उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के थाना रूरा के मड़ौली गांव में ग्राम समाज की ज़मीन से अतिक्रमण हटाने के दौरान मां-बेटी की जिंदा जलकर मौत हो गई.
घटना को लेकर एसपी कानपुर देहात बीबीजीटीएस मूर्ति ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा, “एक अतिक्रमण हटाने के लिए एसडीएम कुछ अधिकारियों के साथ यहां पहुंचे थे, वो (अतिक्रमण) हटा रहे थे, हमें पता चल रहा है एक महिला और उनकी बेटी जो झोपड़ी में अंदर थे, उन्होंने अपने आप को जला लिया. उसमें उन दोनो की मृत्यु हो गई है.”
लेकिन परिवार ने स्थानीय प्रशासन के एक कर्मचारी पर आग लगाने का आरोप लगाया है.
जब झोपड़ी में आग लगी तो पीड़ित कृष्ण कुमार दीक्षित भी अंदर थे.
उनका आरोप है कि प्रशासन के लोगों ने गाँव के कुछ लोगों के कहने पर उनके घर में आग लगवा दी. हालांकि स्थानीय डीएम ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जा रही है.
कृष्ण कुमार दीक्षित ने मौके पर पहुँची मीडिया से कहा, “हम लोग अंदर थे. हम लोग निकल आए, वो (पत्नी और बेटी) नहीं निकल पाए.”
स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कृष्ण कुमार दीक्षित के बेटे शिवम दीक्षित आरोप लगाते हैं, “प्रशासन के लोगों और गांव में रहने वाले कुछ लोगों ने मिलकर घर में आग लगा दी. हम लोग अंदर थे. हम निकल पाएं केवल. मंदिर तोड़ दिया, नल तोड़ दिया. सब गिरा के आग लगा गए. डीएम के यहाँ गए थे, कोई सुनवाई नहीं हुई थी. कोई कुछ नहीं किए हैं.”
शिवम दीक्षित का आरोप है कि आग लगने के बाद प्रशासन के लोग भाग गए.
शिवम दीक्षित का दावा है, “इसके पहले डीएम के यहां भी गए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है. उसके बाद ये हो गया.”
समाजवादी पार्टी ने घटना पर उठाए सवाल
समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने घटना का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है, “कानपुर के मैथा में डीएम, एसडीएम और लेखपाल के शोषण और बुलडोज़र का शिकार होकर प्रमिला दीक्षित, कृष्ण गोपाल दीक्षित व नेहा दीक्षित ने खुद को किया आग के हवाले.”
“पुलिस प्रशासन ने कानपुर में बलवंत सिंह की हत्या कर दी थी, अब भी प्रशासन निर्दोषों की मौत का बन रहा कारण शर्मनाक! मुआवजा दे सरकार.”
दीक्षित परिवार के इन आरोपों के बारे कानपुर देहात की डीएम नेहा जैन ने बीबीसी से फ़ोन पर कहा, “हम लोग कभी ऐसा नहीं करेंगे. इस घटना का वीडियो सबूत भी है.”