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उत्तरकाशी टनल में फंसे 40 मज़दूरों को बाहर निकालने में अभी तक कोई क़ामयाबी नहीं मिली, 144 घंटे से ज़्यादा का वक़्त बीत चुका!

उत्तरकाशी टनल में फंसे 40 मज़दूरों को बाहर निकालने में अभी तक कोई ठोस कामयाबी नहीं मिली है. इन मज़दूरों को वहां फंसे क़रीब 144 घंटे से ज़्यादा का वक़्त बीत चुका है.

मज़दूरों को निकालने का काम देख रहे लोगों के मुताबिक़ अभी तक मज़दूरों को टनल से सुरक्षित बाहर निकाले जाने वाले पाइप को 24 मीटर (4 पाइप) तक मलबे में ड्रिल किया जा चुका है.

बीबीसी के सहयोगी पत्रकार आसिफ़ अली ने बताया कि शुक्रवार दोपहर 2 बजे से लेकर आज शनिवार सुबह नौ बजे तक स्थिति जैसी की तैसी ही बनी हुई है. टनल में फंसे मज़दूरों के परिजन बाहर बेहद परेशान और घबराए हुए नज़र आ रहे हैं.

इजाज़त लेकर वो टनल में अपने अपने रिश्तेदारों से पाइप के ज़रिये बात करते रहते हैं.

टनल में फंसे अपने भाई से बात कर चुके बिहार के एक शख़्स ने बताया,“अब अंदर फंसे सभी लोगों की हालत दुरुस्त नहीं है.”

उन्होंने कहा कि भाई उनको ये कह रहे थे कि लगता है अब आखिरी वक़्त चल रहा है.

बिहार से आए एक और शख़्स देवाशीष ने बताया कि उनके जीजा भी टनल में फंसे हुए हैं.

उन्होंने जब अपने जीजा से पाइप के ज़रिये बात कि तो उन्होंने बताया कि उनकी हालत ख़राब है. उन्हें अब वहां घुटन महसूस हो रही है.

सुरंग बनाने वाली कंपनी नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (एनइसीएल) के दो सुपरवाइज़रों ने बताया कि इस टनल पर काम 2018 में शुरू हुआ था.

उनमें से एक ने कहा, “सुरंग में काम होने से थोड़ा पहले एक लैंडस्लाइड (भूस्खलन) में उसी जगह पर नुकसान हुआ था जहां रविवार को भूस्खलन के कारण टनल का एक हिस्सा ढह गया. तब इसे बनाने में छह महीने लगे थे. लेकिन शायद इसे मज़बूती से नहीं बनाया गया.”