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इस्राईल को दहला देने वाली सच्चाई आई सामने : रिपोर्ट

अवैध ज़ायोनी शासन के नेताओं का यह मानना है कि हालिया कनेसेट चुनाव के नतीजे के बाद यह शासन ऐतिहासिक विभाजन का अनुभव कर रहा है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में हुए हालिया संसदीय चुनाव में इस्राईल के पूर्व प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतनयाहू के नेतृत्व वाली पार्टी लिकुड पार्टी ने 64 सीट जीत कर बहुमत हासिल की। जबकि अवैध ज़ायोनी शासन के वर्तमान प्रधानमंत्री येर लैपिड की सत्तारूढ़ पार्टी को केवल 51 सीटें मिली हैं। समाचार एजेंसी ईसना के अनुसार, अवैध ज़ायोनी शासन के राष्ट्रपति इस्हाक़ हर्त्ज़ूग ने इस शासन के भूतपूर्व प्रधानमंत्री, इस्हाक राबिन की मृत्यु की 27वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक भाषण में कहा कि इस्राईल में जटिल राजनीतिक स्थिति हमारे सामने एक ऐतिहासिक चुनौती पेश कर रही है। हर्त्ज़ूग ने आगे कहा कि चुनाव परिणामों ने दिखाया कि हम बंटे हुए हैं और अब ज़िम्मेदारी सभी राजनीतिक अभिनेताओं पर है, ख़ासकर उन लोगों पर जिनके पास अधिक राजनीतिक शक्ति है।

इस बीच ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री येर लैपिड ने कहा है कि संसदीय चुनावों के कुछ ही दिनों के बाद, चुनावी नतीजों को लेकर लोग दो भागों में बंट गए हैं और क्रोधिक हैं। इसके अलावा, ज़ायोनी शासन की आंतरिक सुरक्षा के पूर्वमंत्री एविग्डोर केहलानी ने बल देकर कहा है कि वह एक पीढ़ी के बाद ज़ायोनी शासन के भविष्य को लेकर भयभीत हैं क्योंकि लगातार आंतरिक समस्याओं में होती वृद्धि इस शासन को नष्ट कर देगी। ज़ायोनी शासन के युवा संगठनों के गठबंधन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार, कुछ इस्राईली मीडिया ने भी ख़ुलासा किया है कि इस्राईल के एक तिहाई युवाओं का मानना है कि इस शासन का वजूद अगले 25 वर्षों तक रहना असंभव है इसलिए वे सेना में भर्ती नहीं होना चाहते हैं। सामने आने वाले आंकड़े ज़ायोनी शासन के लिए ख़तरनाक और दिल दहला देने वाले हैं। क्योंकि कुछ अन्य सर्वेक्षणों में यह बात भी सामने आई है कि अवैध ज़ायोनी शासन में रहने वाले अधिकतर लोग इस्राईल के भविष्य को लेकर अच्छी सोच नहीं रखते हैं।