नई दिल्ली: मस्जिद में नमाज़ पढ़ाने वाले इमाम और मुअज़्ज़िन मामूली सी सैलरी पर अपनी ख़िदमत अंजाम देते हैं,जिसके कारण उनके परिवार का सही से गुज़ारा नही हो पाता है और वो पेट काटकर अपने बच्चों की परवरिश करते हैं।
इसी कारण इस वर्ग ने कुछ ज़्यादा तरक़्क़ी नही की है,लेकिन एक अच्छी खबर भारत के नये नवेले राज्य तेलंगाना से आरही है जहां मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने घोषणा की है कि मस्जिद के इमाम मुअज़्ज़िन और मंदिर के पुजारियों को सरकारी कर्मचारियों की तरह सम्मान मिलेगा।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने घोषणा की कि एक सितंबर से राज्य के पुजारियों को सरकार कर्मचारियों के तर्ज पर सैलरी जी जाएगी साथ ही इमाम और मुआज्जिनो को भी 5,000 रुपये हर महीने दिया जाएगा।
तेलंगाना सरकार राज्य के पुजारियोें के सरकारी कर्मियों की तरह ही सैलरी देगी साथ ही इमाम और मुआज्जिनो को भी 5,000 रुपये सैलरी दी जाएगी. राज्य के सीएम के. चंद्रशेखर राव ने इसका ऐलान किया उन्होंने बताया कि ये नियम आगामी 1 सितंबर से लागू कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा जब-जब राज्य के कर्मचारियों की सैलरी में बदलाव किया जाएगा अर्चकों की सैलरी पर भी वही नियम लागू होगा।
बता दें कि अर्चक, मंदिरों में पूजा कराते हैं और धर्म विभाग नियम के अंतर्गत आते हैं. राव ने यह भी कहा रिटायरमेंट की उम्र भी 58 से बढ़ाकर 65 साल कर दी गई है. तेलंगाना सरकार इमाम और मुआज्जिनो को पहले से ही 1,000 रुपये महीना देती थी. वहीं बीते दिनों तेलंगाना सरकार ने एलान किया था कि प्रदेश के हर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आने वाले लोगों को घरेलू उपयोग के लिए 101 यूनिट फ्री बिजली तक दी गई जो कि पहले 50 यूनिट तक थी।
बता दें कि राव ने कहा कि ये नया नियम एक सितंबर से राज्य में लागू किया जाएगा, जिसके तहत हिंदू मंदिरों के पुजारियों तो सरकार स्टाफी की तरह ही सैलरी दी जाएगी. साथ ही इमाम और मुआज्जिनो को भी 5,000 रुपये महीना दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि आगे अगर सरकारी कर्मियों की सैलरी में बदलाव होता है तो पुजारियों की सैलरी में भी बदलाव किया जाएगा।