतरराष्ट्रीय समाज में हेरफेर कर सकते हैं.”
पूर्व राजदूत जोस मौरिसियो बुस्तानी को विवादास्पद रूप से 2002 में रासायनिक हथियारों के निषेध संगठन के प्रमुख के पद से हटा दिया गया था.
इराक़ युद्ध के प्रकरणों में ब्राजील के पूर्व राजनयिक महत्वपूर्ण भूमिका में थे. साल 2002 के अप्रैल महीने में उन्हें अमेरिका से नज़दीकी की वजह से रासायनिक हथियारों के निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) के महानिदेशक के पद से हटा दिया गया था.
बगदाद का वादा
उस समय बुस्तानी इराक़ को ओपीसीडब्ल्यू में शामिल होने के लिए राज़ी करने की कोशिश कर रहे थे. इस संधि में शामिल होने का मतलब था कि इराक़ में सद्दाम हुसैन की सरकार को निरीक्षकों को किसी भी रासायनिक हथियार तक पूरी पहुंच रखने के लिए बाध्य करेगा.
ऐसा दावा किया जाता है कि सद्दाम हुसैन के पास हथियार के “भंडार” थे, जिसकी वजह से इराक़ पर हमले को जायज़ ठहराने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश के प्रशासन के पास वजह थी.
पूर्व राजनयिक जोस मौरिसियो बुस्तानी याद करते हैं, “साल 2001 के अंत में मुझे इराक़ी सरकार से एक चिट्ठी मिली. इस चिट्ठी में इराक़ी सरकार ने कहा था कि वे ओपीसीडब्ल्यू में शामिल होने और निरीक्षण के लिए ‘तैयार’ है.”
“वो मेरे लिए बेहद खुशी का पल था, लेकिन अमेरिकियों को यह ख़बर बिल्कुल पसंद नहीं आई.”
बगदाद के साथ ये पत्राचार जनवरी 2002 में बुश के ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ में यादगार भाषण से थोड़ा पहले हुआ था. 9/11 के हमलों के बाद ये उनका पहला भाषण था.
इस भाषण में उन्होंने ईरान, इराक़ और उत्तर कोरिया को “बुराई की धुरी” के तौर पर पेश किया और सद्दाम सरकार पर रासायनिक और परमाणु हथियार विकसित करने की साजिश रचने का आरोप लगाया.
साल 1997 से बुस्तानी ओपीसीडब्ल्यू के प्रभारी थे और साल 2002 में दोबारा चुने गए.
उन्होंने बीबीसी को बताया कि, 1990-91 के खाड़ी युद्ध के बाद इराक़ के रासायनिक हथियारों को नष्ट करने को लेकर ओपीसीडब्ल्यू के पास “पर्याप्त खुफ़िया जानकारी” थी.
उन्होंने ये भी कहा कि ओपीडब्ल्यू का मानना था कि उस संघर्ष के बाद से गंभीर प्रतिबंधों के कारण स्टॉक को दोबारा पाटने की “कोई क्षमता नहीं” थी.
जोस मौरिसियो बुस्तानी कहते हैं, “मेरा मानना है कि अमेरिका के पास 9/11 के बदले की पहले से एक योजना थी, क्योंकि वे आश्वस्त थे कि सद्दाम हुसैन हमलों से जुड़ा था. जैसे ही मैंने उन्हें इराक़ के बारे में बताया, मुझे बेदखल करने का मिशन शुरू हो गया.”

वाशिंगटन का यू-टर्न
अमेरिकी सरकार ने जोस मौरिसियो बुस्तानी की “प्रबंधन शैली” के बारे में शिकायत की थी. इसके बाद सरकार ने “वित्तीय कुप्रबंधन”, “पूर्वाग्रह” और “गलत पहल” के आरोप को भी शामिल किया.
बुस्तानी को 2001 में तत्कालीन विदेश मंत्री कॉलिन पॉवेल ने प्रभावशाली काम के लिए धन्यवाद देने के लिए चिट्ठी लिखी थी.
कॉलिन के समर्थन से लेकर सरकार के आरोपों तक ये एक नाटकीय बदलाव था.
ओपीसीडब्ल्यू बजट में सबसे ज़्यादा योगदान देने वाले अमेरिका ने अपना वित्तीय समर्थन वापस लेने की धमकी दी थी.
