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उत्तर कोरिया ने अमरीका और दक्षिण कोरिया के संयुक्त युद्ध अभ्यास का दिया जवाब : रिपोर्ट

उत्तर कोरिया ने अमरीका और दक्षिण कोरिया के संयुक्त युद्ध अभ्यास पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इन दोनों देशों पर कोरिया प्रायद्वीप में तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया है।

अमरीका और दक्षिण कोरिया ने कोरियाई प्रायद्वीप में फ्रीडम शील्ड 23 नाम से अपना सबसे बड़ा संयुक्त अभ्यास आयोजित किया है, जिसके जवाब में उत्तर कोरिया ने पूर्वी सागर की ओर कई बैलिस्टिक मिसाइल दाग़े हैं। इसके अलावा प्योंगयांग ने हाल ही में परमाणु हमला करने में सक्षम पनडुब्बियों के परीक्षण की घोषणा की है।

उत्तर कोरिया ने अमरीका और दक्षिण कोरिया के उस दावे को रद्द कर दिया है, जिसमें दोनों देशों के संयुक्त युद्ध अभ्यास को कोरिया प्रायद्वीप में रक्षात्मक अभ्यास बताया गया है, बल्कि प्योंगयांग का कहना है कि यह युद्ध अभ्यास आक्रामक है, जिससे क्षेत्र में तनाव कम होने के बजाए और बढ़ेगा।

इस युद्ध अभ्यास के बाद उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन ने अपने देश की सेना को सैन्य अभ्यास में वृद्धि करने और युद्ध के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है।

ग़ौरतलब है कि हालिया वर्षों में दक्षिण कोरिया और अमरीका के बढ़ते संयुक्त युद्ध अभ्यासों से क्षेत्र में तनाव में वृद्धि हुई है, जिसकी वजह से उत्तर कोरिया ने अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम में विस्तार किया है।

अमरीका और दक्षिण कोरिया द्वारा तनाव में वृद्धि के जवाब में उत्तर कोरिया ने पिछले साल तीस से अधिक मिसाइल परीक्षण किए थे। इनमें कई मिसाइल ऐसे हैं, जो सीधे अमरीका तक मार करने की क्षमता रखते हैं। इनमें बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज़ मिसाइल और हाइपरसोनिक मिसाइल शामिल हैं। हाइपरसोनिक मिसाइल आवाज़ से कई गुना तेज़ गति पर नीची उड़ान भरते हैं, ताकि रडारों की पकड़ में नहीं आ सकें।

मार्च 2021 में भी उत्तर कोरिया ने हथियारों के परीक्षण किए थे। उत्तर कोरिया ने इन्हें न्यू टाइप टेक्टिकल गाइडेड प्रोजेक्टाइल कहा था।

इंटरनेशनल परमाणु ऊर्जा एजेंसी का कहना है कि उत्तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम पूरी रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है और प्लूटोनियम को अलग करने, यूरोनियम के संवर्धन और दूसरी परमाणु गतिविधियां ज़ोर-शोर से जारी हैं।

इस वास्तविकता के स्पष्ट होने के बावजूद कि कोरिया प्रायद्वीप में अमरीका की नीतियां और क़दमों से इस क्षेत्र में स्थिति दिन प्रतिदिन जटिल होती जा रही है, वाशिंगटन अपनी आक्रामक और ख़तरनाक नीतियों के जारी रहने पर अड़ा हुआ है।

उत्तर कोरिया को धमकाने और उस पर प्रतिबंध लगाने की अमरीका की नीतियों का अभी तक कोई असर नहीं हुआ है, इसके बावजूद वाशिंगटन तनाव को कम करने के राजनीतिक समाधान के विकल्प को नज़र अंदाज़ करता जा रहा है और उसने इस क्षेत्र को परमाणु ख़तरे की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।