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#अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना….By_लतिका श्रीवास्तव
Betiyan.in ============== जब मैं था तब हरि नही अब हरी है मैं नाहि…. पीयूष बेटा तेरे पिता तुझे बहुत याद कर रहे हैं अंतिम समय में तुझे देखना चाहते हैं एक बार आ जा बेटा….दमयंती जी करुणा विगलित स्वर में अपने इकलौते चिराग पियूष से प्रार्थना कर रहीं थीं। मां कोशिश कर रहा हूं कंपनी […]
——— अब मत आना मॉम… माँ ——–#######
Ravindra Kant Tyagi From Ghaziabad, India =============== चार साल की उम्र की बहुत सी बातें अब मस्तिष्क से धूमिल हो गई हैं किन्तु वो पल हमेशा याद रहा जब मेहमानों के छोटे से समूह के सामने मुझ छोटे से बालक को अजीब से असमंजस में ड़ाल दिया गया था। बारह सितंबर की सुहानी शाम थी। […]
वो शायद भगवान भी नहीं कर सकते, मां वो जो मन पढ़ ले…..By-Santosh Kumar Pant
Santosh Kumar Pant ============= · मां और शहर ———-:————– ईजा (मां).. ईजा (मां)….मि ऐ गईं (मैं आ गया हूं)..यह कहते हुए मैं अभी अभी ‘शहर’ से लौटा था, और मां से पूरे 1 साल के बाद मिला था,मां से लिपटा…लगा जैसे समंदर ने हज़ार नदियों को अपने अंदर समेट लिया हो।हजारों बरस तक अलग न […]