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इस्राईल में अगर तख़्तापलट हुआ तो …..


इस्राईली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतनयाहू द्वारा न्यायिक तख़्तापलट की कोशिश के कारण, 100 से ज़्यादा इस्राईली सैन्य पायलटों ने वायु सेना छोड़ने की धमकी दी है।

ग़ौरतलब है कि नेतनयाहू सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों की सीमित करने के लिए संसद से एक प्रस्ताव पारित करने की योजना बना रहे हैं, जिसे उनके विरोधी संविधान के ख़िलाफ़ तख़्तापलट बता रहे हैं।

नेतनयाहू सरकार की इस कोशिश की वजह से इस्राईली पूरी तरह से दो हिस्सों में बंट गए हैं और सरकार के ख़िलाफ़ अभूतपूर्व विशाल प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है।

अरबी 110 वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक़, 110 इस्राईली सैन्य पायलटों ने ज़ायोनी रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख को पत्र लिखकर धमकी दी है कि अगर नेतनयाहू न्यायपालिका के अधिकार सीमित करती है तो वे स्वेच्छा से सेना छोड़ देंगे।

इस्राईली पायलटों का कहना है कि क़ानूनी तख़्तापलट से इस्राईल में हालात बहुत बुरे हो जायेंगे और वे भी विरोधी प्रदर्शनकारियों के साथ सड़कों पर उतर जायेंगे।

उनका कहना था कि हम राजनेता या दंगाई नहीं हैं, हम सिर्फ़ यह चाहते हैं कि जनता की आवाज़ सुनी जाए और न्यायपालिका पर हमला बंद किया जाए।

इस्राईल के मुक़ाबले में हिज़्बुल्लाह की जीत का राज़, इस्राईली कमांडर की ज़बानी

एक इस्राईली जनरल ने स्वीकार किया है कि ज़ायोनी सेना, हिज़्बुल्लाह के अलर्ट कमांडोज़ की शक्ति से भयभीत है और उसे इस्लामी प्रतिरोधी संगठन की बढ़ती ताक़त की चिंता सता रही है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, इस्राईली जनरल इसहाक़ ब्रीक का कहना था कि हमें याद रखना चाहिए कि वियतनाम में धान की खेती करने वाले किसानों ने अमरीका को पराजित कर दिया, जो इस बात का उदाहरण है कि युद्ध जीतने के लिए सिर्फ़ टेक्नॉलोजी पर भरोसा नहीं किया जा सकता, बल्कि सैनिकों का आत्मविश्वास और संघर्ष का उनका साहस, जंगों का नतीजा निर्धारित करता है।

दुनिया ने पिछले दो दशकों के दौरान देखा है कि हिज़्बुल्लाह ने ज़ायोनी शासन के मुक़ाबले में कम हथियारों और सुविधाओं के बावजूद, उसे लड़ाई के मोर्चे पर पराजित किया है।

सन् 2000 और 2006 में हिज़्बुल्लाह के मुक़ाबले में इस्राईली सेना की हार को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

जनरल ब्रीक का कहना था कि हालिया घटनाक्रम इस बात का स्पष्ट उदाहरण हैं कि ज़ायोनी शासन की रणनीति कमज़ोर पड़ रही है, इसीलिए अब वह किसी भी नए युद्ध के लिए तैयार नहीं है और अगर युद्ध शुरू हुआ तो उसे रोज़ाना हज़ारों रॉकेटों का सामना करना होगा।