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इसकी वजह है- तेज़ी से बुजुर्ग होती जा रही आबादी, न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने ऐसा क्यों कहा, जानिये!

सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कई बातें कहीं। उन्होंने ड्राइवर का भी जिक्र किया।

आइए मामले को विस्तार से जानते हैं

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि आजकल लोगों ने उस धारणा से दूरी बना ली है कि उनकी संतानों में एक लड़का जरूर होना चाहिए। ऐसा शिक्षा के प्रभाव और फैलाव की वजह से हुआ है। पांच जजों की संविधान पीठ की अध्यक्षता करते हुए सीजेआई ने उस धारणा का भी जिक्र किया कि उच्च शिक्षित या संभ्रांत वर्ग के लोग ही कम बच्चे चाहते हैं।

सीजेआई ने कहा कि आज के वक्त में अगर एक महिला-पुरुष के जोड़े की बात करें तो विवाह के बाद वे या तो निसंतान हैं या फिर उनके सिर्फ एक ही बच्चा है। ऐसा शिक्षा के फैलाव, आधुनिक युग के दबाव या फिर तेजी से बढ़ती दौड़भाग की वजह से हो रहा है। इसलिए आप देखते हैं कि चीन जैसे देश भी अब जनसांख्यिकीय लाभांश में नुकसान उठा रहे हैं। इसकी वजह है- तेजी से बुजुर्ग होती जा रही आबादी।

लगातार तीसरे दिन हुई सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि ऐसा क्यों हैं? क्योंकि बेहतर और उच्चा शिक्षा के साथ बड़े हुए युवा ज्यादा बच्चे नहीं चाहते। यह विकल्प या चयन का मामला है। केवल ज्यादा पढ़े-लिखे या संभ्रांत लोग ही कम बच्चे चाहते हैं की धारणा पर सीजेआई ने कहा कि अगर आप सिर्फ उन लोगों से बात करने करें जो दिल्ली जैसे शहरों में काम करते हैं। जब आप उन लोगों से बात करते हैं, जो आपके करीबी हैं तो आप पाएंगे कि उनमें से ज्यादातर एक बच्चा चाहते हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि मेरे ड्राइवर की भी एक ही बेटी है।

दलीलों के दौरान जब समलैंगिक परिजन और उनके बच्चों की परवरिश पर सवाल किए गए तो सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि महिला-पुरुष के रिश्तों के बीच भी अनबन होती रहती है। विपरीत लिंग वाले दंपती बीच भी घरेलू हिंसा होती है। उस पर क्या कहेंगे? अगर किसी बच्चे का पिता रात में शराब पीकर घर आता है। पत्नी से पैसे मांगता है और मारपीट करता है, तो इस पर आप क्या कहेंगे? पीठ में न्यायमूर्ति एसके कौल, एसआर भट्ट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं। पीठ की ओर से यह टिप्पणी तब की गई, जब एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन अपनी दलीलें रख रहे थे। मामले में दलीलें अभी आगे भी रखी जाएंगी। 24 अप्रैल को सुनवाई फिर से शुरू होगी।