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ईरान द्वारा सीरिया और तुर्किए भेजी जाने वाली राहत सामग्रियों का सिलसिला जारी : क्या सीरिया और तुर्किए में आए भूकंप में फ़र्क़ है?

सीरियाई सरकार देश के भूकंप पीड़ितों को राहत पहुंचाने में लगी हुई है जबकि दूसरी ओर प्रतिबंधों और आतंकवाद ने सरकार के काम को मुश्किल बना दिया है।

सीरिया और तुर्की में हाल ही में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप में कम से कम बड़ी संख्या में लोग मारे गये और घायल हुए। इस बीच मलबे में दबे हज़ारों लोगों के बारे में अभी पता नहीं चल पाया है, इसके अलावा भूकंप से सीरिया में हज़ारों लोगों को बेघर कर दिया है।

पिछले दिनों से ही सीरियाई सरकार ने इस देश के भूकंप पीड़ितों की मदद करने के लिए अपना पूरा प्रयास और ध्यान केंद्रित कर रखा है, हालांकि भूकंप पीड़ितों से निपटने और उनकी मदद करने के लिए सीरिया और तुर्किए की स्थितियां समान नहीं हैं क्योंकि सीरिया लगभग 12 वर्षों से युद्ध और प्रतिबंधों का सामना कर रहा है लेकिन तुर्किए को इन परिस्थितियों का सामना नहीं है और यूरोपीय सरकारें भी तुर्किए के लिए अपनी सहायता को प्राथमिकता दे रही हैं।

पिछले 12 वर्षों के दौरान सीरिया आतंकवादियों के साथ युद्ध में व्यस्त है जिन्हें 80 से अधिक देशों का समर्थन प्राप्त है। आतंकवादियों के साथ युद्ध ने सीरिया में बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया है और इस देश के अंदर लाखों लोगों का विस्थापन हुआ है। पिछले 12 वर्षों से चल रहे युद्ध के परिणामस्वरूप सीरिया की सुविधाएं लगभग नष्ट हो गई हैं और इस स्थिति की वजह से सरकार को देश के भूकंप पीड़ितों की मदद करने में गंभीर समस्याओं का सामना है।

इसीलिए भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए सीरियाई सरकार के पास न्यूनतम सुविधाएं हैं। इस विषय के बावजूद है कि आतंकवादी गुट अभी भी इस देश के अंदर मौजूद हैं और सीरियाई सरकार भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए विशेष रूप से सैन्य क्षेत्र में अपनी सभी सुविधाओं का उपयोग नहीं कर सकती।

आतंकवाद के अलावा, सीरियाई सरकार को अमरीकी और यूरोपीय देशों के प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ रहा है। पिछले एक दशक के दौरान प्रतिबंधों के कारण सीरिया में दवाओं सहित कई आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई है। वाशिंगटन ने सीज़र कानून के तहत सीरिया के खिलाफ जो प्रतिबंध लगाए हैं उसने इस देश को मिलने वाली सहायता के रास्ते को ही बंद कर दिया है।

अमरी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय रीति-रिवाजों के विपरीत मौखिक रूप से भी सीरियाई लोगों पर आई इस बड़ी आपदा में उनके साथ एकजुटता व्यक्त नहीं की, एक ट्वीट में कहा कि मैंने अपने सभी संबंधित संस्थानों से तुर्किए के भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए समन्वय करने को कहा है और पीड़ितों तक मदद पहुंचाने के लिए सभी आवश्यक कार्यवाही करने को कहा है।

इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सीरियाई विदेश मंत्री फ़ैसल मेक़दाद ने इस भीषण भूकंप के बारे में अल-मयादीन चैनल के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि आपदा बड़ी है, जिस बात ने इसे और गहरा किया वह यह है कि सीरिया आतंकवाद और उसके समर्थकों के साथ युद्ध में व्यस्त है तथा प्रतिबंधों ने भी इस आपदा की गंभीरता को और भी बढ़ा दिया है।

ईरान द्वारा सीरिया और तुर्किए भेजी जाने वाली राहत सामग्रियों का सिलसिला जारी

सीरिया और तुर्किए में सोमवार तड़के 7.8 तीव्रता वाले भूकंप और उसके बाद आने वाले कई ज़ोरदार झटकों से दोनों देशों में मरने वालों की संख्या 12 हज़ार के पार पहुंच गई है। इस बीच इन देशों की भूकंप पीड़ित जनता की मदद के लिए सबसे पहले पहुंचने वाले ईरान ने अभी तक राहत सामग्रियों के सिलसिले को टूटने नहीं दिया है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, ईरान के गृह मंत्री अहमद वहीदी ने कहा है कि सीरिया और तुर्किए में आए भीषण भूकंप के बाद से ही ईरान भूकंप प्रभावित इलाक़ों में राहत और बचाव कार्यों में सहयोग के साथ ही साथ राहत सामग्रियों को भी इन देशों की ओर लगातार भेज रहा है। उन्होंने कहा कि इस समय सीरिया और तुर्किए में जिस तरह की दयनीय स्थिति है उसको देखते हुए जितना अधिक से अधिक इन देशों के भूकंप पीड़ितों के लिए मानवीय सहायता भेजी जाए उतना ही बेहतर है। इस बीच जबकि ईरान के आज़रबाइजान ग़र्बी प्रांत के ख़ुई शहर में भी हाल ही में भीषण भूकंप आया था और भारी संख्या में जानी और माली नुक़सान हुआ था, लेकिन उसके बावजूद ईरान सीरिया और तुर्किए की भूकंप पीड़ित जनता की हर संभव मदद की कोशिश कर रहा है।

बता दें कि तुर्किए और सीरिया में सोमवार तड़के 7.8 तीव्रता वाले भूकंप और उसके बाद आने वाले कई ज़ोरदार झटकों से दोनों देशों में मरने वालों की संख्या आठ हज़ार पहुंच चुकी है। वहीं तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तय्यब अर्दोगान का कहना है कि उन्हें दुनिया के 70 से ज़्यादा देशों से राहत और बचाव अभियान में मदद की पेशकश मिल चुकी है। उन्होंने मदद भेजने या पेशकश करने वाले देशों का शुक्रिया अदा किया है। इसके साथ ही उन्होंने देश के दक्षिण के 10 प्रांतों में तीन महीने के लिए आपातकाल लगाने की घोषणा की है। ग़ौरतलब है कि जैसे जैसे बचाव कार्य आगे बढ़ रहा है, मलबे से लोगों को निकाला जा रहा है, इसी के साथ मरने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। बचावकर्मी पीड़ितों को बचाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।