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ईरान, अर्जेंटीना, मिस्र, इंडोनेशिया और सऊदी अरब जैसे देश ब्रिक्स में हो सकते हैं शामिल : रिपोर्ट

दक्षिण अफ्रीक़ा के जोहानसबर्ग में 22 अगस्‍त से 24 अगस्‍त तक ब्रिक्‍स शिखर सम्‍मेलन के दौरान कुछ नए सदस्यों को इस संगठन में शामिल किया जा सकता है।

अगले महीने होने वाले शिखर सम्मेलन में चर्चा के लिए प्रस्ताव आने पर भारत भी पांच देशों वाले इस संगठन के विस्तार पर अपना रुख़ नरम रख सकता है।

वहीं, चीन इस संगठन में अर्जेंटीना, मिस्र, इंडोनेशिया, यूएई, सऊदी अरब, अल्‍जीरिया, बांग्‍लादेश और ईरान जैसे देशों को जगह देना चाहता है। लेकिन भारत इस विस्‍तार के लिए राज़ी नहीं है।

लेकिन अब सूत्रों का कहना है कि भारत की तरफ़ से ब्रिक्स में क़रीब तीन से पांच नए सदस्यों को शामिल करने का समर्थन करने की संभावना है।

बिज़नेस लाइन ने एक भारतीय अधिकारी के हवाले से कहा है कि भारत अब इस बात पर ज़ोर नहीं देगा कि नए सदस्यों के लिए 400 अरब डॉलर की जीडीपी और 50 अरब डॉलर का ब्रिक्स व्यापार, जैसी शर्तें रखी जाएं।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने कहा था कि इस प्रक्रिया पर अभी भी कार्य जारी है। उन्‍होंने कहा था कि मानदंडों और प्रक्रियाओं पर विचार-विमर्श की ज़रूरत है।

2009 में ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन ने ब्रिक्स का गठन किया था। एक साल बाद दक्षिण अफ्रीक़ा भी इसमें शामिल हो गया था। ब्रिक्स में शामिल होने वाला वह एकमात्र अतिरिक्त सदस्य है।

दक्षिण अफ्रीक़ा ने 2018 में इस संगठन में विस्तार का प्रस्ताव रखा था, पिछले साल गंभीरता से उसके इस प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हुई।

ब्रिक्‍स को किसी समय दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के एक संगठन के तौर पर देखा जाता है था। इसकी स्‍थापना का मकसद शांति, सुरक्षा, विकास और सहयोग को बढ़ावा देना है।

यह संगठन दुनिया की 43 फीसदी आबादी, 26 फीसदी क्षेत्रफल और करीब 30 फीसदी वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है।