लालगढ़ पैलेस, बीकानेर रियासत – राजपूताना (वर्ष 1926 ई.)
बीकानेर के महाराजा गंगासिंह जी राठौड़ व राजकुमार बिजय सिंह जी (गंगनहर के उद्घाटन समारोह का दृश्य – 1927 ई.)
वर्ष 1899-1900 में राजस्थान में एक बदनाम अकाल पड़ा था…विक्रम संवत १९५६ (1956) में ये अकाल पड़ने के कारण राजस्थान में इसे छप्पनिया-काळ कहा जाता है…
एक अनुमान के मुताबिक इस अकाल से राजस्थान में लगभग पौने-दो लाख लोगों की मृत्यु हो गयी थी…पशु पक्षियों की तो कोई गिनती नहीं है…लोगों ने खेजड़ी के वृक्ष की छाल खा-खा के इस अकाल में जीवनयापन किया था…
यही कारण है कि राजस्थान के लोग अपनी बहियों (मारवाड़ी अथवा महाजनी बही-खातों) में पृष्ठ संख्या 56 को रिक्त छोड़ते हैं…छप्पनिया-काळ की विभीषिका व तबाही के कारण राजस्थान में 56 की संख्या अशुभ मानी है….
महाराजा गंगासिंह जी बीकानेर के साथ बीकानेर रियासत के जागीरदारों का 110 वर्ष पूर्व का दुर्लभ दृश्य।
बीकानेर रियासत की सूर सागर का 120 वर्ष पुराना रियासतकालीन दृश्य
इसका निर्माण 1640 ई. के लगभग बीकानेर के 8वें महाराजा सूर सिंहजी राठौड़ द्वारा करवाया गया था।