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इसरो का सबसे छोटा रॉकेट SSLV अपने लक्ष्य तक पहुंचने में नाकाम हो गया, ऑरबिट तक नहीं पहुंच पाया सैटेलाइट, डेटा मिलना हुआ बंद

इसरो की लांचिंग हुई फेल, डेटा मिलना हुआ बंद

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो द्वारा की गई लांचिंग फैल हो गई।

इसरो ने बताया है कि उसकी दो सेटेलाइट्स, ग़लत आर्बिट में चली गई हैं इसलिए अब ये किसी काम के नहीं रहे।

भारतीय संचार माध्यमों के अनुसार इसरो ने रविवार की सुबह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में अंतरिक्ष केन्द्र से अपना नया राॅकेट (SSLV) D1 लांच किया था। इस राकेट के साथ आज़ादी सेट सेटेलाइट भेजे गए थे। राकेट ने दोनों सेटेलाइट्स को अंतरिक्ष में पहुंचा दिया था लेकिन सेटेलाइट्स का डेटा मिलना बंद हो गया।

इसरो प्रमुख का कहना है कि इसरो मिशन का कंट्रोल सेंटर डेटा हासिल करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। सेटेलाइट फेलियर की जांच के लिए इसरो की ओर से एक समिति गठित कर दी गई है।

LP Pant
@pantlp
Aug 7
इसरो ने 75 गांवों की 750 छात्राओं की मदद से डिज़ाइन किए गए अपने पहले स्मॉल सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल मिशन (SSLV) को लॉन्च कर दिया है। इसरो की यह ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।

ISRO के सबसे छोटे रॉकेट SSLV की लॉन्चिंग फेल, ऑरबिट तक नहीं पहुंच पाया सैटेलाइट

इसरो का सबसे छोटा रॉकेट SSLV अपने लक्ष्य तक पहुंचने में नाकाम हो गया।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज 7 अगस्त 2022 को देश का नया रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल लॉन्च किया है। यह लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड एक से की गई लेकिन रॉकेट अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाया।

इसरो का कहना है कि इसके सारे चरण सामान्य रहे परंतु जिस ऑरबिट में इसे स्थापित होना था, वहां तक नहीं पहुंचा। वह सैटेलाइट अब किसी भी काम का नहीं रहा। इसके फेल होने की वजह का पता कर लिया गया है। अब इसके समाधान की दिशा में कार्रवाई की जाएगी।

साथ ही इसरो ने कहा कि बहुत जल्दी एसएसएलवी डी-2 लॉन्च किया जाएगा। साथ ही एक कमेटी का गठन होगा, जो कि इस सैटेलाइट के फेल होने की वजह का अध्ययन करेगी।

इससे पहले इसरो ने ट्ववीट करते हुए कहा था कि वह अपने सबसे छोटे रॉकेट एसएसएलवी-डी1 के प्रक्षेपण पर “डेटा का विश्लेषण” कर रहा है, जो आज सुबह श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से पृथ्वी अवलोकन उपग्रह और एक छात्र उपग्रह लेकर गया।

इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि SSLV-D1 ने सभी चरणों में अपेक्षित रूप से प्रदर्शन किया। मिशन के अंतिम चरण में, कुछ डेटा में दिक्कत आ रही है। हम एक स्थिर कक्षा प्राप्त करने के संबंध में मिशन के अंतिम परिणाम को समाप्त करने के लिए डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं।

एसएसएलवी 34 मीटर लंबा है, जो पीएसएलवी से लगभग 10 मीटर कम लंबाई है और पीएसएलवी के 2.8 मीटर की तुलना में इसका व्यास दो मीटर है। पीएसएलवी का वजन 320 टन है, जबकि एसएसएलवी का 120 टन है।

पीएसएलवी 1800 किलोग्राम वजन के पेलोड को ले जा सकता है। भारत का पहला सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल 3 जिसे 1980 में लॉन्च किया गया था, वो 40 किग्रा तक के पेलोड ले जा सकता था।