हिब्रू भाषा के समाचारपत्र अहारनूत ने लिखा है कि ज़ायोनी शासन, दो इस्लामी देशों के निकट होने की कोशिश कर रहा है।
इस समाचारपत्र के अनुसार ज़ायोनी शासन, अब तुर्कमनिस्तान और आज़रबाइजान गणराज्य के साथ अपने संबन्ध बनाने के प्रयास में लगा हुआ है।
फ़िलिस्तीन की समाचार एजेन्सी “मआ” के अनुसार अहारुनूत समाचार पत्र में लिखा है कि ज़ायोनी शासन के विदेशमंत्री एली कोहेन संभवतः इस सप्ताह तुर्कमनिस्तान की राजधानी इशक़ाबाद की यात्रा पर जा रहे हैं। इस प्रकार से अवैध ज़ायोनी शासन के किसी मंत्री की यह पहली इश्क़ाबाद की यात्रा होगी। इसी सूत्र के अनुसार ज़ायोनी शासन के विदेशमंत्री अपनी तुर्कमनिस्तान की यात्रा के बाद आज़रबाइजान गणराज्य भी जाने वाले हैं।
ज़ायोनी शासन की ओर से इस्लामी देशों के साथ संबन्धों को विस्तृत करने के प्रयास एसी स्थति में जारी हैं कि जब समाचारपत्र वाल स्ट्रीट जनरल ने अपनी एक रिपोर्ट में हाल ही में लिखा था कि इस्राईल की ओर से इस्लामी देशों के साथ अपने संबन्धों को सामान्य करने की प्रक्रिया की गति कम हुई है।
इस रिपोर्ट में इस बारे में सऊदी अरब का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि तेलअवीव के साथ सार्वजनिक तौर पर अपने संबन्ध सामान्य करने सऊदी अरब की ओर से किसी भी प्रकार का स्वागत दिखाई नहीं दिया है।
हमास और सऊदी अरब के बीच बढ़ने लगी निकटता
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आन्दोलन हमास और सऊदी अरब के बीच निकटता बढ़ती दिखाई दे रही है।
फ़िलिस्तीनी सूत्रों का कहना है कि हमास के दो बड़े एवं महत्वपूर्ण नेता इस्माईल हनिया और ख़ालिद मशअल, रविवार को सऊदी अरब की यात्रा पर जा रहे हैं।
इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार इस बात की संभावना पाई जाती है कि फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आन्दोलन हमास के यह नेता उमरा करने के साथ ही सऊदी अरब के अधिकारियों के साथ भेंटवार्ताएं भी कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि सऊदी अरब और हमास के नेताओं के बीच वार्ता में द्विपक्षीय संबन्धों को स्थापित करने और सऊदी अरब की जेलों में बंद फ़िलिस्तीनियों की आज़ादी के बारे में विचार-विमर्श किया जाएगा।
फ़िलिस्तीन में प्रतिरोध का समर्थन करने के आरोप में दसियों फ़िलिस्तीनी, सऊदी अरब की जेलों में बंद हैं। हमास का कहना है कि कम से कम 60 फ़िलिस्तीनी सऊदी अरब में बंदी बने हुए हैं। हालांकि सऊदी अरब की सरकार ने हालिया कुछ दिनों के दौरान अपने यहां क़ैद कई फ़िलिस्तीनियों को आज़ाद किया है जिनपर फ़िलिस्तीन के प्रतिरोध आन्दोलनों के समर्थन पर आरोप था।