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ऋषि सुनक के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने की ख़बर पर भारत की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के नेता अपनी ख़ुशी छुपा नहीं पा रहे हैं : ख़ास रिपोर्ट

ऋषि सुनक के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने पर भारत में राजनीतिक दलों के अलावा आम लोग भी सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

कई लोगों ने इसे गर्व और ख़ुशी का लम्हा बताया है तो कुछ लोगों का कहना है कि जिस तरह से ब्रिटेन में एक अल्पसंख्यक हिंदू को प्रधानमंत्री बनने का मौक़ा दिया गया, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत को भी इससे सीख लेने की ज़रूरत है.

सुनक के प्रधानमंत्री बनने की ख़बर पर भारत की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के नेता अपनी ख़ुशी छुपा नहीं पा रहे हैं. बीजेपी नेता सोशल मीडिया पर ऋषि सुनक के हिन्दू होने का ज़िक्र करते हुए ख़ुद भी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऋषि सुनक को बधाई देते हुए ट्विटर पर लिखा है कि आपको अपने हिन्दू जड़ों पर गर्व है और हमें भी आपकी इस उपलब्धि पर गर्व है.

Constantino Xavier
@ConstantinoX

6. This is maybe the most symbolic picture of that 2017 visit: Modi giving Costa his Overseas Citizenship of India (which Sunak may already have?).

A piece of paper with so much meaning… (Costa would go on to BJP-ruled Goa to visit his father’s ancestral house).

बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने भी ऋषि सुनक को बधाई देते हुए लिखा है, दिवाली के दिन एक धर्मपरायण हिन्दू ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बना. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऋषि सुनक को बधाई दी तो दिवाली का ज़िक्र किया.

42 साल के ऋषि सुनक बोरिस जॉनसन सरकार में वित्त मंत्री थे और उस दौरान वित्त मंत्रालय के आधिकारिक आवास 11 डाउनिंग स्ट्रीट पर दिवाली के दिन दीप जलाते दिखे थे.

मैं तो पूरी तरह से ब्रिटिश हूँ. यह मेरा घर और देश है. लेकिन मेरी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत भारतीय है. मेरी पत्नी भारतीय है. मैं हिन्दू हूँ और इसमें कोई छुपाने वाली बात नहीं है.
ऋषि सुनक
ब्रिटेन के भावी प्रधानमंत्री

अमेरिकी न्यूज़ वेबसाइट सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सुनक ने 2015 में बिज़नेस स्टैंडर्ड को दिए इंटरव्यू में कहा था, ”ब्रिटिश भारतीय जनगणना में एक कैटिगरी पर निशान लगाते हैं. मैं तो पूरी तरह से ब्रिटिश हूँ. यह मेरा घर और देश है. लेकिन मेरी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत भारतीय है. मेरी पत्नी भारतीय है. मैं हिन्दू हूँ और इसमें कोई छुपाने वाली बात नहीं है.”

ऋषि सुनक के पीएम बनने पर ख़ुशी केवल बीजेपी के भीतर ही नहीं बल्कि आम हिन्दू भी ख़ुशी का इज़हार कर रहे हैं. कुछ भारतीयों ने लिखा है कि ऋषि सुनक का इस साल ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनना और ख़ास है क्योंकि भारत ने ब्रिटिश उपनिवेश से आज़ादी की कुछ ही महीने पहले 75वीं वर्षगांठ मनाई थी.


सुषमा स्वराज का सोनिया विरोध
140 करोड़ की आबादी वाले देश भारत के लोग विदेशों में भारतीयों या भारत से जुड़े लोगों की उपलब्धि पर गर्व करते हैं. वो चाहे कमला हैरिस का अमेरिका की उपराष्ट्रपति बनना हो या सत्या नडेला का माइक्रोसॉफ्ट का सीईओ बनना या फिर सुंदर पिचाई का अल्फ़ाबेट का सीईओ बनना.

लेकिन कई लोग भारतीयों की इस ख़ुशी पर हैरानी भी जता रहे हैं. 2004 में कांग्रेस ने आम चुनाव में जीत दर्ज की थी और इटली में जन्मीं सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने की बात हो रही थी. सोनिया गांधी के पीएम बनने का भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने कड़ा विरोध किया.

