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कांग्रेस ने समान नागरिक पर मोदी सरकार को घेरा, मोदी सरकार अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए लिए अपने पुराने एजेंडा को अपना रहा है!


कांग्रेस ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि विधि आयोग के यूसीसी पर फिर से जनता की राय लेने के फैसले से साफ होता है कि नरेंद्र मोदी सरकार अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए लिए अपने पुराने एजेंडा को अपना रहा है।

कांग्रेस सचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा कि यह अजीब है कि विधि आयोग फिर से राय मांग रहा है। विधि आयोग ने इसे लेकर कोई कारण नहीं दिया है। रमेश ने आगे पूछा कि आयोग जरूरी मामलों को छोड़कर फिर से इस विषय पर क्यों विचार कर रहा है? उन्होंने कहा कि वास्तविक कारण यह है कि 21वें विधि आयोग ने इस विषय की विस्तृत और व्यापक समीक्षा करने के बाद यह पाया कि समान नागरिक संहिता इस स्तर पर न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय है।

उन्होंने कहा कि फिर से उसी मुद्दे को उठाना यह उनके पुराने एजेंडे को दर्शाता है। सरकार ने अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए यही पैंतरा आजमाया है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि मोदी सरकार द्वारा नियुक्त 21वें विधि आयोग ने साल 2018 में 31 अगस्त को प्रस्तुत अपने 182-पृष्ठों के परिवार कानून में सुधार पर परामर्श पत्र के पैराग्राफ 1.15 में क्या कहा था।

रमेश ने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया था कि इस प्रक्रिया में विशिष्ट समूहों या समाज के कमजोर वर्गों को वंचित नहीं किया जाना चाहिए। भारतीय संस्कृति की विविधता का जश्न मनाया जाना चाहिए। इस संघर्ष के समाधान का मतलब सभी मतभेदों को खत्म करना नहीं है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विधि आयोग ने दशकों से राष्ट्रीय महत्व के कई मुद्दों पर काम किया है। उन्होंने कहा कि उसे उस विरासत के प्रति सचेत रहना चाहिए और याद रखना चाहिए कि राष्ट्र के हित भाजपा की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से अलग हैं।

गौरतलब है, विधि आयोग ने बुधवार को कहा कि उसने यूसीसी की आवश्यकता पर नए सिरे से विचार करने और सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों के सदस्यों सहित विभिन्न हितधारकों के विचार जानने का फैसला किया है। इससे पहले, 21वें विधि आयोग ने जिसका कार्यकाल अगस्त 2018 में समाप्त हो गया था, इस मुद्दे की जांच की थी और यूसीसी के राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले पर दो अवसरों पर सभी हितधारकों के विचार मांगे थे।