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उन्हें मराठों के भीष्म पितामह भी कहा जाता है

Rahul Gadariya
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इंदौर संस्थापक श्रीमंत सूबेदार मल्हार राव होलकर ने 52 युद्ध में विजय प्राप्त कर मराठों का मस्तक ऊंचा किया इसलिए उन्हें मराठों के भीष्म पितामह भी कहा जाता है श्रीमंत मल्हार राव होलकर मराठा साम्राज्य के वह स्तंभ थे जिन्होंने अपने अथक परिश्रम पराक्रम और साहस से मराठा साम्राज्य को अपनी चरम सीमा तक पहुंचा दिया था उत्तर भारत, मालवा, बुंदेलखंड, में मराठा सत्ता को कायम करने का कार्य उन्होंने ही किया था उनके चले जाने से लोग कहने लगे थे कि दक्खन का आधार ही चला गया मराठा साम्राज्य के महान योद्धा के आधार पर उनकी ख्याति थी उन जैसे वीर बहुत कम थे वह ऐसी शुभ घड़ी में घोड़े की पीठ पर बैठे थे उन्होंने सारी जिंदगी घोड़े की पीट ना छोड़ी और अपने पानीदार घोड़े की पीठ पर बैठकर मराठा साम्राज्य की वृद्धि के लिए अपना सब कुछ निछावर कर दिया वह मराठा साम्राज्य के वह स्तंभ थे जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज कें हिंदवी राज्य के सपनों को साकार किया उनके ही पराक्रम से लाहौर के उस पार तक हिंदुत्व की भगवा पताका फैलाई थी पानीपत के युद्ध के पश्चात उस वीर ने ही मराठा साम्राज्य की डूबती हुई नैया को अपने बल से बचाया था वह स्वयं भी बड़े वीर थे तथा वीरों की कदर भी क्या करते थे जब कोई मराठा सैनिक युद्ध में अच्छा पराक्रम दिखलाता तो वह उसकी ढाल रुपए से भर देते थे उस वीर पराक्रमी योद्धा ने सारी जिंदगी लड़ाई में काटी और एक आध युद्ध को छोड़कर वे सदा ही विजय रहे उन्होंने अपनी पैनी तलवार की धार से पठानों, अफ़गानों ,मुगलों, और फ्रांसीसियों, पुर्तगालियों, आदि को नष्ट किया बाजीराव पेशवा प्रथम के शासनकाल में उन्होंने एक युद्ध में असाधारण वीरता प्रदर्शित की थी जिसके कारण उन्हें पेशवा ने “रणगाजी” अर्थात युद्ध को जीतने वाले की उपाधि से विभूषित किया था मल्हार राव होलकर के नाम का दबदबा इतना था कि मल्हार आया यह शब्द कान में पढ़ते ही दुश्मन की जान पर आ पड़ती थी मुगलों के घोड़े पानी छोड़ कर गर्दन ऊंची कर लेते थे एक चित्रकार ने उनके विषय में लिखा है मल्हार राव होलकर स्वभाव के शांत, दयालु, परोपकारी, संयमशिल, साहसी शूरवीर एवं सीधे-साधे स्वभाव के थे उनके जैसे देश में बहुत कम ही योद्धा मिलते हैं मराठा साम्राज्य की रक्षा करने वाले शूरवीर मराठा मल्हार राव होलकर से मुगल बादशाह तक कापता था

उन्होंने सन 1741 ईसवी में इंदौर में कान्हा नदी के किनारे पर एक विशाल राजवाड़े बनवाया जो आज इंदौर की शान है और मल्हार राव होलकर की सुर वीरता का प्रतीक
साभार ग्रंथ- मराठा साम्राज्य के भीष्म पितामह श्रीमंत महाराजा मल्हार राव होलकर

लेखक – मधुसूदन राव होलकर
Post by_ sumit borade