इस समय न केवल पूरा भारत बल्कि पूरा विश्व भारत की आज़ादी की 75वीं सालगिरह मना रहा है। दुनिया के किसी भी कोने में एक भी भारतीय है तो वह भी देश की आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर जश्न मना रहा है। वहीं ईरान के पवित्र शहर क़ुम में भी धार्मिक छात्रों ने अपने पारंपरिक अंदाज़ में स्वतंत्रता दिवस मनाया।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, ईरान के पवित्र नगर क़ुम में भारत की आज़ादी की 75वीं सालगिरह के मौक़े पर धार्मिक छात्रों ने देश की आज़ादी के संघर्ष और स्वतंत्रा सेनानियों के जीवन पर प्रकाश डाला। साथ ही इस बात पर ज़ोर दिया भारत की आज़ादी का मूल मंत्र एकता और एकजुटता थी। देश की स्वतंत्रता के लिए हर धर्म के लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया था। इसी एकता और एकजुटता को भारत में बनाए रखना ज़रूरी है। कार्यक्रम में शामिल एक वक्ता ने कहा कि आज देश के दुश्मन देश को फिर से धर्म के नाम पर बांटने की साज़िश रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म कभी किसी पर अत्याचार की इजाज़त नहीं देता और यह एक ऐसा मूल मंत्र है कि जिसके सहारे सभी धर्मों के लोग एक मंच पर एकत्रित हो सकते हैं। हमे चाहिए कि ऐसे तत्वों की पहचान करें जो भारत की जनता के बीच नफ़रत का बीच बो रहे हैं। आज आज़ादी का दिन है हम सब संकल्प लें कि ऐसे लोगों का समाजिक बायकॉट करें और भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति की रक्षा करें।
पवित्र नगर क़ुम में मौजूद शहीद सालिस नामक धार्मिक मदरसे में आयोजित हुए कार्यक्रम में शामिल एक कवि ने एक ख़ूबसूरत कविता पढ़कर सबका दिल जीत लिया। कविता के बोल इस प्रकार थेः