तब बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज ने धमकी दी थी कि अगर सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनती हैं तो वह सिर मुंडवा लेंगी और सफ़ेद वस्त्र धारण करेंगी.

हिन्दू धर्म में ऐसा मातम के माहौल में किया जाता है. सोनिया गांधी ने 1999 के लोकसभा चुनाव में सुषमा स्वराज को कर्नाटक के बेल्लारी से हराया था. तब बीजेपी ने बेल्लारी चुनाव को देश की बेटी बनाम विदेशी बहू करने की कोशिश की थी, लेकिन यह रणनीति औंधे मुँह गिरी थी. कहा जाता है कि सुषमा स्वराज की सोनिया गांधी से प्रतिद्वंद्विता इसी साल शुरू हुई थी.

सुषमा स्वराज जब तक ज़िंदा रहीं तब तक सोनिया गांधी के पीएम बनने पर अपने रुख़ से नहीं डिगीं.

सुषमा स्वराज ने अपने रुख़ को उचित ठहराते हुए 2013 में एनडीटीवी से कहा था, ”सोनिया गांधी जी से मेरा एक ही झगड़ा है कि मैं उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं कर सकती. मेरे देश ने ग़ुलामी से निज़ात बहुत यातना और शहादत के बाद पाई है. आज इस आज़ाद हिन्दुस्तान में भारत माता की संतानों में बहुत ज़्यादा योग्यता है. ऐसे लोग कांग्रेस में भी हैं. लेकिन कांग्रेस जब सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री के लिए आगे करती है तो मेरा विरोध होता है और ये हमेशा रहेगा.”

सुषमा स्वराज ऐसा तब कह रही थीं जब भारत का संविधान सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनने की अनुमति देता है.

भारत के अल्पसंख्यक उपेक्षित?
अब जब बीजेपी के लोग ऋषि सुनक के पीएम बनने पर फूले नहीं समा रहे हैं, तब सोनिया गांधी पर पार्टी का रुख़ लोग याद करवा रहे हैं. इसके साथ ही लोग यह भी कह रहे हैं कि ईसाई बहुल और गोरों की बहुसंख्यक आबादी वाले ब्रिटेन में कंज़रवेटिव पार्टी ने एक ग़ैर-गोरे और धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक हिन्दू को अपना प्रधानमंत्री बनाया. लोगों का कहना है कि लोकतंत्र इतना समावेशी होना चाहिए.

दूसरी तरफ़ भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का दावा करता है और यहाँ की सरकार में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है. यहाँ तक कि बीजेपी में एक भी मुस्लिम सांसद भी नहीं है जबकि भारत में मुसलमानों की आबादी क़रीब 20 फ़ीसदी है.

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लिखा है, ”ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक ऋषि सुनक का पहुँचना कई स्तरों पर असाधारण है. ब्रिटेन ने जो किया वह किसी अपवाद से कम नहीं है. ब्रिटेन की कंज़रवेटिव पार्टी के सांसदों ने एक ऐसे व्यक्ति की ताज़पोशी की जिसकी चमड़ी का रंग भूरा, मज़हब हिन्दू और एशियाई अल्पसंख्यक है, जिनकी ब्रिटेन में आबादी मुश्किल से 7.5 प्रतिशत है.”

If this does happen, I think all of us will have to acknowledge that theBrits have done something very rare in the world,to place a member of a visible minority in the most powerful office. As we Indians celebrate the ascent of @RishiSunak, let’s honestly ask: can it happen here? https://t.co/UrDg1Nngfv

— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 24, 2022

George Osborne
@George_Osborne
Rishi Sunak will be Prime Minister by the end of the day. Some think,like me, he’s a solution to our problems;others think he’s part of the problem.But whatever your politics,let’s all celebrate the first British Asian becoming PM and be proud of our country where this can happen

ऋषि सुनक ने वित्त मंत्री की शपथ भगवद् गीता पर हाथ रखकर ली थी. इस साल जब वह अपना कैंपेन चला रहे थे तब उन्होंने कृष्ण जन्माष्टमी के मौक़े पर पूजा करते हुए तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी.

