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ईडी की टीम ने आदित्य ठाकरे के क़रीबी सूरज चावा को समन भेजा!

मुंबई में बीएमसी के कोविड सेंटर घोटाले केस को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का शिकंजा कसता जा रहा है। ईडी की टीम ने शुक्रवार को उद्धव ठाकरे गुट के नेता आदित्य ठाकरे के करीबी सूरज चावा को समन भेजा है। इसमें उन्हें पूछताछ के लिए पेश होने को कहा गया है। इससे पहले ईडी ने सूरज चव्हाण के आवास पर छापेमारी की थी और दस्तावेज बरामद किए थे।

यह है मामला

गौरतलब है, एशिया की वैभवशाली बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) में 43 करोड़ के ऑक्सीजन पाइपलाइन घोटाले का पर्दाफाश हुआ। यह घोटाला हिंदुहृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे ट्रामा सेंटर जोगेश्वरी व कूपर हास्पिटल में हुआ है। भाजपा पार्षद व बीएमसी में पार्टी दल के नेता विनोद मिश्र ने आरोप लगाया था कि सत्ताधारी दल की मिलीभगत से यह घोटाला हुआ है।

ऑक्सीजन पाइपलाइन का घोटाला पर तब चर्चा शुरू हुई थी जब मई में कोरोना संकट के बीच ट्रामा सेंटर में ऑक्सीजन की सप्लाई में कमी के कारण 12 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो गई थी। इसकी जांच के लिए बीएमसी ने एक कमेटी गठित की थी, लेकिन उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई।

ईडी की सख्ती जारी

अब इसी मामले को लेकर ईडी की टीम लगातार कार्रवाई कर रही है। उसने बुधवार सुबह 16 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की थी। ये छापेमारी राजधानी मुंबई में हुई है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के करीबियों पर छापेमारी हुई है। इनमें से कुछ लोग पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे के भी करीबी हैं। वहीं, शुक्रवार को सूरज चावा को समन भेजा है।

विदेशी सुपारी की तस्करी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक गिरफ्तार
वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भारत-म्यांमार सीमा से विदेशी सुपारी की तस्करी के मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में नागपुर के वसीम बावला को गिरफ्तार किया है। बावला को बृहस्पतिवार को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था। उसे मुंबई की एक विशेष अदालत ने 30 जून तक ईडी की हिरासत में भेज दिया।

एजेंसी के अनुसार, बावला असम के व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, गोदाम मालिकों और शेल संस्थाओं (संदिग्ध फर्मों) के साथ विदेशी सुपारी की तस्करी में शामिल था। ये लोग उसे नागपुर क्षेत्र में सुपारी की बिक्री खरीद की सुविधा के लिए फर्जी चालान उपलब्ध कराते थे। बावला ने गुप्त आधिकारिक दस्तावेज हासिल करने के लिए ईडी के संविदा कर्मचारियों को रिश्वत भी दी। उसने ईडी की जांच से बचने के लिए बार-बार फोन बदले, समन का जवाब नहीं दिया और नागपुर में होने के बावजूद तलाशी कार्यवाही से बचने का प्रयास किया।