अमेरिका की पहल पर 21 अप्रैल को एक विशेष बैठक की गई. इस बैठक में ब्राजील को ओपीसीडब्ल्यू से निकालने के लिए मतदान कराए गए. जिसमें 48 देश ब्राजील को ओपीसीडब्ल्यू से बाहर करने के पक्ष में थे, जबकि सात इसके ख़िलाफ़ और 43 देश अनुपस्थित थे.
एक अमेरिकी अफ़सर ने 23 अप्रैल के वाशिंगटन पोस्ट अख़बार में कहा था, कुछ समय से कई देश उनकी प्रबंधन शैली के बारे में चिंतित थे, और सभी ने उन्हें शांति से पद छोड़ने के लिए मनाने का फै़सला किया, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
जीत की हार
बुस्तानी ने अपने पांच साल के कार्यकाल में ओपीसीडब्ल्यू के 87 से 145 देशों तक हुए विस्तार का निरीक्षण किया और दुनिया के रासायनिक हथियार संयंत्रों के एक बड़े हिस्से को नष्ट करने को लेकर बीबीसी ने उस वक़्त रिपोर्ट की थी.
बुस्तानी ने बाद में यूके और फ्रांस में ब्राज़ील के राजदूत के तौर पर काम किया. वो 2015 में सेवानिवृत्त हो गए.
पूर्व राजनयिक बुस्तानी हँसते हुए कहते हैं, “यूके उन देशों में से एक था जिसने ओपीसीडब्ल्यू से मेरी बर्ख़ास्तगी के लिए मतदान किया था, लेकिन मेरा समय उतना भी अजीब नहीं था जितना कोई कल्पना कर सकता है.”
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की मध्यस्थता में ओपीसीडब्ल्यू के ख़िलाफ़ अनुचित बर्खास्तगी का केस भी जीता. मुआवज़े की रकम को उन्होंने ओपीसीडब्ल्यू के बजट में दान कर दिया.
लेकिन इस जीत ने ब्राजील को संतुष्टि की भावना नहीं दी और लड़ाई के वक़्त इराक़ में सामूहिक विनाश के किसी भी हथियार के सबूत की निरंतर कमी थी.
बुस्तानी कहते हैं, “मुझे सुकून नहीं मिलता है. दो दशकों से मैं अब तक निराश हूं कि एक अनावश्यक युद्ध हुआ जिसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया.”
“मुझे सही होने और उस लड़ाई से बचने के लिए बहुत कुछ करना चाहिए था और मुझे अभी भी विश्वास है कि ऐसा संभव हो सकता था.”
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फर्नांडो डुटर्टे
बीबीसी वर्ल्ड सर्विस
Baker Atyani
@atyanibaker
Mar 16
The FBI special agent who interrogated Saddam Hussain says Iraq War was America’s original sin, “a war fought under false assumptions, a conflict that killed thousands of American troops and hundreds of thousands of Iraqis.”
King of Baghdad #Saddam #saddamhussain pic.twitter.com/VOgUs44SiT
— Fareed Ullah (@fareedullahfilm) March 20, 2023
𝔇𝔯𝔄𝔡 𝔑𝔞𝔧𝔦
@AdamNN
11/03/1970,The signing of the autonomy agreement for north of Iraq between deputy RCC Saddam Hussain(Gov of Iraq)&Mullah Mustafa Barzani(Kurds).
The Kurds were granted political,cultural,social& administrative rights,none of the countries in the region had granted them until now
"I am not going to answer to this so-called court, out of respect for the truth and the will of the Iraqi people"
~Saddam Hussain💔 pic.twitter.com/wkDGwGFGaI
— Usama Ch🖤 (@Islamist__BoY) March 19, 2023
Former President Saddam Hussein’s Lake Palace has endured two decades of looting and shelling. A full renovation is being hampered by a lack of resources, which means it will remain in ruins pic.twitter.com/CEjjqVMQBE
— Reuters (@Reuters) March 19, 2023
1/. On 19 March, it’ll be 20 years since the start of the #IraqWar
50 days before war, #OTD in 2003, Bush said “the 16 words”
“The British government has learned that Saddam Hussein recently sought significant quantities of uranium from Africa”
It was a lie, based on a forgery pic.twitter.com/aOWK7gFQxT
— Stefan Simanowitz (@StefSimanowitz) January 30, 2023