नई दिल्ली: तुर्की के राष्ट्रपति ने रविवार को इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की आलोचना करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियों में तुर्की के अफरीन, सीरिया में चल रहे आतंकवाद विरोधी अभियान पर सवाल उठाए हैं।
एर्दोगान ने कहा कि इज़राईल के प्रधानमंत्री “कहते हैं कि हमारे सैनिक अफरीन में लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं, नेतन्याहू, आप बहुत कमजोर हैं, बहुत गरीब हैं,””हम आतंकवादियों के खिलाफ लड़ रहे हैं,उनके खिलाफ कार्यवाही कर रहे हैं लेकिन आप नही क्योंकि आप एक आतंकवादी राज्य हैं,”
Erdogan calls Israel premier 'occupier' and 'terrorist' https://t.co/jEzZJCLTEW pic.twitter.com/Lm7R1TjCJ1
— ANADOLU AGENCY (@anadoluagency) April 1, 2018
एर्दोगान ने कहा कि इज़राईल अपने परमाणु हथियारों पर ज़्यादा न इतराये और शेखी न भगारे एक दिन वो वक़्त भी आयेगा ज़ब ये हथियार उसके काम नही आएँगे।एर्दोगान ने इज़राईल की घेराबंदी शुरू करदी है और रूस ईरान के साथ आतँकवाद के खिलाफ गठबंधन किया है,जिससे अमेरिका और इज़राईल को परेशानी होना लाज़मी है।
तय्यब एर्दोगान का बयान उस समय आया है जब इज़रायल ने ग़ाजा पट्टी में भूमि दिवस पर शाँति पूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन इज़राईल सेना ने उन पर हमला बोला जिसमें 16 लोग शहीद होगए है और हज़ारो की संख्या में घायल हुए हैं।
Gaza-Israel violence: Netanyahu and Erdogan in war of words https://t.co/Z4LPJ4NOvu
— BBC News (World) (@BBCWorld) April 1, 2018
भूमि दिवस 1976 में इस्राइल के छह अरब नागरिकों की मृत्यु पर साल में एक बार फिलीस्तीनी स्मरणोत्सव है, जो उत्तरी इज़राइल में सरकारी भूमि पर कब्ज़े के दौरान प्रदर्शनों के दौरान 1976 में इजरायल की सेनाओं द्वारा मारे गए थे।
एर्दोगान ने इज़राईल के प्रधानमंत्री को एक डाकू बताते हुए कहा कि उन्हें तुर्की की आलोचना करने का कोई अधिकार नही है,क्योंकि तुम एक आतंकवादी हो। इतिहास में वो तमाम बातें दर्ज हैं जो तुमने फिलिस्तीन के पीड़ित लोगों के साथ किया है,और दुनिया तुम्हारे इस ज़ुल्म पर तुम्हें लानत भेजेगी।
TURKEY – ISRAEL |
President Erdogan describes Israel PM Netanyahu as a “terrorist” and Israel as a state of “terror”. pic.twitter.com/5jv9hqpvii
— Vocal Europe (@thevocaleurope) April 1, 2018
शुक्रवार की रैली छह हफ्ते के विरोध की शुरुआत थी, जो 15 मई को खत्म हो जाती है, जिस दिन फ़िलिस्तीनियों ने “नाका,” या कटास्त्रो को फोन किया, जब इज़राइल की स्थापना हुई थी।
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों को कस्बों और गांवों पर वापस जाने का अधिकार दिया जा सकता है, जिनके परिवारों ने भाग लिया था, या बाहर से हटा दिया गया था, जब 1948 में इजरायल राज्य बनाया गया था