जब ऋषि सुनक के पीएम बनने की ख़बर सोशल मीडिया पर आई तो शशि थरूर ने पूछा, ”क्या यह भारत में संभव है? हमें उस हंगामे को नहीं भूलना चाहिए जब 2004 में चुनाव में जीत हासिल करने वाले कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन ने सोनिया गांधी के सामने प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव रखा था. सोनिया गांधी को विदेशी कहा गया और एक अहम नेता ने सिर मुंडवा कर संसद के बाहर अनशन की धमकी दी थी.”

शशि थरूर ने लिखा है, ”सोनिया गांधी ने पीएम बनने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. यह सही है कि मनमोहन सिंह अल्पसंख्यक समुदाय से थे लेकिन ज़्यादातर हिन्दू सिखों को ख़ुद से अलग नहीं देखते हैं. बहुसंख्यकवाद के राजनीतिक उभार में क्या हम कल्पना कर सकते हैं कि कोई ग़ैर हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध देश का प्रधानमंत्री बनेगा? जिस दिन यह होगा भारत वाक़ई एक परिपक्व लोकतंत्र के रूप में उभरेगा.”

ऋषि सुनक ने वित्त मंत्री की शपथ भगवद् गीता पर हाथ रखकर ली थी. इस साल जब वह अपना कैंपेन चला रहे थे तब उन्होंने कृष्ण जन्माष्टमी के मौक़े पर पूजा करते हुए तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी.

जब ऋषि सुनक के पीएम बनने की ख़बर सोशल मीडिया पर आई तो शशि थरूर ने पूछा, ”क्या यह भारत में संभव है? हमें उस हंगामे को नहीं भूलना चाहिए जब 2004 में चुनाव में जीत हासिल करने वाले कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन ने सोनिया गांधी के सामने प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव रखा था. सोनिया गांधी को विदेशी कहा गया और एक अहम नेता ने सिर मुंडवा कर संसद के बाहर अनशन की धमकी दी थी.”

शशि थरूर ने लिखा है, ”सोनिया गांधी ने पीएम बनने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. यह सही है कि मनमोहन सिंह अल्पसंख्यक समुदाय से थे लेकिन ज़्यादातर हिन्दू सिखों को ख़ुद से अलग नहीं देखते हैं. बहुसंख्यकवाद के राजनीतिक उभार में क्या हम कल्पना कर सकते हैं कि कोई ग़ैर हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध देश का प्रधानमंत्री बनेगा? जिस दिन यह होगा भारत वाक़ई एक परिपक्व लोकतंत्र के रूप में उभरेगा.”

इस्लाम की तरह सिख को हिन्दू से अलग क्यों नहीं मानते?
यह सवाल केवल शशि थरूर ही नहीं बल्कि दूसरी पार्टियों के नेता भी उठा रहे हैं. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि एक तरफ़ ब्रिटेन अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति को अपना पीएम बना रहा है दूसरी तरफ़ भारत एनआरसी और सीएए जैसे विभाजनकारी और भेदभाव करने वाला क़ानून बनाने में उलझा है.

हालांकि बीजेपी इन आलोचनाओं को ख़ारिज कर रही है. बीजेपी के सूचना और तकनीक विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा है, ”भारत के तीन मुस्लिम और एक सिख राष्ट्रपति रहे हैं. एक सिख 10 सालों तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. अल्पसंख्यक भारत की न्यायपालिका में शीर्ष पर रहे और यहाँ तक कि सेना की कमान भी उनके पास रही. हमें विविधता और समावेशी राजनीति किसी और देश से सीखने की ज़रूरत नहीं है.”

भारत में राष्ट्रपति के पद को सेरिमोनियल यानी रस्मी माना जाता है. राष्ट्रपति के पास बहुत अधिकार नहीं होते हैं. इसीलिए कई बार भारत के राष्ट्रपति को रबर स्टांप भी कहा जाता है.

भारतीय राजनीति में इसके कई मिसाल हैं कि केंद्र में जिसकी सरकार होती है, राष्ट्रपति उसी की लाइन पर फ़ैसले लेते हैं. अब्दुल कलाम को बीजेपी ने ही राष्ट्रपति बनाया था.

इसके अलावा ज़ाकिर हुसैन और फ़ख़रुद्दीन अली अहमद भी भारत के राष्ट्रपति रहे हैं. ज्ञानी जैल सिंह सिख थे और वह भी भारत के राष्ट्रपति रहे थे. सेना प्रमुख भी सिख रहे हैं लेकिन कोई मुसलमान नहीं बना. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मुसलमान ज़रूर रहे हैं.

