उत्तर प्रदेश राज्य

कानपुर : बीजेपी नेता के ज़मीन हड़प लेने से आहत किसान बाबू सिंह यादव ट्रेन से कटकर जान दे दी, मुख्यमंत्री के नाम लिख सुसाइड नोट!

कानपुर।कानपुर के अहिरवां स्थित 6.29 करोड़ रुपये की जमीन (साढ़े छह बीघा) हड़पे जाने से आहत चकेरी गांव निवासी किसान बाबू सिंह यादव (52) ने शनिवार सुबह ट्रेन से कटकर जान दे दी। खुदकुशी से पहले उसने मुख्यमंत्री के नाम एक सुसाइड नोट भी लिखा है। इसमें अपनी मौत का जिम्मेदार श्यामनगर में रहने वाले भाजपा नेता को बताया है। आरोप लगाया किपुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर परिजनों को तहरीर के आधार पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

चकेरी गांव में रहने वाले किसान बाबू सिंह यादव अपनी पत्नी बिटान, दो बेटियों बीएससी फाइन ईयर की छात्रा रूबी व इंटर की छात्रा काजल के साथ रहते थे। इसी गांव में रहने वाले उनके भतीजे धर्मेंद्र यादव ने बताया कि बाबू सिंह के नाम अहिरवां में साढ़े छह बीघे जमीन थी। कुछ दलालों की उनकी जमीन पर नजर पड़ी तो बाबू सिंह को तरह-तरह के प्रलोभन देने लगे। जमीन के 6.5 करोड़ रुपये दिलवाने का भरोसा देकर श्यामनगर में रहने वाले एक भाजपा नेता से मुलाकात करवाई गई।

इसी साल 18 मार्च को रजिस्ट्री कार्यालय में ले जाकर उन्हें छह करोड़ की चेक देकर अपने नाम रजिस्ट्री करवा ली। आरोप लगाया कि कुछ देर बाद बाहर ले जाकर चेक में कुछ कमी बताकर वापस ले ली और इसके बाद से उन्हें टहलाना शुरू कर दिया। इसकी शिकायत लेकर वह पुलिस, प्रशासन के पास भी पहुंचे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई तो जमीन का कोर्ट में वाद दाखिल कर दिया।

मामला विचाराधीन था इसके बाद भी आरोपी भाजपा नेता ने उस जमीन की रजिस्ट्री किसी और के नाम कर दी। करोड़ों की जमीन हाथ से निकल जाने से आहत बाबू सिंह ने शनिवार को घर से कुछ दूरी पर स्थित रेलवे पटरी पर ट्रेन के सामने लेटकर खुदकुशी कर ली। सुबह ग्रामीणों को उनका शव दो टुकड़ों में पटरी किनारे पड़ा मिला तब परिजनों को घटना की जानकारी हो सकी। थाना प्रभारी अशोक दुबे ने बताया कि सुसाइड नोट मिला है। परिजनों से तहरीर मिलने पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

अपनी जमीन पर प्लाटिंग होते देख टूट गया किसान

बाबू सिंह शुक्रवार को अपनी जमीन देखने अहिरवां गए थे। वहां कुछ लोगों को प्लाटिंग करते पाया। पूछने पर उसे अपनी जमीन बताया बताया और भाजपा नेता से खरीदने की बात बताई। यह सुनकर बाबू सिंह को गहरा सदमा लगा और वह टूट गए। आखों में आंसू लेकर घर लौटे और इसके बाद से न कुछ खाया और न कुछ पिया। परिजनों ने उन्हें खूब समझाने का प्रयास किया लेकिन वह यही कहते रहे कि वह यह जंग हार चुके हैं।