

Related Articles
‘नई माँ’, मुझे सम्हालने के लिये आयी है
लक्ष्मी कांत पाण्डेय ========================= मैं दिल्ली जाने के लिये बिल्हौर स्टेशन पर खड़ी थी। पलटकर स्टेशन के प्रवेश द्वार को देखा तो बीते दिनों की कौंधी यादों के साथ ही रोना आ गया। सबको बचाते हुए,आँखों से झरते आँसू झट पोछ लिये!आज समझ आ रहा था कि मायके का छूटना क्या होता है!शायद ऐसा ही […]
“बाढ़, सूखा और टेन परसेंट”
सुनो रे किस्सा, Suno Re Kissa =============== · “बाढ़, सूखा और टेन परसेंट” जोर लगा बे ” शैतान जने”, तखत पर अधनंगे, औंधे मुँह पड़े, “विधायक डब्बू भइया” ,और उनकी तेल मालिश करता “सज्जन” बदमाश, समझता है न “सज्जन”, “भगीरथी” कल्क्टर साहब का करैक्टर, हमसे पूछते हैं बाढ़ पीड़ित फंड के बारे में, अरे बाढ़ […]
* जब सब कुछ मायके से ही लाना है तो काम भी मायके का ही करूंगी ना*
Komal Kumari =============== * जब सब कुछ मायके से ही लाना है तो काम भी मायके का ही करूंगी ना* फटाफट रसोई का काम निपटाकर संध्या अपने कमरे में दौड़ी चली आई। बाहर घर के सदस्य सब तैयार हो चुके हैं और संध्या है कि अभी तक तैयार ही नहीं हुई। जानती थी कि अगर […]