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उसने कुरेदा न होता, तो गांधी की बात न होती, मोहब्बत की दुक़ानें न खुलती, राम और रावण की पहंचान न होती, हज़ारों चेहरों के नक़ाब न उतरते!

M.M. Dhera(Advocate)
@AdvocateDhera
ये जनाब एक आम पॉलिटिशियन थे।

इनके बाप दादों की पुरानी पहचान थी, तो सेंत में ही सांसद बन गए। चाहते तो पीएम भी बन जाते, पर इतना झमेला कौन ले। जीतने को बाप की कांस्टीट्यूएन्सी थी। रहने को बड़ा बंगला था। जाने को संसद थी। दो चार बयान देने को, आगे पीछे घूमता मीडिया रहता था। काफी था।

तो एमपी साहब, बंगले में आराम फरमाते, संसद वंसद चले जाते। हफ्ते दस दिन में कुछ दार्शनिक टाइप बात बोल देते, पड़े रहते।

दुश्मन काफ़ी सुकून से जी रहा था।
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मगर जो न चैन से जीता है, न किसी को चैन से जीने देता है, उस बदकिस्मत को यह सुकून मंजूर कहाँ। एक सुबह उसने माउंटेन ड्यू पिया और कहा- आज कुछ तूफानी करते हैं।

और एक महोदय ने इन😂के बाप दादों का चरित्रहनन शुरू कर दिया। उसके बन्दर गैंग ने इनके खानदान को खूब गालियां दी।

अगला आहत हुआ, परिवार के सम्मान के लिए उठ खड़ा हुआ। लड़ने लगा। ये मजाल??

औकात बताने के लिए बंगला छीन लिया। मजबूरन ये जनाब कंटेनर में सोने लगे, और लगे हाथ देश भी नाप दिया। हिंदुस्तान इनसे पहली बार मिला, और ये भारत से पहली बार मिले।

आवाज बुलंद हो गयी, गहराई आयी, सीरियस और कंसिस्टेंट हो गए।
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अब बन्दर घबराए। तुरन्त संसद में इनका माइक बन्द किया। तो श्रीमान जी, सड़कों पर बोलने लगे।

सड़कों की आवाज यहाँ दूर तक जाती है।यह तो उल्टा पड़ गया। आवाज न सुनाई दे, मीडिया से बॉयकॉट करवा दिया। तो सोशल मीडिया ने आगे बढ़कर इन्हें टेक दी। राहुल वहां एकतरफा छा गया।

अरे, अब क्या करें।

बंदरों ने योजना बनाई, डराने को सांसदी छीन ली। जॉबलेस कर दिया। नियमित काम छूटा तो ये महोदय, सुबह सुबह नहा धोकर डेली संसद जाने के वक्त पर, ड्राइवर, किसान, मिस्त्री मैकेनिकों के ठियों पर जाने लगे।

चढ्डों के बीच तो और सिहरन छा गयी।

इसलिए उसे जेल भेजने का चक्रम रचा है। षड्यंत्र सफल होता तो दिख रहा है, मगर सरकार अब खुद ही भितरिया जाने के डर से सहमी हुई है।
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चाणक्य ने कहा था- “चायवाले से, चाय पीने वाला बड़ा होता है”। बेसिक बुद्धिमत्ता कहती है कि अपने से बड़े वाले को छेड़ना नही चाहिए।

सोते ज्वालामुखी को कुरेदना नही चाहिए। पर चायवाले को जख्म देने, और बदस्तूर कुरेदने का शौक है।

शौक बडी चीज है।
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मगर देश शुक्रगुजार है उस विघ्नसंतोषी का।

उसने कुरेदा न होता, तो जवाहर का खून कभी उबाल न मारता। गांधी की बात न होती, मोहब्बत की दुकानें न खुलती। उसने गर कुरेदा न होता तो राम और रावण की पहचान न होती।

हजारों चेहरों के नकाब न उतरते।

और माननीय सांसद राहुल गांधी, आज भी दिल्ली के लुटियंस बंगले में उबासी ले रहे होते।

यह पोस्ट मनीष सिंह की है Facebook की।

Manish Tiwari
@PlgjMtGFlHq5vUa
राहुल गांधी आज वास्तविक मुद्दों को उठा रहे है भले ही मुख्य मीडिया यानी गोदी मीडिया इनको नही दिखाता है लेकिन Rg जनता के दिलो में छा रहा है चंद दिनों में जो राहुल गांधी के साथ जो हुआ है वो सबने देखा है और सब जानते है कैसे किया गया है पर वो फिर जनता के बीच जा रहे है उनसे मिल रहे है

Himanshu Shekhar
@Himansh48049001
“रहिमन विपदा भी भली जो थोड़े दिन होय। “
गाँधी जी को भी ट्रेन से फेका गया
अंग्रेजों ने सब कुछ गवाया
अंग्रेजों के मानस पुत्रों ने भी वही किया
अब भुगतना तो पड़ेगा
“कर्म प्रधान विश्व करि राखा जो जस करहि सो तस फल चाखा। । ” 🙏

M.M. Dhera(Advocate)
@AdvocateDhera
दिल्ली हाईकोर्ट में पीएम केयर फंड पर केस की सुनवाई के दौरान PMO के बड़े अधिकारी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया,

“पीएम केयर फंड भारत सरकार का फंड नहीं है, इसे RTI के तहत नहीं लाया जा सकता।”

अब सवाल यह है कि:-

(१) अगर यह भारत सरकार का फंड नहीं है तो इसके साथ प्रधानमंत्री शब्द क्यों जुड़ा हुआ है? धोखा देने के लिए?
इसका नाम मोदी केयर फंड टाइप का कुछ होना चाहिए था।

(२) अगर यह भारत सरकार का फंड नहीं है तो सरकारी कर्मचारियों की सैलरी काट कर इस फंड में क्यों डाली गयी?

(३) अगर यह प्राइवेट फंड है तो सरकारी संस्थानो ने इसे चंदा क्यों दिया? क़ानूनन सरकारी संस्थान किसी प्राइवेट फ़ंड को चंदा नहीं दे सकते।

(४) प्राइवेट फंड की वेब्सायट पर http://gov.in क्यों लिखा है? क्या प्राइवेट फंड अपनी वेब्सायट के लिए इस प्लैट्फ़ॉर्म को इस्तेमाल कर सकता है?

(५) अगर यह प्राइवेट फंड है तो इसकी मॉनिटरिंग से लेकर अदालत के मामलों तक में PMO के अधिकारी क्यों जा रहे हैं?

सवाल हज़ारों हैं लेकिन जवाब नदारद है। अगर नियत साफ़ होती तो पहले से मौजूद प्रधानमंत्री राहत कोष में चंदा माँगा जाता लेकिन वहाँ तो हिसाब देना पड़ता,

RTI के जवाब देने पड़ते इसलिए एक अलग फंड बना लिया और अब हिसाब देने से भाग रहे हैं।

वैसे मैंने आज तक किसी ईमानदार आदमी को हिसाब देने से घबराते हुए नहीं देखा।

Note- अगर ये प्राइवेट ट्रस्ट है तो इसकी वेबसाइट पे भारत सरकार की मुहर क्यों है?

और ये सरकारी डोमेन http://gov.in का इस्तेमाल क्यों करती है पिछले लॉकडाउन में अदालतों ने भी कुछ मामलो में जुर्माना राशि pm care fund में जमा कराया था।

डिस्क्लेमर : ट्वीट्स में लोगों के अपने निजी विचार और जानकारियां हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है