सिख, बौद्ध और जैन को भारत के दक्षिणपंथी हिन्दू धर्म का ही हिस्सा मानते हैं. सावरकर की जिस हिन्दुत्व विचारधारा की बात बीजेपी करती है, वह भी सिख, बौद्ध और जैन को इस्लाम की तरह अलग मज़हब के तौर पर नहीं देखते थे.

सावरकर पुण्यभूमि और पितृभूमि की बात करते थे. यानी जिस धर्म का उदय भारत में हुआ उसे मानने वालों की पितृभूमि के साथ पुण्यभूमि भी भारत ही है. सावरकर का तर्क था कि इस्लाम का उदय भारत से बाहर हुआ इसलिए उसे मानने वालों की पितृभूमि भारत है लेकिन पुण्यभूमि विदेश में है. सावरकर का कहना था कि ऐसे में उनका प्यार पुण्यभूमि और पितृभूमि के बीच बँटा होगा. इस तर्क के आधार पर हिन्दुत्व की राजनीति सिखों, बौद्धों और जैनों को मुसलमानों से बिल्कुल अलग दृष्टिकोण से देखती है.

बीजेपी क्यों ख़ुश है?
ऋषि सुनक के पीएम बनने पर बीजेपी का ख़ुश होना कितना वाजिब है? इस सवाल के जवाब में बीजेपी समर्थक पत्रकार प्रदीप सिंह कहते हैं, ”दुनिया भर में भारतवंशी फैले हुए हैं लेकिन अहम पद पर ज़्यादातर वे लोग हैं, जिन्होंने हिन्दू धर्म छोड़ ईसाई अपना लिया. लेकिन ऋषि सुनक इस मामले में अलग हैं. वह ख़ुद के हिन्दू होने को छुपाते नहीं बल्कि बताते हैं. वह सार्वजनिक रूप से हिन्दू अनुष्ठान भी करते हैं. इसलिए ख़ुश होने में कोई हर्ज नहीं है.”

सोनिया गांधी का विरोध करना और ऋषि सुनक पर ख़ुश होना क्या बीजेपी के विरोधाभासों को दिखाता है?

विंस्टन चर्चिल ने साल 1947 में कहा था “…सभी भारतीय नेता कम क्षमताओं वाले लोग होंगे.” आज स्वतंत्रता के 75वें साल में हम भारतीय मूल के एक शख़्स को ब्रितानी पीएम बनता देख रहे हैं.”
आनंद महिंद्रा
भारतीय व्यवसायी

प्रदीप सिंह कहते हैं, ”ऋषि सुनक का जन्म ब्रिटेन में हुआ था. वह जन्म से ही वहाँ के नागरिक हैं. सोनिया गांधी यहाँ शादी के बाद आईं और भारत की नागरिकता भी उन्होंने बहुत बाद में ली. सोनिया गांधी चाहतीं तो पीएम बन जातीं. बीजेपी के कारण नहीं बनीं, ऐसा नहीं है. और यह याद रखना चाहिए कि ऋषि सुनक को वहाँ के लोगों ने पीएम नहीं बनाया है बल्कि कंज़रवेटिव पार्टी के सांसदों ने चुना है. लोग चुनेंगे या नहीं इसका टेस्ट अभी बाक़ी है. इसलिए सोनिया गांधी से तुलना ठीक नहीं है.”

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफ़ेसर हेरंब चतुर्वेदी कहते हैं, ”बीजेपी का ख़ुश होना बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तरह है. जो ब्रिटेन ईयू में नहीं रहा, उस ब्रिटेन के हिन्दू पीएम बनने से लोग ख़ुश हैं. ऋषि सुनक ने सुलेला को गृह मंत्री बनाकर संदेश दे दिया है. सुलेला ने भारत से ट्रेड डील को लेकर कहा था कि भारतीयों का इमिग्रेशन बढ़ जाएगा. भारत ने उनके बयान का विरोध भी किया था. बीजेपी को ख़ुद को बदलना चाहिए और उसे ब्रिटेन की कंज़रवेटिव पार्टी से सीखने की ज़रूरत है.”

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रजनीश कुमार
बीबीसी संवाददाता